समाचार ब्यूरो
19/08/2023  :  15:55 HH:MM
अदालत ने कोयला घोटाला मामले में बसाक को सजा की मात्रा पर दलीलें सुनीं
Total View  127


नयी दिल्ली- राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली की एक अदालत ने शनिवार को छत्तीसगढ़ में एक कोयला आवंटन में कथित अनियमितताओं से संबंधित मामले में इस्पात मंत्रालय के पूर्व अधिकारी जी. के. बसाक को दी जाने वाली सजा की मात्रा पर दलीलें सुनीं।


सुनवाई के डीएलए संजय कुमार ने अदालत से अधिकतम सजा और भारी भरकम जुर्माना लगाने की प्रार्थना की। उन्होंने सजा के बिंदु पर लिखित दलीलें भी दाखिल की हैं। वहीं दोषी बसाक के वकील अजीत सिंह ने अदालत के समक्ष कहा कि दोषी की 72 वर्ष का है और हृदय और प्रोस्टेट रोग से पीड़ित है।

उन्होंने कहा कि दोषी की पत्नी के घुटने की सर्जरी हुई है और वह ब्रोंकाइटिस अस्थमा की मरीज है, इसलिए उनकी सहायता की जरूरत है, क्योंकि उसकी देखभाल के लिए परिवार का कोई अन्य सदस्य नहीं है। उन्होंने बताया कि दोषी की एक ही पुत्री है, जो शादीशुदा है और दूसरे शहर में रहती है।

श्री सिंह ने कहा कि दोषी को 13 वर्ष से अधिक की कठोर सुनवाई का सामना करना पड़ा है क्योंकि वह नौ सितंबर 2012 से इस मामले में सुनवाई में भाग ले रहा है। उन्होंने कहा कि ऐसा कोई आरोप नहीं है कि पांच सितंबर 2008 का रिपोर्ट देने के लिए उन्हें कोई मौद्रिक लाभ हुआ था।

श्री सिंह ने कहा कि दोषी द्वारा दी गई रिपोर्ट के आधार पर मेसर्स पीआईएल को कोई कोयला ब्लॉक आवंटित नहीं किया गया था और इसलिए सरकारी खजाने को कोई नुकसान नहीं हुआ है। उन्होंने कहा है कि मेसर्स पीआईएल और उसके निदेशक ए.के. चतुर्वेदी को दिल्ली उच्च न्यायालय ने बरी कर दिया है और पूरी प्रक्रिया में दोषी की न्यूनतम भूमिका थी। वकील ने सजा में नरमी बरतने का अनुरोध किया।

सजा की मात्रा पर दलीलें सुनने के बाद केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) के विशेष न्यायाधीश अरुण भारद्वाज ने कहा, “सजा पर आदेश के लिए 22 अगस्त को सूचीबद्ध करें।

विशेष अदालत ने 18 अगस्त को इस्पात मंत्रालय के संयुक्त संयंत्र समिति (जेपीसी) के पूर्व कार्यकारी सचिव गौतम कुमार बसाक को विजय सेंट्रल कोल ब्लॉक के आवंटन में भ्रष्टाचार का दोषी ठहराया है और सजा की मात्रा पर बहस सुनने के लिए मामले की तारीख आज तय की थी।

दोषी ठहराए जाने के समय दलीलें सुनने के बाद अदालत ने कहा,“इस्पात मंत्रालय के पूर्व अधिकारी सौमेन चटर्जी के खिलाफ लगाए गए आपराधिक कदाचार के ठोस आरोप के सवाल पर विचार करते समय मामले से संबंधित सभी परिस्थितियों पर विस्तार से चर्चा की गई है।

अदालत ने कहा कि श्री चटर्जी द्वारा सूचित और रुचिपूर्ण सहयोग, अनुकरण और उकसावे का कोई सबूत नहीं है।

इस मामले में परिस्थितिजन्य साक्ष्य द्वारा किसी भी अपराध को साबित करने के बुनियादी सिद्धांत पूरे नहीं होते हैं।






Enter the following fields. All fields are mandatory:-
Name :  
  
Email :  
  
Comments  
  
Security Key :  
   3235992
 
     
Related Links :-
पार्श्वगायक नहीं अभिनेता बनना चाहते थे मुकेश
दिग्गज बॉलीवुड गीतकार देव कोहली का निधन
शैक्षणिक विकास निगम में भ्रष्टाचार की निगरानी से करायें जांच : सुशील
स्वदेशी गाय की खरीद पर ट्रांसर्पोटेशन और बीमा का खर्च उठाएगी योगी सरकार
शंखनाद अभियान का आगाज करेगी भाजपा
आयकर विभाग की वेबसाइट नये स्वरूप में लाँच
अडानी ने लगायी गुजरात ऊर्जा निगम को 3900 करोड़ रुपए की चपत: कांग्रेस
लखनऊ रामेश्वरम रेल हादसे पर खडगे, राहुल, प्रियंका ने जताया शोक
तमिलनाडु ट्रेन हादसे पर मुर्मु ने जताया शोक
एनडीएमए ने ‘आपदा मित्रों’ को किया सम्मानित