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श्री सतीश उपाध्याय, उपाध्यक्ष - नई दिल्ली नगरपालिका परिषद (एनडीएमसी) ने गाँधी भवन, सत्यकम सभागार, सामाजिक विज्ञान संकाय, दिल्ली विश्वविद्यालय में “गाँधी को अपनाने की जरूरत है” विषय पर आयोजित एक संगोष्ठी में भाग लिया ।
इस अवसर पर मुख्य अतिथि, माननीय उपाध्यक्ष गांधी स्मृति और दर्शन समिति एवं पूर्व केंद्रीय मंत्री, भारत सरकार - श्री विजय गोयल जी तथा मंच में उपस्थित अन्य गणमान्य अतिथि माननीय रजिस्ट्रार यूनिवर्सिटी ऑफ़ दिल्ली - डॉ. विकास गुप्ता, माननीय दिल्ली महाविद्यालयों के डीन - प्रो.बलराम पाणि, माननीय सदस्य सचिव, भारतीय ऐतिहासिक अनुसंधान परिषद, प्रो.कुमार रत्नम एवं माननीय डीयूटीऐ अध्यक्ष – प्रो. ऐ क बागी तथा कई गणमान्य विशिष्ट लोगों ने भाग लिया और अपने विचारों को प्रस्तुत किया ।
श्री उपाध्याय ने अपने विचारों को प्रस्तुत करते हुए कहा कि गाँधी जी के विचार और पंडित दीन दयाल उपाध्याय के विचारो में काफी समानता है । उन्होंने कहा कि पंडित दीन दयाल उपाध्याय अंत्योदय, सामाजिक संरचना, प्रगति की बात किया करते थे । उन्होंने कहा कि अगर हम देखे तो दोनों के विचारों में काफी समानता है । इसलिये भारतीय जनता पार्टी ने उन्हें माना और उनके विचारों को हमने अपने संविधान में अपनाया । उन्होंने कहा ममता का भाव, समता का भाव, जाति को दूर करना, सर्वधर्म समभाव, अहिंसा आज की आवश्यकता है ।
उन्होंने कहा कि गाँधी जी के विचारों के प्रासंगिकता आज भी पूरे विश्व में है । उन्होंने कहा की मैं उस दिन का साक्षी हूँ, जिस दिन मोदी जी ने गाँधी जी के पदचिन्नो में वाल्मीकि बस्ती - मन्दिर मार्ग से “स्वच्छता अभियान” की शुरुवात की थी । उन्होंने कहा था की एक स्वछता यह है जो हमें साफ़-सफाई सिखाती है और दूसरी हमारी आतंरिक स्वच्छता है जो की भ्रष्टचार को समाप्त करना सिखाती है ।
श्री उपाध्याय ने कहा कि देश में सुचिता को ले कर आना यह मोदी जी ने ही किया । उन्होंने कहा कि हम सामाजिक संरचता की बात करते हैं गाँधी जी ने कहा की "सबका साथ सबका विकास" और आज इसी कदम हम चल रहे है ।
श्री उपाध्याय ने कहा की यह ख़ुशी की बात है और सयोग भी है आजादी के अमृत महोत्सव के साथ, दिल्ली विस्वविध्यालय शताब्दी वर्ष मना रहा है और हम सब इस सयोग के साक्षी हैं जो हमारे लिए बहुत बड़ी बात है ।
उन्होंने कहा कि गांधी जी एक विचार, एक परिवर्तन का नाम है। उन्होंने कहा कि “गांधीजी” और “गांधीवाद” हमेशा जितना हम जानते हैं उससे कहीं अधिक हैं। गांधीजी के राजनीतिक योगदान ने हमें स्वतंत्रता प्रदान की लेकिन उनकी विचारधाराओं ने इतने वर्षों के बाद भी आज भी भारत के साथ-साथ दुनिया को भी आलोकित किया है। उन्होंने कहा की वर्तमान समय में गांधीवाद की प्रासंगिकता पहले से कई अधिक हो गई है क्योंकि पिछले दिनों की तुलना में आज अहिंसा के गांधीवादी विचार की महत्वपूर्ण आवश्यकता है। उन्होंने कहा की उनके विचार सरकार के लिया मार्गदर्शन की तरह है जिसमें गरीबी उन्मूलन, सर्वधर्म और समाज को एक करना दिशा दर्शक के रूप में है ।
उन्होंने कहा की मुझे आशा है कि हम सभी यहाँ एकत्रित लोग गाँधी जी के विचारों को इसी तरह आगे भी प्रचारित और प्रसरति करेंगे और इससे भी पहले अपने जीवन में अमल लायेगे ।
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