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नयी दिल्ली- केंद्रीय
मंत्री और भाजपा नेता राजीव चंद्रशेखर ने कांग्रेस नीत कर्नाटक सरकार पर सूबे के
किसानों की अनदेखी करने का आरोप लगाया है। श्री चंद्रशेखर
ने सोमवार को यहां संवाददाता सम्मेलन में कहा कि कर्नाटक के 16 जिले सूखे की
चपेट हैं और राज्य सरकार ने घमंडिया गठबंधन (जिसमें कांग्रेस के साथ द्रविड़
मुनेत्र कषगम - द्रमुक भी शामिल हैं) के दबाव में तमिलनाडु को (कावेरी नदी) से 10 हजार क्यूसेक
पानी छोड़ने का फैसला लिया है।
केंद्रीय
मंत्री ने आरोप लगाया कि द्रमुक के दबाब में तमिलनाडु को पानी छोड़ने का फैसला लिया
गया है। केंद्रीय मंत्री ने कहा कि बीते दो से ढाई महीने में कर्नाटक में 50 से अधिक
किसानों ने खुदकुशी की है। किसानों को फसल में पानी देने के लिए बिजली नहीं मिल
रही है। उन्होंने कहा कि बिजली कटौती से खेती प्रभावित हुई है, लेकिन राज्य
सरकार ने अन्य दलों से विमर्श किये बगैर तमिलनाडु को पानी छोड़ने का फैसला लिया है।
भाजपा नेता ने
कर्नाटक सरकार को एमएनसी सरकार बताया। एमएनसी से उनका अभिप्राय एम-मिसगवर्नेंस
अर्थात कुशासन, एन-नो डेवलपमेंट यानी विकास रहित और सी-करप्शन यानी
भ्रष्टाचार है। उन्होंने कर्नाटक के मुख्यमंत्री सिद्धारमैया, उपमुख्यमंत्री
डीके शिवकुमार और कृषि मंत्री एन. चालुवराय स्वामी पर किसानों की समस्याओं से
बेखबर रहने का आरोप लगाया।
केंद्रीय
मंत्री ने कहा कि प्रदेश के 16 जिलों के 85 तालुका सूखे की
चपेट में हैं, लेकिन, मुख्यमंत्री, उपमुख्यमंत्री
और कृषिमंत्री में से किसी ने भी अब तक सूखाग्रस्त इलाकों का दौरा कर स्थिति का
जायजा नहीं लिया है। उन्होंने कहा कि कर्नाटक के कृषि मंत्री किसानों की समस्या
सुनने के बजाय खुलेआम भ्रष्टाचार में लिप्त हैं और इस बाबत की शिकायत उनके विभाग
के अधिकारियों ने की है।
कर्नाटक से
राज्यसभा सदस्य श्री चंद्रशेखर ने राज्य के उपमुख्यमंत्री डीके शिवकुमार पर आरोप लगाते
हुए कहा कि कर्नाटक में अब ठेकेदार आरोप लगा रहे हैं कि श्री डीके शिवकुमार खुलेआम
पैसे (कमीशन) मांग रहे हैं। उन्होंने विकास के मसले को लेकर भी प्रदेश सरकार पर
हमला बोला। केंद्रीय आईटी राज्यमंत्री ने कहा, ‘‘उपमुख्यमंत्री
डीके शिवकुमार कहते हैं कि हम विकास नहीं कर सकते हैं और मुख्यमंत्री केंद्र से
विशेष अनुदान की मांग कर रहे हैं।’’
केंद्रीय
मंत्री ने कर्नाटक में राष्ट्रीय शिक्षा नीति (एनईपी) रद्द करने को लेकर भी प्रदेश
सरकार तीखी आलोचना की। उन्होंने कहा कि सरकार के इस फैसले से प्रदेश के युवा कौशल
और गुणवत्तापूर्ण शिक्षा से वंचित रह जाएंगे।
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