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विकासशील अर्थव्यवस्था के लिये एक जीवन्त स्वदेशी इस्पात उद्योग बहुत जरूरी है, क्योंकि वह निर्माण, अवसंरचना, मोटरवाहन, पूंजीगत माल, रक्षा, रेल, आदि प्रमुख क्षेत्रों के लिये महत्त्वपूर्ण योगदान करता है। इस्पात के बारे में यह भी साबित हो चुका है कि वह पर्यावरण अनुकूल आर्थिक विकास को गति देता है क्योंकि उसकी प्रकृति री-साइकिल वाली है तथा उसके जरिये काम तेजी से पूरा हो जाता है। रोजगार सृजन और आर्थिक विकास के मामले में भी इस्पात सेक्टर देश के लिये महत्त्वपूर्ण है। अर्थव्यवस्था पर उसका प्रभाव कई स्तरों पर पड़ता है। वह आपूर्ति श्रृंखला और उपभोक्ता उद्योग पर सीधा या परोक्ष रूप से प्रभाव डालता है। दुनिया में भारत कच्चे इस्पात के उत्पादन में दूसरा सबसे बड़ा देश है।
स्वदेशी इस्पात सेक्टर का रुझान उत्पादन और खपतः वर्तमान वित्तवर्ष के प्रथम आठ माह के दौरान इस्पात सेक्टर का उत्पादन कामकाज काफी उत्साहवर्धक रहा है। उल्लेखनीय है कि अप्रैल-नवंबर, 2021 के दौरान 76.44 मीट्रिक टन कच्चे इस्पात का और 72.07 मीट्रिक टन परिष्कृत इस्पात का उत्पादन हुआ। यह पिछले तीन वर्षों की समान अवधि के दौरान हुये उत्पादन से अधिक है। कोविड-19 की दूसरी लहर और स्थानीय लॉकडाउन के बावजूद कामकाज में सुधार आया। नीचे दिये गये ग्राफ में समग्र उत्पादन और खपत का चार वर्षों का ब्योरा दिया गया हैः
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