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लक्ष्मीबाई कॉलेज ने पिछले पांच से अधिक शैक्षणिक सत्रों सहित वर्तमान शैक्षणिक सत्र 2021-22 में भी स्वीकृत वर्कलोड के आधार पर हिंदी विभाग में सत्रह शिक्षक (सात स्थायी और दस तदर्थ) नियुक्त किए गए। कॉलेज के हिंदी विभाग में कुल सत्रह शिक्षक पदों के लिए कॉलेज पहले ही दो बार दिल्ली विश्वविद्यालय से रोस्टर अनुमोदित करवा चुका है। हालांकि, कुछ निहित स्वार्थों के साथ प्राचार्य और प्रबंध समिति के कुछ सदस्यों ने दावा किया है कि हिंदी विभाग का कार्यभार पंद्रह पदों का है जबकि कॉलेज के हिंदी विभाग ने सत्रह शिक्षकों के कार्यभार का दावा किया है।
गौरतलब है कि शिक्षकों के कार्यभार की गणना और आवश्यकता का आकलन शैक्षणिक सत्र की शुरुआत से पहले किया जाता है न कि सत्र के बीच में या सत्र के अंत में। किसी भी नए वर्कलोड का आकलन नए शैक्षणिक सत्र यानी 2022-23 में ही किया जा सकता है। अतः प्राचार्य ने विश्वविद्यालय को गलत सूचना दी कि हिन्दी विभाग में कुल पंद्रह शिक्षकों की आवश्यकता है जबकि तथ्य यह है कि शैक्षणिक सत्र 2021-22 में भी सत्रह शिक्षक कार्यरत थे।
यह प्राचार्य के स्तर पर गलत तथ्य देकर विश्वविद्यालय कॉलेज ब्रांच को गुमराह करने का मामला है। कॉलेज ने कार्यभार की सही गणना के अभाव में, आवश्यक विकल्प नहीं खोलने, कॉलेज में अधिकांश विषयों में यूजीसी नियमों से तय वर्कलोड से अधिक शिक्षकों को देकर ओबीसी सैकंड ट्रेंच की पोस्ट भी रोक दी है।
DUTA ने इन मांगों को लेकर कॉलेज के बाहर प्रदर्शन किया कि
1. हिंदी विभाग के कार्यरत तदर्थ शिक्षकों को प्रताड़ित करने की कोशिश कर रही प्राचार्य के गलत कार्यों की जांच की जाए।
2. लक्ष्मीबाई कॉलेज के रोस्टर की स्वीकृति और विश्वविद्यालय द्वारा दिया गया विज्ञापन तत्काल वापस लिया जाए।
3. कॉलेज गवर्निंग बॉडी को अपने पहले के फैसले पर फिर से विचार करना चाहिए। महाविद्यालय के हिन्दी विभाग में दस शिक्षण पद समेत विज्ञापन को यथाशीघ्र ठीक किया जाए।
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