समाचार ब्यूरो
28/01/2022  :  15:12 HH:MM
लग्जरी कारों पर नजर आने लगा चिप की कमी का असर
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सेमीकंडक्टर अथवा चिप की कमी से कारों और इलेक्ट्रॉनिक वस्तुओं का उत्पादन इस कदर प्रभावित होने लगा है कि दो लग्जरी कारों को अपने ऑटोमैटिक रियर व्यू मिरर ही हटाने पड़ गए। ये हैं- स्कोडा कुशाक और वोक्सवैगन ताइगुन। यह बदलाव सभी वेरिएंट के लिए किया गया है। इसलिए, भले ही लोग टॉप-स्पेक वेरिएंट का विकल्प चुनें, उन्हें बाहरी रियर व्यू मिरर को हाथ से ही मोड़ना होगा। इसके पीछे कारण सेमीकंडक्टर की वैश्विक कमी है। स्कोडा ऑटो इंडिया के बिक्री, सेवा और मार्केटिंग के एक अधिकारी से ट्विटर पर किसी ने पूछा कि ऐसा क्यों किया गया तो उन्होंने जवाब दिया कि उन्हें उम्मीद है कि जल्द ही आपूर्ति की समस्या का समाधान हो जाएगा। यानी स्कोडा आने वाले समय में इस फीचर को फिर से जोड़ सकती है। वेबसाइट पर पुराने ब्रोशर को अपडेट किया गया है। चिप की कमी के कारण पूरी दुनिया की ऑटोमोबाइल कंपनियों को परेशानी का सामना करना पड़ रहा है। भारत में बड़ी कार कंपनियों के सामने भी यह समस्या कुछ खास है। मजबूरन इन्हें अपना उत्पादन कम करना पड़ रहा है।
चूंकि चिप की कमी की समस्या लंबी चलने वाली है और इसका तात्कालिक समाधान नजर नहीं आ रहा है, इसलिए टाटा मोटर्स ने खुद से चिप बनाने का निर्णय लिया है। कंपनी इसके लिए आउटसोर्स्ड सेमीकंडक्टर असेम्बली एवं टेस्टिंग प्लांट लगाएगी। इस तरह के प्लांट में सिलिकॉन वेफर्स को चिप में बदला जाता है। यह प्लांट तमिलनाडु, कर्नाटक अथवा तेलंगाना में लगाया जा सकता है, हालांकि अभी इस बारे में अंतिम निर्णय राज्य सरकारों की सहमति मिलने के बाद ही लिया जायेगा। इस उद्देश्य की पूर्ति के लिए टाटा समूह 2200 करोड़ रुपये तक निवेश कर सकता है। नयी कारों की मांग बराबर बनी हुई है, परंतु कार कंपनियां कारों की आपूर्ति नहीं कर पा रही हैं। हालत यह है कि इच्छुक खरीदारों को अपनी पसंद की गाड़ी की डिलीवरी के लिए इंतजार करना पड़ रहा है। इस देरी और अनिश्चित आपूर्ति के लिए सेमीकंडक्टर यानी चिप की कमी सबसे बड़ी वजह बतायी जा रही है। दूसरी वजह कच्चे माल की कीमतों में वृद्धि होना है। चिप की कमी से कई कार कंपनियों को मांग के बावजूद अपना उत्पादन कम करना पड़ रहा है।






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