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पीएम मोदी ने रूस के राष्ट्रपति से दो बार बात की है तो दूसरी तरफ़ क्वॉड की बैठक में गुरुवार को हिस्सा भी लिया. नरेंद्र मोदी ने ये बात फिर दोहराई कि सभी संबंधित पक्षों को बातचीत और कूटनीति का रास्ता अख़्तियार करना चाहिए. यूक्रेन पर रूस के हमले के बाद भारत के रुख़ को लेकर कई पूर्व राजनयिक और कूटनीति के विश्लेषकों की राय बंटी हुई है. कुछ जानकार भारत की ग़ैरहाजिरी को रूस की तरफ़ मूक समर्थन मान रहे हैं, कुछ इसे भारत की विदेश नीति का हिस्सा बता रहे हैं. तो कुछ कह रहे हैं कि सही समय है जब भारत को किसी एक पक्ष को चुनने की ज़रूरत है.पीएम मोदी ने रूस के राष्ट्रपति से दो बार बात की है तो दूसरी तरफ़ क्वॉड की बैठक में गुरुवार को हिस्सा भी लिया. नरेंद्र मोदी ने ये बात फिर दोहराई कि सभी संबंधित पक्षों को बातचीत और कूटनीति का रास्ता अख़्तियार करना चाहिए. यूक्रेन पर रूस के हमले के बाद भारत के रुख़ को लेकर कई पूर्व राजनयिक और कूटनीति के विश्लेषकों की राय बंटी हुई है. कुछ जानकार भारत की ग़ैरहाजिरी को रूस की तरफ़ मूक समर्थन मान रहे हैं, कुछ इसे भारत की विदेश नीति का हिस्सा बता रहे हैं. तो कुछ कह रहे हैं कि सही समय है जब भारत को किसी एक पक्ष को चुनने की ज़रूरत है.पीएम मोदी ने रूस के राष्ट्रपति से दो बार बात की है तो दूसरी तरफ़ क्वॉड की बैठक में गुरुवार को हिस्सा भी लिया. नरेंद्र मोदी ने ये बात फिर दोहराई कि सभी संबंधित पक्षों को बातचीत और कूटनीति का रास्ता अख़्तियार करना चाहिए. यूक्रेन पर रूस के हमले के बाद भारत के रुख़ को लेकर कई पूर्व राजनयिक और कूटनीति के विश्लेषकों की राय बंटी हुई है.कुछ जानकार भारत की ग़ैरहाजिरी को रूस की तरफ़ मूक समर्थन मान रहे हैं, कुछ इसे भारत की विदेश नीति का हिस्सा बता रहे हैं. तो कुछ कह रहे हैं कि सही समय है जब भारत को किसी एक पक्ष को चुनने की ज़रूरत है.वो कहते हैं, "यूक्रेन पर हमले के बाद पश्चिम देशों के नेता कह रहे हैं कि यूक्रेन का नेटो में शामिल होना उनके एजेंडे में नहीं है. तो 2008 में यूक्रेन को नेटो में शामिल करने की घोषणा क्यों की थी? फ़रवरी तक तो ये नेता 'नेटो की ओपन डोर पॉलिसी' की बात कह रहे थे. ऐसी सूरत में भारत किसी एक पक्ष के साथ खड़ा दिखे तो हासिल कुछ नहीं होगा."
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