समाचार ब्यूरो
03/06/2022  :  16:30 HH:MM
80वीं ऑल इंडिया ऑफ्‍थैल्‍मोलॉजिकल कॉन्‍फ्रेंस 2022 में 5000 से ज्‍यादा नेत्र-विशेषज्ञों ने रोकथाम योग्‍य दृष्टिहीनता को 2025 तक 50% कम करने का संकल्‍प लिया
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ऑल इंडिया ऑफ्‍थैल्‍मोलॉजिकल सोसायटी (एआईओएस) के लगभग 24,000 ऑफ्‍थैल्‍मोलॉजिस्‍ट्स (नेत्र-विशेषज्ञ) सदस्‍य हैं। अपने 80वें वार्षिक सम्‍मेलन में इस सोसायटी ने अपने पेशे के माध्‍यम से समाज की सेवा करने के विचार से 2025 तक भारत में रोकथाम योग्‍य दृष्टिहीनता को 50% तक कम करने के एक उल्‍लेखनीय संकल्‍प की घोषणा की है। रोकथाम के योग्‍य दृष्टिहीनता के मामले मोतियाबिंद, डायबिटीक आई डिसीज, विटामिन 'ए' की कमी और आघात सम्‍बंधी दृष्टिहीनता के कारण होते हैं। भारत में दृष्टिहीनों की सबसे बड़ी आबादी है। आकलन के मुताबिक हमारे देश में रोकथाम के योग्‍य दृष्टिहीनता के 12 मिलियन मामले हैं, जो समय पर उपचार नहीं मिलने के कारण आंशिक या पूर्ण रूप से दृष्टिहीन हो सकते हैं। एआईओएस के प्रेसिडेंट (2022-23) डॉ. ललित वर्मा ने एआईओएस के 80वें वार्षिक सम्‍मेलन का विषय समझाते हुए कहा, "रोकथाम के योग्‍य दृष्टिहीनता से निपटने के लिये मजबूत प्रतिबद्धता चाहिये, क्‍योंकि यह लोगों के जीवन की गुणवत्‍ता को प्रत्‍यक्ष और नाटकीय रूप से प्रभावित करती है। यह व्‍यक्ति की आर्थिक गतिविधि को भी प्रभावित करती है, जिससे पूरे देश की उत्‍पादकता प्रभावित होती है। आयु बढ़ने के साथ होने वाले मोतियाबिंद की समस्‍या को तुलनात्‍मक सरलता के साथ हल किया जा सकता है और आँखों की समय-समय पर जाँच से डायबिटिक आई डिजीज को ठीक करने में मदद मिल सकती है। विटामिन 'ए' की कमी के कारण होने वाले नेत्र रोगों को ठीक करना भी बहुत आसान है। रोकथाम के योग्‍य दृष्टिहीनता को 2025 तक 50% कम करने का हमारा संकल्‍प एक राष्‍ट्रीय पहल बनने वाला है, क्‍योंकि इसमें हमारे सदस्‍यों की सक्रिय भागीदारी रहेगी।" एआईओएस के प्रेसिडेंट (2021-22) डॉ. बरुन कुमार नायक ने कहा, "भारत में 60,000 की आबादी के लिये एक नेत्र-विशेषज्ञ है। इस प्रकार लोगों के नेत्र रोगों को ठीक करने के लिये हमारे पेशे पर बहुत भार है। भारत के नेत्र-विशेषज्ञ दुनिया के सर्वश्रेष्‍ठ प्रशिक्षितों में शामिल हैं और वे अपने पेशे को भारत के ना‍गरिकों के लिये सर्वश्रेष्‍ठ उपयोग में लाने के लिये अथक प्रयास कर रहे हैं। हम चाहते हैं कि सरकार रोकथाम के योग्‍य दृष्टिहीनता को कम करने के इस प्रयास में सार्वजनिक-निजी भागीदारियों को प्रोत्‍साहित करे। इस अत्‍यंत महत्‍वपूर्ण सामाजिक कार्य के लिये कॉर्पोरेट के सीएसआर फंड के उपयोग की अनुमति मिलनी चाहिये।" एआईओसी 2022 के ऑर्गेनाइजिंग चेयरमैन पद्मश्री डॉ. टी. पी. लहाने ने प्रक्रिया समझाते हुए कहा, "एआईओएस का 80वां वार्षिक सम्‍मेलन एक महत्‍वपूर्ण अवसर है। यह निस्‍संदेह किसी मेडिकल एसोसिएशन या सोसायटी द्वारा आयोजित सम्‍मेलनों की सबसे बड़ी श्रृंखला है। महाराष्‍ट्र में हमने पिछले तीन दशकों में सैकड़ों नेत्र शिविर लगाकर रोकथाम के योग्‍य दृष्टिहीनता को कम करने के लिये सफलतापूर्वक कार्यक्रम चलाए हैं। हम आँखों की चोट से बचने पर जागरूकता भी निर्मित करते हैं और हमने हर साल सरकार और अशासकीय संगठनों की सहायता से 7,00,000 से ज्‍यादा लोगों की अंधेरे से रौशनी की दुनिया में आने में मदद की है। अगर हम महाराष्‍ट्र के मॉडल को पूरे देश में अपनाएं, तो देशभर में रोकथाम के योग्‍य दृष्टिहीनता को काफी हद तक कम कर सकते हैं।" एआईओएस की मानद सचिव डॉ. नम्रता शर्मा ने सरकार से आगे होने वाली अपेक्षाएं बताते हुए कहा, "सरकार को बच्‍चों के लिये चूने की बिक्री पर रोक लगानी चाहिये, क्‍योंकि चूने के साथ सावधानी नहीं बरतने पर आँखों को चोट लग सकती है और दृष्टिहीनता भी हो सकती है। दृष्टिहीनता का एक अन्‍य प्रमुख कारण कारखानों में है और कार्यस्‍थलों का अनिवार्य निरीक्षण यह देखने के लिये जरूरी है कि आँखों की संभावित चोट वाली स्थितियों में हर कर्मचारी को आँखों की सुरक्षा के लिये उपकरण प्रदान किये जाएं और सुरक्षा मानकों का पूरा अनुपालन सुनिश्चित किया जाए। डायबिटीज के मरीजों से आँखों की जाँच करवाने का आग्रह करने वाले सरकारी विज्ञापन अभियान चाहिये, ताकि जन-साधारण के बीच सार्वजनिक रूप से जागरुकता लाई जा सके।" एआईओएस के विषय में ऑल इंडिया ऑफ्‍थैल्‍मोलॉजिकल सोसायटी (एआईओएस) की स्‍थापना वर्ष 1930 में हुई थी। यह सोसायटीज रजिस्‍ट्रेशन एक्‍ट 1860 के अंतर्गत एक पंजीकृत सोसायटी है। बीतते वर्षों के साथ इस सोसायटी की सदस्‍यता लगातार बढ़ी है और अभी इसके 23669 से ज्‍यादा सदस्‍य जीवन पर्यंत के लिये हैं। सोसायटी के उद्देश्‍य हैं नेत्र-विज्ञान के अ‍ध्‍ययन और अभ्‍यास का संवर्धन और प्रचार, समाज को सेवा देने के विचार से शोध और मानव-क्षमता का विकास और देश के नेत्र-विशेषज्ञों के बीच सामाजिक संपर्कों को बढ़ावा देना। सोसायटी देश के विभिन्‍न भागों में वार्षिक सम्‍मेलनों का आयोजन करती है। इन सम्‍मेलनों में नेत्र-विज्ञान के क्षेत्र में ज्ञान को बढ़ावा देने और उसके परस्‍पर आदान-प्रदान के लिये कई वैज्ञानिक गतिविधियाँ संचालित की जाती हैं, जैसे इंस्‍ट्रक्‍शन कोर्सेस, सिम्‍पोजिया, लेक्‍चर्स, पोस्‍ट ग्रेजुएट रिफ्रेशर कोर्सेस, बूथ लेक्‍चर्स, वेट लैब्‍स, सर्जिकल स्किल ट्रांसफर कोर्सेस, आदि। सोसायटी अपने सदस्‍यों को विभिन्‍न विशेषज्ञताओं में उनकी सेवाओं के सम्‍मान में पुरस्‍कार, भाषण, इनाम और फेलोशिप्‍स के रूप में प्रोत्‍साहन भी देती है।






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