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नयी दिल्ली- रीढ़ की हड्डी से
जुड़ी बीमारियों और उनके निदान पर विचार करने के लिये आयोजित स्पाइन 20
शिखर सम्मेलन का आगाज़ गुरुवार को हुआ।
भारतीय स्पाइन सर्जन संघ (एएसएसआई) की मेज़बानी में आयोजित इस दो दिवसीय
सम्मेलन का उद्देश्य जी20 देशों के सामने
रीढ़ की हड्डी की विकलांगता को समाप्त करने से संबंधित सिफारिशें रखना है। साथ ही
यह समूह 18वीं जी20 बैठक के मेज़बान
देश भारत के सामने एक राष्ट्रीय कार्यक्रम का प्रस्ताव भी रखेगा, जिसका उद्देश्य
देश में देशभर में मेरुदंड से जुड़ी बीमारियों की पहचान करना, उनसे संबंधित
जागरूकता बढ़ाना और उसका इलाज करना होगा।
स्पाइन 20 के निर्वाचित अध्यक्ष डॉ समी अलीइसा ने
कहा, “भारत और भारत की तरह अन्य विकासशील
देशों में रीढ़ की देखभाल पर विशेष रूप से ज्यादा ध्यान देने की सख्त जरूरत है।
पीठ दर्द और रीढ़ की हड्डी की अन्य बीमारियां लोगों में रिहैबिलिटेशन की जरूरत का
मुख्य कारण हैं। रीढ़ की हड्डी की सुलभ और सस्ती देखभाल प्रदान करना समय की जरूरत
है। स्पाइन 20 का लक्ष्य जी20
देशों के साथ इसे हासिल करना है। चूंकी इस साल भारत के पास जी20
की अध्यक्षता है तो ऐसे में भारत के पास इस लक्ष्य को प्राप्त करने का एक बड़ा
मौका है।”
दो दिवसीय बैठक के अध्यक्ष डॉ हरविंदर सिंह छाबड़ा ने बताया कि बैठक में हिस्सा
लेने वाली 37 सदस्य सोसाइटी भारत में होने वाले
राष्ट्रीय कार्यक्रम पर विचार करेंगी। इनमें भारत की 18
चिकित्सीय सोसाइटी भी शामिल होंगी और सभी आवश्यक चीजों के आकलन के बाद भारत
सरकार के सामने सिफारिशें रखी जायेंगी।
डॉ छाबड़ा ने कहा, “हमें सबसे पहले आंकड़ों की ज़रूरत होगी, जिसके लिये हम
रजिस्ट्री स्थापित करेंगे। हमारी दूसरी प्राथमिकता लोगों को शिक्षित करना और
उन्हें जागरूक बनाना होगी। देश के हर गांव में स्वास्थ्य कर्मी हैं। हम उन्हें
प्रशिक्षण देंगें ताकि वे दूर-दराज़ के इलाकों तक पहुंच सकें। चौथा चरण इलाज होगा, जिसके लिये हम
अपनी क्षमता भी बढ़ायेंगे।”
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