|
नयी दिल्ली- व्यापक
सांप्रदायिक हिंसा के बाद स्थिति का जायजा लेने के लिये राष्ट्रीय सचिव मौलाना शफी
मदनी के नेतृत्व में जमाअत-ए-इस्लामी हिंद के एक प्रतिनिधिमंडल ने गुरुवार को
हरियाणा के गुरुग्राम का दौरा किया। प्रतिनिधिमंडल
में नदीम खान, इनामुर रहमान और लईक अहमद खान सहित जमाअत के अन्य सदस्य भी
शामिल रहे। प्रतिनिधिमंडल ने सेक्टर 57 में मस्जिद पर
हमले, इमाम साद की हत्या और गुरुग्राम एवं उसके आसपास के अन्य
हमलों के बारे में जानकारी हासिल करने के साथ-साथ तत्पश्चात निष्पक्ष जांच की मांग
करने के लिये गुरुग्राम की पुलिस आयुक्त से मुलाकात की।
प्रतिनिधिमंडल
को बताया गया कि सोशल मीडिया प्रचार के कारण हिंसा में वृद्धि हुई और पुलिस बल स्थिति
को पर्याप्त रूप से संभालने में नाकाम रही। जमाअत के प्रतिनिधिमंडल ने स्थानीय
लोगों से भी मुलाकात की। उन्होंने मौजूदा सांप्रदायिक तनाव और अशांति के कारण
उत्पन्न भय पर रोशनी डाली।
जमाअत ने एक
बयान में कहा,“जमाअत महसूस करती है कि गुरुग्राम की ऐसी स्थिति कि वजह
खुफ़िया तंत्र की विफलता और पुलिस विभाग के साथ समन्वय में कमी है। दंडमुक्ति के
माहौल ने भी आग में घी डालने का काम किया क्योंकि हिंसा में शामिल असामाजिक तत्वों
को यह आश्वासन मिला हुआ है कि राजनीतिक संरक्षण के कारण उनके खिलाफ कोई कार्रवाई
नहीं की जाएगी।”
बयान में कहा
गया,“जमाअत ने शांति और विश्वास बहाली के लिये तत्काल प्रयास
करने का आह्वान किया है। समुदायों के बीच बातचीत शुरू करने की दिशा में गंभीर
प्रयास होने चाहिए क्योंकि तनावपूर्ण माहौल और सोशल मीडिया पर साझा किये जा रहे
शातिर मीडिया प्रचार और हिंसा भड़कने के कारण सांप्रदायिक सद्भाव पर असर पड़ा है।”
जमाअत ने इस
घटना के कारण देश के प्रमुख व्यापारिक केंद्र गुरुग्राम से लोगों के जबरन पलायन पर
चिंता जताई।
जमाअत ने कहा,“इससे हमारे
शांत कारोबारी माहौल को अप्रत्याशित नुकसान पहुंच सकता है। ऐसी स्थिति की पुनरावृत्ति
रोकने के लिये उचित कदम उठाया जाना चाहिए। जमाअत हिंसा के पीड़ितों के लिये उचित
मुआवजे और दोषियों के लिये सजा की मांग करती है।”
|