श्री गडकरी ने कहा कि इस कदम से भारत को वाहनों से निकलने वाली ग्रीन हाऊस गैस के उत्सर्जन में कमी लाने में मदद मिलेगी, साथ ही इससे भारत को 2030 तक अपने कुल अनुमानित कार्बन उत्सर्जन को 1 बिलियन टन तक कम करने की सी ओ पी 26 में की गई प्रतिबद्धताओं को पूरा करने में भी मदद मिलेगी।
सरकार जीवाश्म ईंधन का उपयोग कम से कम करने के लिए विभिन्न वैकल्पिक ईंधनों के उपयोग के विकल्पों का पता लगा रही है। फ्लेक्स फ्यूल वाहनों के उत्पादन में तेजी लाने के लिए, उत्पादन आधारित प्रोत्साहन योजना (पीएलआई) को फ्लेक्स ईंधन वाले इंजनों और अन्य पुर्जों के निर्माण से जुड़े ऑटोमोबाइल क्षेत्र को भी इसमें शामिल किया गया है। नीति आयोग ने एथेनॉल मिश्रण कार्यक्रम (ईबीपी) के मजबूत ढांचे को महत्व देते हुए 2020-2025 की अवधि के लिए इथेनॉल मिश्रण पर एक रोड मैप तैयार किया है।
इसके अलावा विश्व पर्यावरण दिवस के अवसर पर पुणे में तीन ई-100 इथेनॉल वितरण स्टेशनों के शुभारंभ की प्रधानमंत्री की पहल के अनुरूप, और पेट्रोलियम एवं प्राकृतिक गैस मंत्रालय (एमओपीएनजी) के नए नियमों के अनुसार यह निर्धारित किया गया है कि पारंपरिक ईंधन के सभी अधिकृत विक्रेताओं को अपने केंद्र पर कम्प्रेस्ड नेचुरल गैस (सीएनजी), बायो फ्यूल, तरल प्राकृतिक गैस (एलएनजी), इलेक्ट्रिक वाहन चार्जिंग पॉइंट इत्यादि में से कम से कम एक वैकल्पिक ईंधन के विपणन के लिए सुविधा स्थापित करने की आवश्यकता है। साथ ही विभिन्न नियमों और दिशानिर्देशों का पालन करते हुए फ्लेक्स ईंधन इंजन वाले वाहनों को जल्द शुरू किए जाने के लिए तत्काल कदम उठाए जाने की आवश्यकता है। एक अनुमान के अनुसार अगले पांच वर्षों में गैसोलीन में इथेनॉल के मिश्रण में बड़ा उछाल आएगा, जिसके लिए फ्लेक्स इंजन वाले वाहनों की उपलब्धता की आवश्यकता होगी।