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नयी दिल्ली- कांग्रेस नेता
राहुल गांधी ने मोदी उपनाम आपराधिक मानहानि मामले
में अपनी दो वर्षों की सजा पर रोक लगाने की एक बार फिर गुहार लगाते हुए उच्चतम
न्यायालय के समक्ष कहा है कि शिकायतकर्ता भारतीय जनता पार्टी के विधायक पूर्णेश
मोदी इस मामले में अहंकारी कहना और माफी मांगने के लिए दबाव डालना न्यायिक
प्रक्रिया का घोर उल्लंघन है, जिसे स्वीकार नहीं किया जाना चाहिए।
उच्चतम
न्यायालय इस मामले में अगली सुनवाई चार अगस्त को करेगा।
श्री गांधी ने
शीर्ष अदालत में बुधवार को एक ताजा जवाबी हलफनामा दायर कर अपनी सजा पर रोक लगाने
की गुहार लगाई।
अपने हलफनामे
में श्री गांधी ने कहा है कि उन्होंने हमेशा कहा है कि वो इस मामले में दोषी नहीं
हैं और उनको दी गई सजा कानूनी कसौटी पर आगे खड़ा उतरने वाला नहीं है।
शिकायतकर्ता
श्री पूर्णेश मोदी के माफी मांगने वाले बयान के संदर्भ में श्री गांधी ने कहा कि
अगर उन्हें माफी मांगनी होती तो पहले ही मांग लिया होता।
श्री गांधी ने
अपने हलफनामे में आगे कहा,“बहुत मामूली अपराध को देखते हुए यह
बहुत असाधारण मामला है। एक चुने हुए सांसद के रूप में उन्हें (याचिकाकर्ता) को
अपूर्णीय क्षति हुई है। इस वजह से उनकी सजा पर रोक लगा दी जाए, ताकि वह लोकसभा
के मौजूदा और आगे आने वाले सत्रों में भाग ले सकें।”
उच्चतम
न्यायालय ‘मोदी सरनेम’ यानी मोदी
उपनाम की टिप्पणी को लेकर कांग्रेस नेता श्री गांधी को अपराधिक मानहानि का दोषी
ठहराए जाने के खिलाफ दायर उनकी विशेष अनुमति याचिका पर 21 जुलाई को नोटिस
जारी किया था।
न्यायमूर्ति बी
आर गवई और न्यायमूर्ति प्रशांत कुमार मिश्रा की पीठ ने श्री गांधी के खिलाफ
मानहानि का मुकदमा दर्ज कराने वाले गुजरात के विधायक पूर्णेश मोदी और राज्य सरकार
को नोटिस जारी कर अपना अपना पक्ष रखने का निर्देश दिया था।
कांग्रेस नेता
श्री गांधी के वर्ष 2019 की एक टिप्पणी के मामले में आपराधिक
मानहानि का दोषी ठहराए जाने और इसके लिए दो साल की सजा देने के मामले में निचली
अदालत के फैसले पर मुहर लगाने वाले गुजरात उच्च न्यायालय के सात जुलाई के फैसले के
खिलाफ 15 जुलाई 2023 को उच्चतम न्यायालय का दरवाजा
खटखटाया था।
याचिका में
आपराधिक मानहानि के लिए दी गई दो साल की सजा श्री गांधी की सांसद की सदस्यता चली
गई थी। श्री गांधी केरल के वायनाड से सांसद थे।
श्री गांधी ने
बैंक कर्ज घोटाले के आरोपियों में शामिल नीरव मोदी एवं कुछ अन्य का नाम लेते हुए 2019 में एक
सभा को संबोधित करते हुए कथित तौर पर आपत्तिजनक टिप्पणी की थी। उनकी टिप्पणी कि ‘ये सभी चोरों
के उपनाम मोदी ही क्यों हैं’ के लिए निचली अदालत ने मानहानि का
दोषी माना था। इसके लिए दो साल की सजा सुनाई थी। इस फैसले को राहुल गांधी ने उच्च
न्यायालय में चुनौती दी थी, लेकिन सजा पर रोक लगाने की उनकी
याचिका खारिज कर दी गई थी।
बारह जुलाई को
कांग्रेस नेता श्री गांधी के खिलाफ भाजपा के विधायक श्री मोदी ने उच्चतम न्यायालय
में एक ‘कैविएट’ दायर की थी।
श्री मोदी की
अपराधिक मानहानि की शिकायत के बाद श्री गांधी पर मुकदमा दर्ज किया गया था और बाद
में अदालत ने उन्हें दोषी ठहराया था।
इसकी वजह से
कांग्रेस नेता राहुल गांधी की लोकसभा की सदस्यता समाप्त होने के बाद उन्हें नई
दिल्ली के लुटियंस जोन स्थित अपना आधिकारिक आवास भी खाली करना पड़ा था। यह आवास
उन्हें सांसद होने के नाते आवंटित किया गया था।
भाजपा विधायक
ने शीर्ष अदालत में कैविएट दायर कर गुहार लगाई थी कि यदि श्री गांधी उच्च न्यायालय
के फैसले को चुनौती देते हैं तो सुनवाई करते समय उनका (शिकायत करने वाले मोदी)
पक्ष भी सुना जाए।
मानहानि का यह
मामला 2019 का है। इस मामले में 23 मार्च 2023 को सूरत
के मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट ने गांधी को मानहानि के अपराध के लिए दोषी ठहराया था।
इस अपराध के लिए उन्हें अधिकतम दो साल की जेल की सजा सुनाई थी। बाद में सत्र
न्यायाधीश की अदालत ने सूरत के मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट की अदालत के फैसले को
बरकरार रखा था।
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