समाचार ब्यूरो
01/06/2022  :  17:06 HH:MM
सतीश उपाध्याय ने नई दिल्ली नगरपालिका परिषद (एनडीएमसी) और ‘दिल्ली स्टेट लीगल सर्विसेज अथॉरिटी’ (DSLSA) द्वारा “पर्यावरण संरक्षण कानूनी सहायता परामर्शदाता” विषय पर आयोजित की गई एक संगोष्ठी में भाग लिया
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श्री सतीश उपाध्याय, उपाध्यक्ष - नई दिल्ली नगरपालिका परिषद (एनडीएमसी) ने दिल्ली स्टेट लीगल सर्विसेज अथॉरिटी (DSLSA) और एनडीएमसी द्वारा “पर्यावरण संरक्षण कानूनी सहायता परामर्शदाता” विषय पर आज सुबह एनडीएमसी कन्वेंशन सेंटर, नई दिल्ली में आयोजित की गई एक संगोष्ठी में भाग लिया I इस अवसर पर एनडीएमसी के अध्यक्ष श्री भूपिंदर सिंह भल्ला, जिला जज और सदस्य सचिव – DSLSA, श्री भारत पाराशर, दिल्ली उच्च न्यायालय और भारत का सर्वोच्च न्यायालय के वरिष्ट वकीलो के साथ संस्थापक निदेशक - कचरा क्लिनिक, प्रोजेक्ट मैनेजर - सूखा कचरा प्रबंधन (सेंटर फॉर एनवायरनमेंट एजुकेशन) एवं DSLSA के विशेष एवं अतिरिक्त सचिव ने भी भाग लिया । इस अवसर पर श्री उपाध्याय ने द्वीप प्रज्वलित किया और अपने स्वागत भाषण में कहा कि पर्यावरण एक ऐसा विषय है जिस पर जितनी बात की जाए कम ही होगी । उन्होंने कहा कि पर्यावरण के प्रति सभी लोगो की भागीदारी समान रूप से है चाहे वह आम आदमी हो या नगर पालिका के कर्मचारी । उन्होंने कहा की 5 जून, 2022 को हम “विश्व पर्यावरण दिवस” मनाने जा रहे हैं और इसलिए हम आज से हि पांच दिन के इस दिवस की कर रहे हैं । DSLSA ने जिन विषयों को आज उठाया है वो DSLSA के कार्यो से बहुत अलग भी है और जरूरी भी है । उन्होंने DSLSA को बधाई दी और कहा जिस प्रकार प्रधानमंत्री जी ने देश के नजरिये को बदला है उसी प्रकार DSLSA की यह मुहिम वाकई काबिले तारीफ है । श्री उपाध्याय ने नामांकित 120 स्वयंसेवकों के माध्यम से पर्यावरण संरक्षण के क्षेत्र में पहल करने के लिए DSLSA को बधाई दी। उन्होंने बताया कि ये स्वयंसेवक न केवल कानूनी उद्देश्य के लिए बल्कि पर्यावरण संरक्षण के लिए जनता के बीच जाकर उन्हे पर्यावरण के प्रति शिक्षित करने का भी कार्य करेंगे । उन्होंने कहा की हमें सबसे पहले अपने मौलिक अधिकारों और कर्तव्यों को जानना जरूरी है । उन्होंने कहा की अपने मौलिक अधिकारों को तो हर कोई जानना चाहता और परन्तु मौलिक कर्तव्यों के प्रति लोगों का रवैया उदासीन है क्यूँकि हर कोई चाहता है कि ये अधिकार मुझे चाहिये परन्तु कर्तव्यों का पालन कोई और करे हम नहीं । उन्होंने कहा की DSLSA को दिल्ली के कॉलेजों, विद्यालयों में एक मुहिम चलानी चाहिए जिसमें लोगों को मौलिक अधिकारों और कर्तव्यों के प्रति उचित जानकारी मिल सके । श्री उपाध्याय ने कहा कि पर्यावरण हम सब के लिए एक चुनौती है – चाहे वह जल, वायु, ध्वनि प्रदूषण हो । उन्होंने कहा कि इन सब के गलत इस्तेमाल के लिए कानून है परंतु लोगों को इसको जानने की जरूरत है और मुझे आशा है की DSLSA यहाँ पर एक अहम भूमिका निभा सकता है । श्री उपाध्याय ने कहा की NDMC दिल्ली के कुल क्षेत्रफल का 3% कवर करता है, लेकिन परिषद् का 64.5% क्षेत्र हरित आवरण है । उन्होंने बताया कि परिषद् क्षेत्र में 6 प्रमुख उद्यानों और 3 अंतरराष्ट्रीय संबंध स्मारक पार्कों के साथ यहां 5 गुलाब के बगीचे, 270 किमी लंबाई के 135 रास्ते, 8 नर्सरी, 3 हाई-टेक नर्सरी, 51 राउंड अबाउट, 3 हैप्पीनेस पार्क, विभिन्न स्थानों पर 24 वर्टिकल गार्डन, 123 आवासीय पार्क, 450 सीपीडब्ल्यूडी कॉलोनी पार्क और एक एनडीएमसी स्कूल ऑफ गार्डनिंग हैं । पर्यावरण को लेकर एनडीएमसी उपलब्धियो के बारे में जानकारी देते हुए कहा कि परिषद् ने अपने क्षेत्र में नए-नए सफल प्रयोग किये है जिसमें परिषद् के सभी बड़ा वृक्षों पर क्यूआर कोड लगाया है जो न केवल पेड़ो की उम्र की जानकारी देता है अपीतु उनकी विस्तृत जानकारी रखते है । परिषद् “ट्री एम्बुलेंस” के द्वारा बीमार पौधे और पेड़ो का इलाज करती है । परिषद् ने नई पहल और तरीको से अपने क्षेत्र को सवारा है जिसके लिए उद्यान विभाग ने अपने मालियों को विदेश तक से स्पेशल प्रशिक्षण भी दिलवाया है । उन्होंने बीते दिन आई तेज बारिश/तूफान का भी जिक्र किया जिसके कारण कई सैकड़ों पेड़ों और शाखाओं को हानि हुई जो की एक बहुत बडा चिंता का विषय है उन्होंने कहा की परिषद् की इस क्षेत्र में इतनी उपलब्धियाँ होने के बाद भी भविष्य में इस प्रकार की आपदा और चुनौतियों से कैसे बचा जाए, एक बार फिर से सोचने के जरूरत है ताकि पर्यावरण को आकस्मिक आने वाले भारी नुकसान से बचाया जा सके । श्री उपाध्याय ने आगे कहा कि परिषद् ने अपने मुख्यालय में प्लास्टिक का इस्तेमाल बिलकुल बंद कर दिया है । सरोजिनी नगर तथा परिषद् के अन्य क्षेत्रों में प्लास्टिक को लेकर अलग-अलग मुहिम चलाई गई हैं जिसमें प्लास्टिक लाओ बैग/मास्क ले जाओ आदि शामिल हैं । उन्होंने बताया कि परिषद् द्वारा अपने क्षेत्र के मार्केट ट्रेडर्स एसोसिएशन, निवासी कल्याण संघ, दुकानदारों को प्लास्टिक से पर्यावरण को होने वाले नुकसान के लिये समय-समय पर जागरूकता अभियान में भी शामिल किया जाता है । श्री उपाध्याय ने पानी की महत्ता के बारे में बताते हुए कहा कि मानव शरीर को रोजमर्रा की जिंदगी के लिए पानी की अत्यंत जरूरत होती इसलिए हमें इसके रीसायकल के बारे में सोचना चाहिए । उन्होंने कहा कि परिषद् अपने क्षेत्र में आने वाले मुख्य पार्को में सिंचाई के लिए 50 प्रतिशत अपनी पानी की जरुरत को सेवेज ट्रीटमेंट प्लांट से पूरा कर रही है । उन्होंने कहा परिषद् पहला ऐसा क्षेत्र होगा जिसे NDMC पूरी तरह “बिन-फ्री” बनाने जा रही है, जिसके लिए 26 जगहों पर अंडरग्राउंड बिन लगाए गए हैं और 36 और जगहों पर भी उन्हें लगाया जाएगा । उन्होंने कहा परिषद् ने यह संकल्प लिया है कि 146 मेगावाट का हाइड्रोपावर का समझौता किया है जिसके तहत 2024 तक परिषद् पूरी तरह ग्रीन एनर्जी का इस्तेमाल करेगा और वो पहला ऐसा निकाय होगा । उन्होंने सौर ऊर्जा को अधिक से अधिक के उपयोग में लाने का आग्रह किया । श्री उपाध्याय ने बताया कि जी-20 शिखर सम्मेलन अगले वर्ष दिल्ली में होगा । उन्होंने कहा कि एनडीएमसी के लिए आयोजन के समय नई दिल्ली क्षेत्र की सुंदरता का प्रदर्शन करना और नई दिल्ली क्षेत्र में प्रतिनिधियों का स्वागत करना एक प्रतिष्ठित क्षण होगा। इस उद्देश्य के लिए, परिषद् एक व्यापक विस्तृत रिपोर्ट बना रही है की किस प्रकार रखरखाव, मरम्मत, सौंदर्यीकरण को बढ़ाया जाए। श्री उपाध्याय ने कहा की “स्वच्छ भारत मिशन” के तहत, सार्वजनिक स्थान जैसे पार्किंग क्षेत्र, फुटपाथ, पार्क और सार्वजनिक प्लाजा का नियमित रखरखाव, सफाई और स्वच्छता क्षेत्र को बनाए रखने के लिए सबसे महत्वपूर्ण पहलू हैं और एक समर्पित हाउसकीपिंग टीम की आवश्यकता है । उन्होंने कहा कि परिषद् ने पर्यावरण में सुधार के लिए कनॉट प्लेस क्षेत्र के लिए यांत्रिक सफाई को मंजूरी दी है जिसके तहत जल्द ही कनॉट प्लेस की सड़कों, पार्किंग क्षेत्र, कॉरिडोर, पब्लिक प्लाजा की मैकेनाइज्ड स्वीपिंग और हाउसकीपिंग की जाएगी । श्री उपाध्याय ने कहा की हमें पर्यावरण को अपनाने की जरूरत है क्यूकि पर्यावरण की महत्ता ने भारतीय संस्कृति का रूप ही प्रदान नहीं किया अपितु देश के पर्यावरण संरक्षण के परिप्रेक्ष्य में एक अनोखी और अलौकिक पहचान भी दी है। उन्होंने कहा की हमें अपनी संस्कृति पर्यावरण धरोहर को संभाल के रखना है इसे बचाना है क्योंकि वेदों में भी हमें पृथ्वी माँ, गंगा माँ की पूजा करना सिखाया है। उन्होंने कहा कि हम अगर पर्यावरण की पूजा करते हैं तो संस्कृति की रक्षा के वाहक बन गए ।






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