समाचार ब्यूरो
11/08/2023  :  19:51 HH:MM
आपके लिये किसान और गरीब वोट बैंक और हमारे लिये परिवार: योगी
Total View  232



लखनऊ - समाजवादी पार्टी (सपा) पर उत्तर प्रदेश की छवि बिगाड़ने का आरोप लगाते हुये मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने शुक्रवार को कहा कि जातिवाद और परिवारवाद की राजनीति करने वाली सपा के लिये गरीब और किसान जाति और वोट बैंक का मुद्दा हो सकता है जबकि उनकी सरकार के लिये समाज का यह तबका एक परिवार की तरह है, जिनके हितों की रक्षा के लिये वे हमेशा तत्पर हैं।

श्री योगी ने कहा कि नये भारत को नया उत्तर प्रदेश एक ट्रिलियन डालर की अर्थव्यवस्था बनने के लक्ष्य के साथ आगे बढ़ रहा है। उन्होने अन्नदाता किसानो को भी आश्वस्त करते हुये कहा कि राज्य सरकार बाढ़ और सूखा प्रभावित किसानो के साथ मजबूती से खड़ी है।

विधानसभा में मानसून सत्र के अंतिम दिन शुक्रवार को श्री योगी के करीब दो घंटा आठ मिनट के उदबोधन में मुख्य निशाने पर समाजवादी पार्टी और नेता प्रतिपक्ष अखिलेश यादव रहे वहीं सपा की सहयोगी राष्ट्रीय लोकदल (रालोद) के सदस्यों के प्रति उनका रवैया नरम और अपनत्व से परिपूर्ण रहा। मुख्यमंत्री ने इस दौरान सपा महासचिव और श्री अखिलेश यादव के चाचा श्री शिवपाल सिंह यादव पर भी व्यंग बाण चलाये।

सदन में इससे पहले श्री अखिलेश यादव ने मुख्यमंत्री पर प्रहार करते हुये किसान,कानून व्यवस्था,इंफ्रास्ट्रक्चर और बिजली की समस्या समेत अन्य मुद्दों पर सवालों की झड़ी लगा कर सरकार को घेरने की कोशिश की। एक घंटे से अधिक समय तक दिये गये नेता प्रतिपक्ष के व्यक्तव्य का श्री योगी ने सिलसिलेवार ढंग से जवाब दिया।

मुख्यमंत्री ने कहा कि कांवड़ियों पर जब पुष्पवर्षा होती है तो नेता प्रतिपक्ष को परेशानी होती है। उन्होने 2017 से पहले सपा सरकार के समय मुस्लिम समुदाय को खुश करने के लिये कांवड़ यात्रा और कृष्ण जन्माष्टमी पुलिस स्टेशनो, जेलो में मनाने तक में पाबंदी लगा दी थी मगर भाजपा सरकार समाज के सभी वर्गो को साथ लेकर चलने में विश्वास करती है और यही कारण है कि कांवड़ यात्रा भी निर्विघ्न चल रही है और अन्य धर्मो के त्याेहार भी मनाये जा रहे हैं।

उन्होने कहा कि 2017 से पहले की सरकार मे किसान आत्महत्या करने पर विवश थे। भ्रष्टाचार और बिचौलिया प्रथा के चलते उन्हे अपनी उपज का उचित दाम नहीं मिल पाता था मगर उनकी सरकार में पूरी पारदर्शिता के साथ काम हो रहा है और उपज का मूल्य सीधे किसानो के खाते में जा रहा है। जल्द ही निजी नलकूपों का बिजली का बिल शत प्रतिशत माफ कर दिया जायेगा। इसके लिये फीडर अलग करने का काम चल रहा है।

साड़ और वन्यजीवों के हमलों के बारे में श्री यादव के बयान का जवाब देते हुये उन्होने कहा कि पहले की सरकार में साड़ों को अवैध बूचड़खानो के हवाले कर दिया जाता था मगर अब यह खेती किसानी का हिस्सा बन चुके हैं और जहां तक पीलीभीत,बिजनौर और अन्य स्थानो पर वन्यजीवों के रिहायशी इलाकों में प्रवेश की बात है तो अब तक करीब 20 तेंदुओं को रेस्क्यू कर उन्हे जंगली इलाकाें में छोड़ा जा चुका है। सरकार को किसान के जान माल की पूरी चिंता है और वन्य विभाग की टीमे प्रभावित इलाकों में अपना डेरा डाले हुये हैं।

श्री योगी ने कहा “ नेता विरोधी दल को एक घंटे के भाषण में बाढ़ और सूखा से संबंधित मुद्दों पर सिर्फ गोरखपुर का जल जमाव याद आया। देखकर यही लगा कि 2014, 2017, 2019 और 2022 का जनादेश उनके लिये बिल्कुल सही मिला है। दुष्यंत कुमार ने इस पर बहुत अच्छी बात कही है कि तुम्हारे पांव के नीचे कोई जमीं नहीं और कमाल ये है कि फिर भी तुम्हें यकीं नहीं। उन्हें जमीनी हकीकत की कोई जानकारी नहीं है। तुलसीदास जी ने ये बात कही भी है कि समरथ को नहीं कोई दोष गोसाईं...ऐसे ही लोगों पर बातें अक्षरशः ठीक बैठती हैं, क्योंकि जो लोग जन्म से चांदी के चम्मच से खाने के आदी हैं वो गरीब-किसान-दलित की समस्या और उसकी पीड़ा को क्या समझेंगे। इन्होंने अति पिछड़ों और पिछड़ों के साथ क्या व्यवहार किया था, ये पूरा देश जानता है। ”

किसान नेता और पूर्व प्रधानमंत्री चौधरी चरण सिंह को याद करते हुये श्री योगी ने कहा कि चौधरी साहब ने कहा था कि देश की प्रगति का मार्ग इस देश के गांव, गलियों, खेत और खलिहानों से होकर जाता है। उनकी बातों को वास्तव में समाजवादी पार्टी ने अपने कालखंड में थोड़ा भी ध्यान में रखा होता तो यूपी के इतिहास में सर्वाधिक किसानों ने उनके कालखंड में आत्महत्या नहीं की होती।

श्री यादव के साड़ को लेकर दिये गये व्यक्तव्य का जवाब देते हुये उन्होने कहा कि अगर भारत की खेती की बात होती है तो नेता विरोधी दल, उससे बाड़ी शब्द भी जुड़ता है। पशुपालन भी उसका पार्ट है। और जिस सांड़ की आप बात कर रहे हैं न वो भी उसी का हिस्सा है। आपके समय में वो बूचड़ खाने के हवाले होता था, हमारे समय में यही पशु धन का पार्ट बना हुआ है।

श्री शिवपाल की ओर इशारा करते हुये उन्होने कहा “ लगता है पेपर की कटिंग पर होमवर्क करते समय शिवपाल जी ने कुछ पुरानी कटिंग भी बीच में रखवा दी थीं। क्योंकि इतिहास गवाह है कि जब परिवार में सत्ता का संघर्ष बढ़ता है तो कुछ न कुछ चीजें तो सामने आएंगी। शिवपाल जी ने इतना पापड़ बेला है तो कुछ तो सामने आएगा। शिवपाल जी के प्रति हमारी सहानुभूति है। आपके साथ अन्याय हुआ है। आपके साथ ये लोग न्याय करेंगे भी नहीं।”

उन्होने कहा कि यूपी में अमूमन 15 से 20 जून तक मानसून प्रवेश कर जाता था। इस वर्ष प्रारंभिक बारिश को छोड़ दें तो बारिश अनुकूल और अच्छी नहीं कही जा सकती है। हमने पहले ही बैठक करके अपनी रणनीति बनाई है। हिमालयी नदियों में बाढ़ की स्थिति पैदा हुई, इससे काफी फसलों को नुकसान पहुंचा है। उसके आंकलन के आदेश भी दिये गये हैं। उसपर कार्रवाई आगे बढ़ रही है। इसके बावजूद यूपी की स्थिति देश के अन्य राज्यों से काफी अच्छी है। यूपी देश का और दुनिया का अकेला ऐसा भूभाग है जहां 86 प्रतिशत भूमि, नगरों, सरकारी और निजी नलकूपों से सिंचित है। कृषि बोआई का सामान्य प्रतिशत 88 प्रतिशत फसलों की बोआई हो गई है। धान की नर्सरी भी लगभग 100 फीसदी लग चुकी है, कम बारिश के कारण इसमें नुकसान हुआ होगा, मगर सरकार की कार्रवाई इस पर आगे बढ़ रही है। ”

मुख्यमंत्री ने कहा “ सिंचाई की अतिरिक्त सुविधा और अतिरिक्त विकल्प होने का परिणाम ये है कि देश के कुल कृषि भूमि का 11 प्रतिशत यूपी के पास है। आबादी का 16 फीसदी यूपी में निवास करती है। मगर खाद्यान का कुल उत्पादन 20 अन्न उत्पादन यहां का किसान करता है। ये दिखाता है कि प्रदेश का किसान अपने परिश्रम और पुरुषार्थ से उत्पादन को आगे बढ़ाने में कोताही नहीं करता। सरकार किसानों को अधिक से अधिक सुविधा देने का प्रयास करती है।”

उन्होने कहा कि बाढ़ और सूखा से आपदा की चपेट में आए 4500 किसानों को पहले चरण में अब तक मुआवजा देने का कार्य किया है। 2017 में सरकार ने 61320 किसानों को लगभग 60 करोड़ का मुआवजा उपलब्ध कराया था। इसी प्रकार 2018-19 में भी 384113 किसानों को 212 करोड़ का मुआवजा दिया गया, जिसमें से ज्यादातर सूखे से पीड़ित थे। 2019-20 में भी 64 करोड़ 32 लाख का मुआवजा अन्नदाता को प्रदान किया गया। 2020-21 में 120 करोड़ का मुआवजा 362600 से अधिक किसानों को प्रदान किया गया। 2021-22 में 475 करोड़ रुपए 1394900 से अधिक किसानों को कंपनसेशन दिया। 2022-23 में प्रदेश के 427 करोड़ रुपए 1214000 किसानों को मुआवजा दिया गया। अबतक 8400 से अधिक किसानों को प्रदेश सरकार बाढ़ के कारण क्षति का मुआवजा दे चुकी है।

श्री योगी ने कहा कि प्रदेश सरकार ने बाढ़ और सूखा के अलावा अन्य अनेक कदम उठाए हैं। कैसे इनसे बचाव किया जा सकता है। इस बार पश्चिमी यूपी में बाढ़ आई मगर 40 से ज्यादा जिलों में सूखा देखने को मिला। बहुत सी जगह सिंचाई और पॉवर कॉर्पोरेशन ने अपने स्तर पर कार्य किये। नोडल अधिकारियों और प्रभारी मंत्रियों ने जिलों के दौरे किये। प्रदेश सरकार ने बाढ़ पीड़ितों के राहत के कार्य किये।

उन्होने कहा कि प्रदेश में 403 एमएम बरसात को सामान्य माना जाता है, मगर पिछले कुछ वर्ष से देखने को मिला है कि मौसम चक्र में विसंगति का दुष्प्रभाव सबसे अधिक अन्नदाताओं पर पड़ता है। 403 एमएम बारिश में से अबतक 303 एमएम बारिश हुई है। मगर ये बारिश एक बार में हुई है। कल रात में गोरखपुर में झमाझम बरसात हुयी मगर वहां के लोग मौज मस्ती में रहे क्योंकि उन्हे पता था कि कुछ देर मे सारा पानी सड़कों से निकल जायेगा।

चिकित्सा स्वास्थ्य पर नेता प्रतिपक्ष के आरोपों का इन्सेफलाइटिस से पूर्वी यूपी में चालीस साल में 50 हजार बच्चों की मौत हुई थी। चार बार सपा को प्रदेश की सत्ता संभालने का मौका मिला था। 90 फीसदी मरने वाले बच्चे दलित, अल्पसंख्यक और अति पिछड़ी जाति के थे, क्या यहां पीडीए नहीं था। तब क्या कर रहे थे चार बार के मुख्यमंत्री और आपको तो पांच साल का मौका मिला था। मुझे ये बताने में गर्व होता है कि हमारी सरकार ने अपने पहले कार्यकाल में इन्सेफेलाइटिस का समूल नाश कर दिया। आज आप जाइए गोरखपुर, महाराजगंज, कुशीनगर, देवरिया, सिद्धार्थनगर, संत कबीर नगर, बस्ती, बहराइच, बलरामपुर, श्रावस्ती, गोंडा, पीलीभीत, लखीमपुर और सहारनपुर तक इंसेफेलाइटिस समाप्त हो चुका है। बस घोषणा होना बाकी है।

उन्होने कहा कि आज सरकारी अस्पताल में मरीज इसलिए आ रहा है कि उसे दवाएं मिल रही हैं और डॉक्टर मिल रहा है। आपके समय में न दवा थी, न डॉक्टर थे। अपनी विफलता को छिपाने के लिए आपको वहां किसी गरीब का आना और उसे आयुष्मान भारत सुविधा के अंतर्गत 5 लाख की बीमा की सुविधा मिलना बुरा लगता है। प्रदेश के अंदर 10 करोड़ लोगों को आयुष्मान भारत की सुविधा मिल रही है वो आपके लिए जाति हो सकती है, वोट बैंक का मुद्दा हो सकता है। हमारे लिए यूपी का नागरिक परिवार का हिस्सा है। हमें विरासत में जर्जर व्यवस्था मिली थी, उसे सुधारने में वक्त जरूर लगेगा मगर वहां उमड़ती भीड़ ये बताती है लोगों का इस व्यवस्था में विश्वास भी बढ़ा है। वहां पहले से सुविधा बेहतर हुई है। पब्लिक को आपमें विश्वास ही नहीं था इसलिए आपको नकार दिया।

उन्होने कहा कि ये सरकार पहली सरकार है जिसने अन्नदाता किसानों के हित में दो अन्य महत्वपूर्ण कदम उठाए थे। हमने अपने पहले कार्यकाल में वन्य जीव और मानव संघर्ष को आपदा की श्रेणी में लाने का काम किया। कोई व्यक्ति सर्पदंश और सांड़ से मरे, इन सभी को आपदा में घोषित करने वाला यूपी देश का पहला राज्य है। हम तो सांड़ की नंदी के रूप में पूजा करते हैं।

श्री योगी ने कहा “ नेता विरोधी दल से पूछना चाहता हूं कि पीएम आवास योजना से लाभान्वित 55 लाख लोग पीडीए के पार्ट नहीं हैं क्या। क्यों नहीं अबतक इन्हें आवास मिला था, क्योंकि वो दलित और गरीब थे। 2017 से अबतक 55 लाख लोगों को आवास दिलाये गये हैं। लोहिया आवास में आप सपा के कैडर को आवास देते थे। सपा कार्यालय ये तय करता था कि किसको आवास मिलना है। जब पीएम आवास की घोषणा हुई, तब केंद्र में कांग्रेस और प्रदेश में सपा की सरकार थी, उस वक्त की सूची को हमने स्वीकार करते हुए सभी को मकान देने का कार्य किया है। जब मोदी जी की सरकार आई तब भारत सरकार कहती थी कि आवास लीजिए और ये कहते थे कि दलित हमारा वोट बैंक नहीं है। ये लोग आवास देते ही नहीं थे। लगभग ढाई वर्ष तक ये सरकार में रहे। 2017 में जब हमारी सरकार आई उसके बाद 55 लाख गरीबों को आवास दिया गया है, जिसमें से 44 लाख से अधिक आवास में गृह प्रवेश भी हो चुका है। डबल इंजन सरकार ने एक और काम किया है। प्रयागराज में एक भूमाफिया की जमीन को मुक्त कराके 76 गरीबों को वहां भी आवास देने का कार्य किया गया है।

उन्होने कहा कि 2012 से 17 के बीच प्रदेश की जनता चाचा भतीजे के बीच द्वंद्व का शिकार होती रही। भतीजे को लगता था कि चाचा हावी ना हो जाएं, इसलिए पैसे नहीं देते थे। यही कारण है कि 2012 से 17 के बीच आठ परियोजनाएं पूरी हो पाई थीं। 2017 से 22 के बीच हमने 20 परियोजनाओं को पूरा किया है। सिंचन क्षमता 2012 से 17 तक 195900 हेक्टेयर थी और 2017 से 22 के बीच 2317000 हेक्टेयर सिंचाई हुई है, जिससे 44 लाख किसान लाभान्वित हुए हैं।

श्री योगी ने कहा “ पहली बार गत वर्ष हमने बिजली के बिल में 50 फीसदी की छूट दी है। तब क्या कर रहे थे आप लोग। आपने कुछ नहीं किया और कुछ करना भी नहीं चाहते थे। 2023 24 के लिए हम फीडर को अलग कर रहे हैं। 1500 करोड़ का बजट इसके लिए प्रावधान कर चुके हैं। जिससे प्राइवेट नलकूप लगाने वाले किसानों को फ्री में बिजली उपलब्ध करा सकें। नलकूपों को सोलराइज करने की कार्रवाई हुई है। अबतक 45342 किसानों को इससे आच्छादित किया है। 2023-24 में 30 हजार किसानों को जोड़ने का लक्ष्य है। प्रदेश में टेल तक पानी पहुंचाने का कार्य बहुत अच्छे ढंग से आगे बढ़ा है। पीएम कृषि सिंचाई योजना के अंतर्गत 23 लाख हेक्टेयर कृषि भूमि की सिचाई करने की योजना इसी का एक महत्वपूर्ण पहलू है।”

उन्होने कहा कि प्रदेश में अलग-अलग विभाग की ओर से भी 30 हजार 642 तालाब और 1546 चेकडैम बनाये गये हैं। 13 हजार से ज्यादा अमृत सरोवर बनाने का कार्य हुआ है। 34974 रेन वाटर हार्वेस्टिंग का कार्य हुआ है। 30749 रियूज एंड रिचार्ज स्ट्रक्चर बनाने का कार्य हुआ है। विभिन्न जनपदों में 9 नदियों को पुनर्जीवित किया गया है और 66 के साथ ये कार्य किया जा रहा है। भूगर्भीय जल के स्तर को ऊपर उठाने का कार्य किया जा रहा है। 2017 से पहले बिजली वीआईपी जिलों में ही मिलती थी। शेष जिले इससे वंचित होते थे। आज यूपी में सभी जिलों में समान रूप से बिजली आपूर्ति की जा रही है। जिला मुख्यालय पर 23 से 24 घंटे, तहसील पर 20 से 22 घंटे और ग्रामीण इलाकों में 16 से 18 घंटे की आपूर्ति 2017 से लगातार की जा रही है।

श्री योगी ने कहा कि एक लाख 29 हजार मजरों का विद्युतिकरण किया गया। 33 केवीए के 1528 सब स्टेशन बनाये गये। एक करोड़ 58 लाख घरों को फ्री बिजली कनेक्शन उपलब्ध कराये गये। 399800 से अधिक किसानों को निजी नलकूपों के कनेक्शन दिये गये। 2015-16 में पीक आवर 12300 मेगावाट की डिमांड होती थी, आज 28284 मेगावाट की डिमांड है। ये दिखाता है कि पिछली सरकार के पास केवल व्यक्तिगत एजेंडा था, विकास का कोई एजेंडा नहीं था।

इसके अलावा हमारी सरकार द्वारा पॉवर सप्लाई लॉस को भी काफी कम किया गया। 2017 से पहले ये 22 फीसदी था, आज ये 17 फीसदी के आसपास है। ये रिफॉर्म को दिखाता है। 2017 से पहले 1 करोड़ 8 लाख विद्युत मीटर थे, आज 3 करोड़ 27 लाख से अधिक विद्युत मीटर लगाये गये हैं।

उन्होने कहा “ विद्युत उत्पादन के क्षेत्र में 12 से 17 के बीच में 4839 मेगावाट की विद्युत उत्पादन की क्षमता थी जो अब बढ़कर 5820 मेगावाट की हो गई है। इसके अलावा 1600 मेगावाट के ओबरा तापीय परियोजना को आगे बढ़ाने की कार्रवाई को आगे बढ़ाने का कार्य किया है। ये योजनाएं प्रदेश की आने वाली आवश्यक्ताओं की पूर्ति करने का कार्य करेंगी। एमएसपी क्या होता है शायद नेता विरोधी दल को पता नहीं है। शिवपाल जी को ये बताना चाहिए। संभवत: नेता विरोधी दल के नेता को रबी और खरीफ में अंतर नहीं पता। ”

उन्होने कहा कि प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना से 2017 से 2022 के बीच लगभग 50 लाख किसान लाभान्वित हुए हैं। इसमें 4228 करोड़ रुपए डीबीटी के माध्यम से किसानों को सीधे सीधे पहुंचाने का कार्य हुआ। प्रदेश में रबी और खरीफ के लाभार्थी किसानों को मुख्यमंत्री कृषक दुर्घटना बीमा से जोड़ा जा रहा है। इसके अंतर्गत जिन किसानों की दुखद मौत हुई, ऐसे 9710 किसानों को अबतक 435 करोड़ की धनराशि का भुगतान किया गया है। केवल किसान के अलावा उनके सहयोगी किसानों को भी इस योजना से जोड़ने की कार्रवाई हमारी सरकार ने की है। प्रदेश में किसान सम्मान निधि के अंतर्गत 2 करोड़ 61 लाख किसानों को 59105 करोड़ रुपए डीबीटी के माध्यम से दिए जा रहे हैं।

उन्होने कहा कि गन्ना किसानों की बात करें तो जिस छपरौली चीनी मिल के उद्धार की बात चौधरी चरण सिंह जी करते रहे, समाजवादी पार्टी चार बार सरकार रहने के बावजूद ये कार्य नहीं कर सकी। हमें गर्व है कि छपरौली चीनी मिल हमारी सरकार में शुरू हुई। सपा सरकार में गन्ना किसानों का 95200 करोड़ का भुगतान हुआ था। हमारी सरकार में 2 लाख 16 हजार करोड़ का भुगतान किसानों को किया है।

श्री योगी ने कहा “ किसान कभी आपके एजेंडे में रहा ही नहीं। हमारे लिए किसान किसी जाति में नहीं बंटा है। किसान की जाति, मत मजहब नहीं है। किसान के सम्मान के लिए प्रधानमंत्री किसान सम्मान निधि है, फसल बीमा और स्वॉयल हेल्थ कार्ड है। एमएसपी जिसमें लागत का डेढ़ गुना दाम तय किया गया, उन्हीं किसानों के लिए है। हमने नई चीनी मिलें दी, बंद चीनी मिलों को चलाया। आपकी सरकार में चीनी मिलों को बंद करके किसानों के पेट पर लात मारी गई। किसानों पर गोलियां चलाई जाती थी। कोरोना कालखंड में जब नेता विरोधी दल घरों में दुबके थे तब भी हम चीनी मिलें चला रहे थे। उन्हें अपने कार्यकर्ताओं की चिंता नहीं थी, सरकार से ये पूछने की भी जहमत नहीं उठाई कि हम क्या मदद कर सकते हैं। उल्टा वैक्सीन का विरोध कर रहे थे। ”

उन्होने कहा “ ये हमारे लिए गर्व का विषय है कि जब दुनिया संकट में थी तब भारत के विजनरी पीएम देश के गरीबों के लिए योजनाएं शुरू कर रहे थे और लोगों की जान बचाने के लिए प्रयास भी कर रहे थे। चीन और यूरोप के बाजार बंद हुए थे। ये वैक्सीन का विरोध कर रहे थे। ये ऑस्ट्रेलिया से यही पढ़कर आए थे कि लोगों को वैज्ञानिक सोच की जगह उन्हें वैक्सीन लगवाने से मना किया जाए। ये उन्हें मौत की ओर ढकेल रहे थे। ”

श्री योगी ने कहा कि 2012 से 2017 के बीच 14725 टीसीडी पेराई क्षमता का विस्तार हुआ, जबकि 17 से 22 के बीच 78900 टीसीडी का विस्तार हुआ। गन्ना पेराई 3 हजार 734 लाख मीट्रिक टन हुआ और 17 से 23 के बीच में 6 हजार 404 लाख मीट्रिक टन की पेराई हुई है। चीनी उत्पादन 368 लाख मीट्रिक टन और 17 से 23 के बीच 682 लाख 44 हजार मीट्रिक टन का उत्पादन हुआ है। 2012 से 2017 के बीच में गन्ने की औसत उपज 61.63 टन प्रति हेक्टेयर थी जबकि आज उसी किसान के खेत में 83.95 टन का उत्पादन हो रहा है। अबतक गन्ना मूल्य का हम लोगों ने 22-23 में 38 हजार 51 करोड़ का भुगतान किया है जो 87 फीसदी है। मैं आश्वस्त करता हूं प्रदेश के सभी 65 लाख गन्ना किसानों का भुगतान शत प्रतिशत किया जाएगा। 12 से 17 में कुल 42 करोड़ लीटर इथनॉल का उत्पादन हुआ। आज अकेले एक वर्ष में 153.71 करोड़ लीटर का उत्पादन कर रहे हैं। यूपी चीनी ही नहीं इथनॉल में भी नंबर वन है। छाता के पुरानी चीनी मिल में इंटीग्रेटेड शुगर कॉम्प्लेस का निर्माण कर रहे हैं। ऐसे ही देवरिया में भी जल्द इसे बनाने जा रहे हैं।






Enter the following fields. All fields are mandatory:-
Name :  
  
Email :  
  
Comments  
  
Security Key :  
   767536
 
     
Related Links :-
पार्श्वगायक नहीं अभिनेता बनना चाहते थे मुकेश
दिग्गज बॉलीवुड गीतकार देव कोहली का निधन
शैक्षणिक विकास निगम में भ्रष्टाचार की निगरानी से करायें जांच : सुशील
स्वदेशी गाय की खरीद पर ट्रांसर्पोटेशन और बीमा का खर्च उठाएगी योगी सरकार
शंखनाद अभियान का आगाज करेगी भाजपा
आयकर विभाग की वेबसाइट नये स्वरूप में लाँच
अडानी ने लगायी गुजरात ऊर्जा निगम को 3900 करोड़ रुपए की चपत: कांग्रेस
लखनऊ रामेश्वरम रेल हादसे पर खडगे, राहुल, प्रियंका ने जताया शोक
तमिलनाडु ट्रेन हादसे पर मुर्मु ने जताया शोक
एनडीएमए ने ‘आपदा मित्रों’ को किया सम्मानित