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मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने आज बुराडी में स्थापित कोरोनेशन प्लांट का स्थलीय निरीक्षण कर कहा कि दिल्ली स्थित देश के सबसे बड़े कोरोनेशन प्लांट से यमुना साफ होगी और दिल्ली की प्यास भी बुझेगी। यमुना को साफ़ करने के लिए हम प्रतिबद्ध हैं। मैंने आज कोरोनेशन प्लांट का निरीक्षण किया। यह 70 एमजीडी क्षमता का पूरी तरह से ऑटोमैटिक और बेहद शानदार प्लांट है। हमारा वादा है कि साल 2025 तक यमुना नदी को साफ़ और स्वच्छ बनाएंगे। इस पर काम युद्ध स्तर से चल रहा है। सीएम अरविंद केजरीवाल ने कहा कि कोरोनेशन प्लांट से पानी को एडवांस ट्रीटमेंट प्लांट में लाया जाएगा। इसके बाद पानी को पल्ला लाकर यमुना के जरिए वाटर ट्रीटमेंट प्लांट में लाएंगे, जिसके बाद 50-60 एमजीडी पानी पीने में इस्तेमाल कर सकेंगे। कोरोनेशन एसटीपी के कंप्लीट होने से एक तरफ सीवर साफ होगा, जिससे यमुना साफ होगी और दूसरी तरफ पीने के पानी में भी वृद्धि होगी। केंद्र सरकार से इस पानी को पीने में इस्तेमाल करने के लिए हमें अनुमति मिल गई है। अपर यमुना रिवर बोर्ड ने सारे पैरामीटर्स पर जांच की है। इस दौरान दिल्ली जल बोर्ड के उपाध्यक्ष सौरभ भारद्वाज और वरिष्ठ अधिकारी मौजूद रहे।
बुराड़ी स्थित कोरोनेशन सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट का स्थलीय निरीक्षण के उपरांत मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने मीडिया से बातचीत में कहा कि मैंने आज कोरोनेशन प्लांट का पूरा निरीक्षण किया। हमारा मकसद है कि यमुना साफ होनी चाहिए। हमने दिल्ली के लोगों से वादा किया है कि 2025 के पहले हम यमुना को बिल्कुल साफ कर देंगे। उसी दिशा में, हमारा मकसद है कि दिल्ली का जितना भी सीवर का पानी यमुना में जाता है, वो पानी साफ करके यमुना में डाला जाए। दिल्ली का यह कोरोनेशन प्लांट शायद देश का सबसे बड़ा प्लांट है। इस प्लांट की क्षमता 70 एमजीडी है। यह प्लांट प्रतिदिन 70 एमजीडी सीवर को ट्रीट कर सकता है। यह एक सबसे आधुनिक प्लांट है। अभी हमने सारा निरीक्षण करके इसके बारे में विस्तार से जाना। यहां पर सबकुछ ऑटोमेटिक है। इसमें स्काडर सिस्टम है, जिसके जरिए कोई भी बटन दबाकर कहीं भी, पूरे प्लांट में किसी भी मशीनरी को शुरू किया जा सकता है और किसी भी मशीनरी को बंद किया जा सकता है। सब कुछ ऑटोमेटिक है।
सीएम अरविंद केजरीवाल ने कहा कि कोरोनेशन एसटीपी से 70 एमजीडी पानी ट्रीट होकर निकल रहा है। इसको तकनीकी भाषा में 10/10 की शुद्धता कहते हैं। इस पानी को और साफ करेंगे। इसके लिए जहांगीरपुरी ड्रेन के उस तरफ एक और एडवांस ट्रीटमेंट प्लांट लगाएंगे, जहां पर पानी की शुद्धता को 3/4 तक लेकर जाएंगे। इसके बाद 70 एमजीडी पानी हम यहां से पल्ला लेकर जाएंगे। पल्ला से होकर पानी यमुना के जरिए हमारे वाटर ट्रीटमेंट प्लांट में आएगा। इस तरह, हम लगभग 50 से 60 एमजीडी अतिरिक्त पानी दिल्ली में पीने के लिए भी इस्तेमाल कर सकते हैं। इस तरह इस पानी का इस्तेमाल पीने के लिए भी किया जाएगा। यह तकनीक सिंगापुर में इस्तेमाल किया जाता है। सिंगापुर में इसको न्यू वाटर कहते हैं। उसी आधार पर दिल्ली में भी हम इस्तेमाल कर रहे हैं। इस तरह दो काम होंगे। एक तरफ तो यमुना साफ हो रही है, सीवर की सफाई हो रही है और दूसरी तरफ पीने के पानी में भी वृद्धि होगी, जब यह सबकुछ कंप्लीट हो जाएगा। मैं जल बोर्ड के सभी अधिकारियों और इंजीनियर समेत सबको को इतना शानदार प्लांट बनाने के लिए बधाई देता हूं।
मीडिया के सवालों का जवाब देते हुए सीएम अरविंद केजरीवाल ने कहा कि इस पानी का पीने में इस्तेमाल कर सकते हैं। इसमें डरने वाली कोई बात नहीं है। हमें केंद्र सरकार से भी इसके लिए अनुमति मिल गई है। हम दो-तीन साल से इसके लिए लगे हुए थे। अपर यमुना रिवर बोर्ड (यूवाईआरबी) ने सारे पैरामीटर्स की जांच किया है। यह पानी हम पल्ला डालेंगे। पल्ला से कई किलोमीटर पानी यमुना के साथ-साथ होते हुए आएगा। इसके बाद पानी को वाटर ट्रीटमेंट प्लांट में तीसरी बार ट्रीट किया जाएगा और बिल्कुल साफ कर दिया जाएगा। दिल्ली में कोरोनेशन का यह पहला प्लांट है। ओखला में इससे भी बड़ा प्लांट बन रहा है। वह 120 एमजीडी क्षमता का प्लांट है। अगले दो-तीन दिन में उसका भी निरीक्षण करूंगा। अभी यहां से पानी एडवांस ट्रीटमेंट प्लांट में जाएगा। वहां से पानी पल्ला में जाएगा। पल्ला से पानी वजीराबाद ट्रीटमेंट प्लांट में जाएगा। इस तरह से ईस्ट दिल्ली समेत कुछ एरिया के अंदर इस पानी का इस्तेमाल किया जा सकेगा। साथ ही, देखेंगे कि कहीं और पानी को ले जाने पाइपलाइन बिछा सकते हैं, तो पाइपलाइन बिछाएंगे।
इससे पहले, मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने बुराड़ी स्थित कोरोनेशन सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट का स्थलीय निरीक्षण करने पहुंचे, जहां दिल्ली जल बोर्ड के अधिकारियों ने फूलों का गुलदस्ता देकर उनका स्वागत किया। इस दौरान डीजेबी के वरिष्ठ अधिकारियों ने प्लांट की विशेषताओं के बारे में विस्तार से जानकारी देते हुए कहा कि कोरोनेशन प्लांट की मदद से शक्ति नगर, कमला नगर, रूप नगर, दिल्ली विश्वविद्यालय परिसर, नेहरू विहार और विश्वविद्यालय के क्षेत्रों से निकलने वाले वेस्ट वाटर को ट्रीट किया जाएगा। इसके अलावा स्वरूप नगर, भलस्वा, संत नगर और वजीराबाद ग्रुप ऑफ कॉलोनियों जैसी अनधिकृत कॉलोनियों से निकलने वाले सीवेज का भी अब यहां उपचार किया जा सकेगा। इस पहल से यमुना की सफाई होगी। साथ ही पानी में ऑक्सीजन की वृद्धि होगी। पानी से तैरती अस्थायी ठोस सामग्री हट जाएगी। पोषक तत्वों के बढ़ने से वनस्पति और जलीय जीवों में वृद्धि होगी।
दिल्ली जल बोर्ड के अधिकारियों ने बताया कि उत्तरी दिल्ली की कॉलोनियों के सीवेज को कोरोनेशन प्लांट में उपचारित किया जाएगा, जिससे यमुना साफ होगी, क्योंकि अभी यह सीधे सप्लीमेंट्री नाले से यमुना में जाता है। इस परियोजना से भू-जल प्रदूषण को कम करने में मदद मिलेगी और भूमिगत जलभृतों के सेलिनेशन लेवल (लवण स्तर) में भी गिरावट आएगी। उपचारित पानी को सिंचाई, बागवानी, सड़क की धुलाई, झीलों के रिचार्जिंग आदि के लिए भी इस्तेमाल किया जा सकेगा। सरकार का मानना है कि गुणवत्तापूर्ण बुनियादी ढांचा दिल्ली के प्रत्येक नागरिक का अधिकार है और कोरोनेशन प्लांट शहर की पारिस्थितिक को ठीक करने में मदद करेगा। जो सीवेज सीधे सप्लीमेंट्री ड्रेन में गिरता था, उसे कोरोनेशन प्लांट में ट्रीट किया जाएगा। सीवेज को इंटरसेप्टर सीवर द्वारा इंटरसेप्ट किया जाएगा, जिसे सप्लीमेंट्री ड्रेन के साथ रखा जाएगा और सीवेज के पानी को बुराड़ी में मौजूद पंपिंग स्टेशन के माध्यम से कोरोनेशन प्लांट तक पहुंचाया जाएगा। इससे सप्लीमेंट्री ड्रेन, नजफगढ़ ड्रेन और यमुना के वेस्ट वाटर लोड में कमी आएगी।
*कोरोनेशन प्लांट की मुख्य विशेषताएं-*
कोरोनेशन प्लांट अत्याधुनिक तकनीक से सुसज्जित है, जो अपशिष्ट जल उपचार क्षमता को बढ़ाएगा। बड़े पैमाने पर दिल्ली में पानी के प्रदूषण पर लगाम लगाएगा।
1- कोरोनेशन प्लांट को जैव रासायनिक ऑक्सीजन मांग और टीएसएस-10 मिलीग्राम प्रति लीटर के अपशिष्ट प्रवाह मानकों के साथ नई तकनीक से बनाया गया है, जिसमें नाइट्रोजन, फास्फोरस हटाने के साथ-साथ कीट भी मारता है, जो केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के नए मानकों के अनुरूप निर्धारित किया गया है। बिजली उत्पादन के प्रावधान के साथ, इस संयंत्र को चिरस्थाई बनाया गया है।
2- स्काडा प्रणाली से प्लांट की निगरानी होगी और डेटा भी इस्तेमाल किया जा सकेगा। गाद एवं सीवेज के डी-वाटरिंग का प्रावधान है, जिससे इसे सुखाने वाले क्यारियों की आवश्यकता समाप्त हो जाती है। इसलिए यह नया प्लांट दूसरों से अधिक बेहतर काम करता है।
3- प्लांट में मेम्ब्रेन वाला गैस स्टोरेज टैंक भी बनाया गया है। इससे उत्पादित सामग्री को बेहतर तरीके से होल्ड करने के लिए मेंब्रेन-टाइप के गैस होल्डर्स का प्रावधान भी होगा। ये मेम्ब्रेन गैस होल्डर एनारोबिक डाइजेशन (अवायवीय पाचन) की प्रक्रिया के लिए महत्वपूर्ण है, क्योंकि यह संयंत्र को लगातार व बेहतर तरीके से संचालित करने के लिए बायोगैस उपलब्धता की नियमित आपूर्ति सुनिश्चित करेगा। इस संयंत्र से क्षेत्र की लगभग 23 लाख आबादी को लाभ होगा।
*कोरोनेशन प्लांट पर 515.07 करोड़ रुपए खर्च होगा*
कोरोनेशन प्लांट की कुल लागत करीब 515.07 करोड़ रुपए अनुमानित है। इसमें कैपिटल वर्क्स सिविल और ईएंडएम पर 414.78 करोड़ रुपए खर्च किया जाएगा, जबकि ओ एंड एम एक साल का डीएलपी और 10 साल का संचालन और रखरखाव पर करीब 100.29 करोड़ रुपए खर्च किया जाएगा। प्रोजेक्ट की लागत का 50 फीसद हिस्सा केंद्र सरकार वहन करेगी, जबकि 50 फीसद हिस्सा दिल्ली सरकार वहन करेगी।
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