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नयी दिल्ली- केंद्रीय स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्री मनसुख
मांडविया ने बृहस्पतिवार को कहा कि अंगदान के लिए लोगों को प्रोत्साहित किया जाना
चाहिए और उनकी मुक्त कंठ से प्रशंसा की जानी चाहिए।
श्री मांडविया ने यहां 13वें भारतीय
अंगदान दिवस (आईओडीडी) समारोह को संबाेधित करते हुए कहा कि किसी दूसरे व्यक्ति को
जीवन देने से बड़ी मानवता की सेवा नहीं हो सकती। इस अवसर पर केन्द्रीय स्वास्थ्य
और परिवार कल्याण राज्य मंत्री भारती प्रवीण पवार और प्रोफेसर एसपी सिंह बघेल तथा
तमिलनाडु के स्वास्थ्य मंत्री एम. सुब्रमण्यम भी उपस्थित थे। यह समारोह मृत व्यक्तियों
के परिवारों को अपने प्रियजनों के अंगदान करने के साहसिक निर्णय के लिए सम्मानित
करने, मृत व्यक्ति के अंगदान करने के बारे
में जागरूकता फैलाने और अंगदान तथा प्रत्यारोपण के क्षेत्र में काम करने वाले
चिकित्सकों के योगदान को मान्यता प्रदान करने और उन्हें पुरस्कार देने के लिए
आयोजित किया गया था।
श्री मांडविया ने कहा कि उन सभी लोगों के योगदान को पहचानना और उनकी सराहना
करना आवश्यक है, जो इस प्रयास का हिस्सा रहे हैं।
उन्होंने कहा कि वर्ष 2013 में लगभग 5000
लोग अपने अंग दान के लिए आगे आए। अब सालाना 15,000 से अधिक लोग
अंगदान कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि अंग दाताओं के लिए छुट्टी की अवधि 30
दिन से बढ़ाकर 60 दिन कर दी गई है,
65 वर्ष की आयु सीमा हटा दी गई है और अंगदान की प्रक्रिया को और अधिक सुव्यवस्थित
किया गया है। उन्होंने कहा कि सरकार देश में अंग दान को लोकप्रिय बनाने के लिए और
अधिक नीतियां और सुधार लाने के लिए प्रतिबद्ध है।
केंद्रीय मंत्री ने दाताओं, उनके परिवार के
सदस्यों और नागरिक समाज के सदस्यों के योगदान की सराहना की और अंग प्राप्तकर्ताओं
से इस महान सेवा को बढ़ावा देने और दूसरों को भी मानव जाति की सेवा के लिए अपने
अंग दान करने के लिए प्रोत्साहित करने का आग्रह किया।
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