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केजरीवाल सरकार राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली में लोगों को स्वच्छ और बेहतर गुणवत्ता वाले पानी की 24 घंटे आपूर्ति सुनिश्चित करने, जल प्रदूषण को कम करने और 2025 तक यमुना नदी की सफाई के लिए लगातार काम कर रही है। इसी कड़ी में बुधवार को मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल के निर्देश पर, दिल्ली जल बोर्ड (डीजेबी) के उपाध्यक्ष सौरभ भारद्वाज ने दिल्ली में विकसित की जा चुकी व निर्माणाधिन विभिन्न 7 परियोजनाओं की स्थिति का जायजा लिया। इस मौके पर सौरभ भारद्वाज ने बादशाहपुर ड्रेन आउटफॉल, पप्पन कलां झील, द्वारका डब्ल्यूटीपी झील, न्यू द्वारका डब्ल्यूटीपी, कोरोनेशन पिलर डब्ल्यूडब्ल्यूटीपी, रिठाला एसटीपी, रोहिणी एसटीपी व झील आदि परियोजनाओं का स्थलीय निरीक्षण किया।
*हरियाणा से आने वाले 95 एमजीडी दूषित पानी को इन-सीटू तकनीक से किया जाएगा ट्रीट*
मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल के निर्देश पर बुधवार सुबह डीजेबी के उपाध्यक्ष सौरभ भारद्वाज नजफगढ़ के पास स्थित बादशाहपुर ड्रेन आउटफॉल का निरीक्षण करने पहुंचे। उन्होंने बताया कि वर्तमान में 95 एमजीडी प्रदूषित पानी नजफगढ़ ड्रेन में छोड़ा जाता है, जो आखिर में यमुना में मिल जाता है। अब केजरीवाल सरकार ने हरियाणा से आने वाले 95 एमजीडी सीवेज के पानी को बादशाहपुर नाले के माध्यम से इन-सीटू तकनीक के जरिए ट्रीट करने का फैसला किया है। इससे यमुना नदी में गिरने वाले सीवेज के पानी और नए एसटीपी बनाने की लागत बचेगी।
*घटते भूजल स्तर को बढ़ाने के उद्देश्य से पप्पन कलां झील को किया जा रहा है विकसित*
पप्पन कलां झील सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट (एसटीपी) प्रोजेक्ट का जायजा लेने पहुंचे सौरभ भारद्वाज ने बताया कि क्षेत्र में घटते भूजल स्तर को बढ़ाने के उद्देश्य से पप्पन कलां एसटीपी में एक आर्टिफिशियल झील विकसित की जा रही है। 20 एमजीडी एसटीपी से उपचारित पानी झील में डाला जाएगा। पप्पन कलां झील का निर्माण वर्तमान में दो हिस्सों में किया जा रहा है, जहां झील-1 सात एकड़ में और झील-2 चार एकड़ के क्षेत्र में फैली है। झील-1 में पप्पन कलां सीवरेज ट्रीटमेंट प्लांट के ट्रीट हो रहे पानी को छोड़ा जाएगा और फिर झील-2 में पास किया जाएगा। वर्तमान में झील की खुदाई पूरी हो चुकी है और अब बीओडी को कम करने के लिए झील में एरिएटर्स लगाए जा रहे हैं।
*बीओडी लेवल को कम करने में मदद करेगी द्वारका डब्ल्यूटीपी झील*
द्वारका डब्ल्यूटीपी झील के स्थलीय निरीक्षण के दौरान सौरभ भारद्वाज ने बताया कि पप्पन कलां वॉटर ट्रीटमेंट प्लांट में भूजल स्तर को बढ़ाने के लिए द्वारका डब्ल्यूटीपी झील का निर्माण किया जा रहा है। पप्पनकलां की झील- 2 से ट्रीटेड वाटर को द्वारका डब्ल्यूटीपी झील की ओर मोड़ दिया जाएगा, ताकि पानी से बीओडी लेवल को और कम किया जा सके। बता दें, सीवर के शोधित पानी में दो बातों को देखा जाता है। पहला बीओडी और दूसरा सीओडी होता है। बीओडी ऑक्सीजन की मात्रा है जो एरोबिक स्थितियों के तहत कार्बनिक पदार्थों को विघटित करते हुए बैक्टीरिया द्वारा खपत होती है। वहीं, सीओडी पानी में कुल कार्बनिक पदार्थों के रासायनिक ऑक्सीकरण के लिए आवश्यक ऑक्सीजन की मात्रा है। बायोकेमिकल ऑक्सीजन डिमांड जितनी ज्यादा होगी, पानी की ऑक्सीजन उतनी तेजी से खत्म होगी और बाकी जीवों पर उतना ही खराब असर पड़ेगा। आसपास के वातावरण पर विपरीत असर पड़ता है। इसलिए केजरीवाल सरकार का मकसद पानी से बीओडी स्तर को कम से लेवल पर लाना है। इससे दिल्ली में पीने योग्य पानी की मांग और आपूर्ति के बीच के अंतर को कम कम करने में मदद मिलेगी। साथ ही शुद्ध पानी बोरवेल के माध्यम से निकाला जा सकेगा।
*द्वारका डब्ल्यूटीपी से साउथ-वेस्ट दिल्ली के इलाकों में पानी की मांग होगी पूरी*
द्वारका वाटर ट्रीटमेंट प्लांट (डब्ल्यूटीपी) का जायजा लेने पहुंचे डीजेबी के उपाध्यक्ष सौरभ भारद्वाज ने कहा कि इस डब्ल्यूटीपी के बनने के बाद द्वारका और आसपास के क्षेत्रों की पानी की मांग को पूरा किया जा सकेगा। परियोजना के पहले चरण में, एक 50 एमजीडी डब्ल्यूटीपी का निर्माण किया गया था, जोकि 2015 से चालू है। अब दूसरे चरण में मौजूदा डब्ल्यूटीपी से सटी जमीन पर ही 50 एमजीडी डब्ल्यूटीपी का निर्माण किया जा रहा है। ऐसे में भविष्य में कुल 100 एमजीडी एसटीपी के जरिए वाटर ट्रीट किया जाएगा।
*कोरोनेशन पिलर डब्ल्यूडब्ल्यूटीपी से दिल्ली की 23 लाख आबादी को मिलेगा फायदा*
सौरभ भारद्वाज ने बताया कि हाल ही में कोरोनेशन पिलर डब्ल्यूडब्ल्यूटीपी का उद्घाटन किया गया है। इस डब्ल्यूडब्ल्यूटीपी की प्रतिदिन 31.80 करोड़ लीटर वेस्टवाटर को ट्रीट करने की क्षमता है। यह यमुना नदी की सफाई की दिशा में दिल्ली सरकार एक बड़ा प्रभावशाली कदम है। कोरोनेशन पिलर वेस्ट वाटर ट्रीटमेंट प्लांट ( डब्ल्यूडब्ल्यूटीपी), कोरोनेशन पिलर ड्रेनेज जोन के लिए सीवेज ट्रीटमेंट की जरूरतों को पूरा करेगा। शक्ति नगर, कमला नगर, रूप नगर, दिल्ली विश्वविद्यालय परिसर, नेहरू विहार और विश्वविद्यालय के क्षेत्रों से उत्पन्न होने वाले अपशिष्ट जल का उपचार इस संयंत्र में किया जाएगा। इसके अलावा स्वरूप नगर, भलस्वा, संत नगर और वजीराबाद ग्रुप ऑफ कॉलोनियों जैसी अनधिकृत कॉलोनियों से उत्पन्न सीवेज का भी अब यहां उपचार किया जा सकेगा। जिससे इन क्षेत्रों में रहने वाले लगभग 23 लाख आबादी को फायदा मिलेगा।
उन्होंने बताया कि इन कॉलोनियों के सीवेज को कोरोनेशन पिलर वेस्ट वॉटर ट्रीटमेंट प्लांट में उपचारित किया जाएगा, जिससे यमुना साफ होगी क्योंकि अभी यह सीधे सप्लीमेंट्री नाले से यमुना में जाता है। संयंत्र को जैव रासायनिक ऑक्सीजन मांग और टीएसएस-10 मिलीग्राम प्रति लीटर के अपशिष्ट प्रवाह मानकों के साथ नवीनतम तकनीक से बनाया गया है, जिसमें नाइट्रोजन, फास्फोरस हटाने के साथ-साथ कीट भी मारता है, जो कि केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के नए मानकों के अनुरूप निर्धारित किया गया है।
*इरादतनगर में 100 एकड़ जमीन पर केजरीवाल सरकार विकसित करेगी झील*
सौरभ भारद्वाज ने बताया कि रिठाला एसटीपी दिल्ली जल बोर्ड की प्रमुख परियोजनाओं में से एक है। रिठाला एसटीपी के अपग्रेड होने से प्रदूषक तत्व बीओडी और टीएसएस का स्तर भी क्रमशः 15 मिलीग्राम/ली से घटकर 10 मिलीग्राम/ली और 20 मिलीग्राम/ली से 10 मिलीग्राम/ली हो जाएगा। केजरीवाल सरकार ने इरादतनगर में 100 एकड़ भूमि पर एक झील बनाने की भी योजना बनाई है, जिसमें रिठाला एसटीपी से उपचारित पानी को डाला जाएगा।
*लोगों के मनोरंजन के लिए टूरिस्ट स्पॉट बनेंगी रोहिणी झील*
रोहिणी एसटीपी व झील का जायजा लेने पहुंचे सौरभ भारद्वाज ने बताया कि रोहिणी झील और एसटीपी, दोनों 100 एकड़ जमीन पर है, जिसमें सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट 20 एकड़ पर और झील 80 एकड़ में विकसित की जा रही है। इस झील में एसटीपी से उपचारित पानी को एकत्रित किया जाएगा। साथ ही बरसात का पानी भी यहां पर एकत्रित किया जा सकेगा, जिससे आने वाले कुछ सालों में भूजल स्तर में बढ़ोतरी होगी। रोहिणी झील के कायाकल्प के लिए झील का सुंदरीकरण, भू-निर्माण और ट्रीटमेंट प्लांट्स का निर्माण किया जा रहा है। 80 एकड़ भूमि पर बनाई जाए रही रोहिणी झील को एक पर्यटन स्थल के रूप में विकसित किया जा है, ताकि यह लोगों के मनोरंजन के लिए टूरिस्ट स्पॉट बन सके। इसके पूरा होने के एक महीने बाद ही पर्यटकों के लिए ओपन किया जाएगा। इस झील को सुंदर बनाने के लक्ष्य को हासिल करने के लिए हम विशेषज्ञों की मदद भी ली जा रही हैं। ये सभी कार्य पर्यावरण के अनुसार ही हो रहे हैं।
*रोहिणी झील में होंगी विश्व स्तरीय सुविधाएं*
रोहिणी झील स्थल में प्राइमरी और सेकेंडरी, दो पैदल चलने के लिए पथ और 4.5 मीटर का एक जंगल का रास्ता भी होगा, जो झील के बीच से होकर गुजरेगा। यहां लगे कई पेड़-पौधे न केवल पर्यटकों को इसकी सुंदरता के लिए आकर्षित करेंगे बल्कि लोगों को प्रकृति के करीब आने का भी मौका मिलेगा। इसके साथ ही झील में कई विश्व स्तरीय सुविधाएं भी होंगी, जैसे पार्किंग स्पेस, कैफेटेरिया, चिल्ड्रन पार्क, एंट्रेंस प्लाजा, ग्रैंड स्टेप्ड प्लाजा आदि। झील स्थल पर एक स्टेप्ड वाटर गार्डन, वाटर एल्कोव्स और भारत में जल संचयन की कहानी बताने वाला एक आउटडोर म्यूजियम भी बनाया जाएगा। रोहिणी झील पिकनिक स्पॉट, दर्शनीय स्थल, खेलकूद के अलावा सुबह-शाम सैर और शारीरिक व्यायाम करने वाले लोगों के लिए भी एक बेहतर जगह होगी।
*दिल्लीवालों को बेहतर सुविधाएं देने की दिशा में लगातार काम कर रही केजरीवाल सरकार*
डीजेबी के उपाध्यक्ष सौरव भारद्वाज ने बताया कि दिल्ली सरकार दिल्ली में गुणवत्तापूर्ण बुनियादी ढांचा बनाने व समाज के हर तबके को बेहतर सुविधाएं देने की दिशा में विभिन्न परियजनाओं पर काम कर रही है। इन परियोजनाओं का उद्देश्य जल संरक्षण, जल प्रदूषण नियंत्रण, अंडरग्राउंड वाटर को रिचार्ज करना, दुर्गंध में कमी, दिल्ली के घरों में साफ पानी की आपूर्ति, यमुना की सफाई, प्राकृतिक कार्बन सिंक में वृद्धि कर इकोलॉजिकल सिस्टम को बनाए रखना है।
*यमुना को साफ करना केजरीवाल सरकार का मुख्य मकसद*
सौरव भारद्वाज ने कहा कि दिल्ली सरकार ने यमुना नदी को अगले तीन साल में पूरा साफ करने का लक्ष्य रखा है। इसके तहत दिल्ली के 100 फीसदी घरों को भी सीवर लाइन से जोड़ने का प्लान है। मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने फरवरी 2025 तक यमुना को साफ करने की जिम्मेदारी जल बोर्ड को दी है, जिस तरह दिल्ली सरकार ने स्कूलों और अस्पतालों का कायाकल्प किया, वैसे ही इस बार यमुना को भी प्राथमिकता के आधार पर साफ करना ही मुख्य मकसद है। यमुना क्लीनिंग सेल नए एसटीपी, डीएसटीपी का निर्माण, मौजूदा एसटीपी का 10/10 तक उन्नयन और क्षमता वृद्धि, अनधिकृत कालोनियों में सीवरेज नेटवर्क बिछाना, सेप्टेज प्रबंधन; ट्रंक/परिधीय सीवर लाइनों की गाद निकालना, पहले से अधिसूचित क्षेत्रों में सीवर कनेक्शन उपलब्ध कराना, आइएसपी के तहत नालों की ट्रैपिंग, नालियों का इन-सीटू ट्रीटमेंट आदि कार्यों कर रही हैं। ताकि दिल्लीवालों को कोई परेशानी न झेलनी पड़े। साथ ही जनका को बेहतर सुविधाएं मिलें।
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