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कोई भी राजनीतिक व्यक्ति कमेटी का सदस्य नहीं होना चाहिए: कालका, काहलों दिल्ली सिख गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी के अध्यक्ष स. हरमीत सिंह कालका व महासचिव स. जगदीप सिंह काहलों ने शिरोमणि गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी द्वारा बंदी सिंहों के मामले में बनाई गई 11 सदस्यीय कमेटी में राजनीतिक नेताओं को शामिल करने पर विरोध प्रकट करते हुए कहा है कि अकाली दल के अध्यक्ष सुखबीर सिंह बादल व इनकी पार्टी के दिल्ली के अध्यक्ष जत्थेदार हित किसी भी कीमत पर कमेटी सदस्य नहीं होने चाहिए तथा इस कमेटी में केवल कौम के धार्मिक नेता ही शामिल किए जाने चाहिए।
आज यहां एक प्रेस कॉन्फ्रेंस को संबोधित करते हुए हरमीत सिंह कालका, जगदीप सिंह काहलों व अन्य पदाधिकारियों ने कहा कि दिल्ली गुरुद्वारा कमेटी ने सदैव श्री अकाल तख्त साहिब से जारी आदेशों का पालन किया है और बंदी सिंहों की रिहाई के मामले में भी ज्ञानी हरप्रीत सिंह जत्थेदार श्री अकाल तख्त साहिब के आदेशों का पालन किया है। श्री अकाल तख्त साहिब के आदेशानुसार ही शिरोमणि गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी ने बंदी सिंहों की रिहाई के मामले में 9 सदस्यीय कमेटी का गठन किया पर आश्चर्यजनक रूप से 2 अन्य सदस्यों को शामिल करने की घोषणा की।
उन्होंने बताया कि 19 मई को बुलाई गई मीटिंग में जब हरियाणा सिख गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी के अध्यक्ष बाबा बलजीत सिंह दादूवाल ने कमेटी में राजनीतिक नेता को शामिल करने का विरोध किया तो दिल्ली के नेता परमजीत सिंह सरना ने सवाल किया कि कौन सा राजनीतिक नेता कमेटी का सदस्य है तो इस पर जत्थेदार दादूवाल ने सुखबीर सिंह बादल कर नाम लिया पर उस मौके पर ना केवल परमजीत सिंह सरना बल्कि मनजीत सिंह जी.के भी सुखबीर सिंह बादल भी समर्थन में आ गये।
उन्होंने कहा कि हमने सिंह साहिब के आदेशानुसार बंदी सिंहांे की रिहाई के लिए बनाई गई कमेटी को पूरा सहयोग देने की बात की है और जो जिम्मेदारी श्री अकाल तख्त साहिब ने लगाई है उसके प्रति हमारा कर्तव्य बनता है कि हम शिरोमणि कमेटी का पूर्ण सहयोग करें।
उन्होंने कहा कि ऐसा प्रतीत होता है कि यह बंदी सिंहों की रिहाई कमेटी न होकर स्वयं एक राजनीतिक पार्टी के बचाव के लिए किया जा रहा प्रयास है।
उन्होंने कहा इससे भी आगे आश्चर्यजनक बात यह है कि 19 मई को बुलाई गई मीटिंग में यह निर्णय हुआ था कि कमेटी की मीटिंग के बारे में कोई मीडिया में बातचीत नहीं करेगा मगर दिल्ली के नेता स. परमजीत सिंह सरना ने इस समझौते का केवल उल्लंघन ही नहीं किया बल्कि कमेटी में क्या बातचीत हुई उसके तथ्य तोड़ मरोड़ कर मीडिया में पेश किये। उन्होंने बताया कि यहीं बस नहीं बल्कि जब 19 मई को मीटिंग हुई थी तो दिल्ली कमेटी ने दो सदस्यों को शामिल करने पर एतराज जताया था जिसके जवाब में शिरोमणि कमेटी के अध्यक्ष एडवोकेट हरजिंदर सिंह धामी ने कहा था कि आपकी आपत्ति दर्ज कर ली गई है पर इस मामले में कोई कार्रवाई नहीं की गई। स. कालका ने बताया कि उन्होंने मांग करते हुए कहा था कि इन सदस्यों को शामिल करने के संबंध में उनकी चिट्ठी को आधार बना कर प्रस्ताव पास किया जाए तो इस बारे में भी शिरोमणि कमेटी के अध्यक्ष ने कोई ध्यान नहीं दिया।
सरना बंधुओं व मनजीत सिंह जी.के पर हमला बोलते हुए कालका व काहलों ने बताया कि हम सवाल पूछना चाहते हैं कि जो बादल बरगाड़ी व बहिबल कलां के दोषी हैं तथा सरना बंधू और जी.के पिछले लंबे समय से इस मामले में उनके खिलाफ बोलते आये हैं वह जवाब दें कि क्या बादल अब बरी हो गये हैं? उन्होंने कहा कि अमृतसर से 328 स्वरूप गायब होने के बारे में अब तक कोई प्रत्यक्ष बयान नहीं आया।
उन्होंने यह भी कहा कि जो पुलिस के अधिकारी सिखों के खिलाफ काम करते थे ऐसे सुमेध सैनी जैसे अफसरों को तो सुखबीर सिंह बादल ने गृह मंत्री होते हुए डी.जी.पी नियुक्त किया था। यहीं बस नहीं बल्कि अकाली दल की सरकार के समय जो कोई बापू सूरत सिंह व गुरबख्श सिंह जैसा बंदी सिंहों की बात करना था तो उसे सलाखों के पीछे भेज दिया जाता था।
दोनों नेताओं ने अंत में कहा कि दिल्ली कमेटी ने जत्थेदार अकाल तख्त साहिब व शिरोमणि कमेटी अध्यक्ष से अनुरोध किया है कि राजनीति व्यक्ति कमेटी से बाहर किये जाएं और अगर उनकी बात नहीं सुनी गई तो फिर इस मामले में दिल्ली कमेटी निश्चित तौर पर अपना रोष प्रकट करेगी।
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