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नयी दिल्ली- जल शक्ति मंत्रालय ने लघु सिंचाई संबंधी छठी रिपोर्ट जारी की है जिसके अनुसार
देश में दो करोड़ 31 लाख से ज्यादा परियोजनाएं
संचालित हो रही है और पांचवी गणना रिपोर्ट की तुलना में लघु सिंचाई योजनाओं में
करीब सात प्रतिशत की वृद्धि हुई है।
मंत्रालय के अनुसार इनमें 94.8 प्रतिशत यानी दो करोड़ 19 लाख से ज्यादा भूजल परियोजनाएं हैं और शेष सतही जल योजनाएं हैं। इस तरह की
सबसे ज्यादा लघु सिंचाई परियोजनाएं उत्तर प्रदेश में सबसे अधिक हैं और उसके बाद
महाराष्ट्र, मध्य प्रदेश तथा तमिलनाडु
हैं जबकि सतही जल योजनाओं में महाराष्ट्र, कर्नाटक, तेलंगाना, ओडिशा और झारखंड में सबसे अधिक है। भूजल योजनाओं में खोदे गए कुएं, कम गहरे ट्यूबवेल, मध्यम ट्यूबवेल और गहरे
ट्यूबवेल शामिल हैं। सतही जल योजनाओं में सतही प्रवाह और सर्फस लिफ्ट योजनाएं
शामिल हैं।
रिपोर्ट में कहा गया है कि 5वीं गणना रिपोर्ट की तुलना में छठी गणना रिपोर्ट में लघु सिंचाई योजनाएं करीब
सात फीसदी बढ़ गयी हैं। पांचवी गणना की तुलना में छठी लघु सिंचाई गणना के दौरान लघु
सिंचाई योजनाओं में लगभग 14.2 लाख की वृद्धि हुई है। राष्ट्रीय स्तर पर, भूजल और सतही जल स्तर की योजनाओं में क्रमशः 6.9 प्रतिशत और 1.2 प्रतिशत की वृद्धि हुई है।
मंत्रालय ने बताया कि लघु सिंचाई योजनाओं में खोदे गए कुंओं
की हिस्सेदारी सबसे अधिक है, इसके बाद कम गहरे ट्यूबवेल, मध्यम ट्यूबवेल और गहरे ट्यूबवेल हैं। महाराष्ट्र कुएं खोदने, सतही प्रवाह और सर्फस लिफ्ट योजनाओं में अग्रणी राज्य है। उत्तर प्रदेश, कर्नाटक और पंजाब क्रमशः कम गहरे ट्यूबवेल, मध्यम ट्यूबवेल और गहरे ट्यूबवेल में अग्रणी राज्य हैं। सभी लघु सिंचाई
योजनाओं में से, 97.0 प्रतिशत उपयोग में हैं और 2.1 प्रतिशत ‘अस्थायी रूप से उपयोग में नहीं हैं’ जबकि 0.9 प्रतिशत ‘स्थायी रूप से उपयोग में नहीं है’। कम गहरे ट्यूबवेल और मध्यम ट्यूबवेल 'उपयोग में' योजनाओं की श्रेणी में
अग्रणी हैं। अधिकांश लघु सिंचाई योजनाएं 96.6 प्रतिशत निजी स्वामित्व में हैं। भूजल योजनाओं में स्वामित्व में निजी
संस्थाओं की हिस्सेदारी 98.3 प्रतिशत है वहीं सतही जल योजनाओं में हिस्सेदारी 64.2 प्रतिशत है।
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