समाचार ब्यूरो
20/04/2022  :  19:35 HH:MM
साहित्य अकादेमी द्वारा पर्यावरण और साहित्य विषयक परिसंवाद का आयोजन
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साहित्य अकादेमी द्वारा मनाए जा रहे स्वच्छता पखवाड़े के अंतर्गत आज पर्यावरण और साहित्य विषयक परिसंवाद का आयोजन किया गया। परिसंवाद के मुख्य अतिथि प्रख्यात समाजसेवी एवं सुलभ इंटरनेशनल के संस्थापक विंदेश्वर पाठक ने अपनी बात शुरू करने से पहले हिंदी कवि कुँवर नारायण एवं आलोक धन्वा की पर्यावरण संबंधी कविताओं को प्रस्तुत करते हुए कहा कि पूरे विश्व साहित्य में प्रकृति को जीवनदायनी के रूप में चित्रित किया गया है, लेकिन पिछले कुछ दशकों से प्रकृति का बदला हुआ रूप हमें उसके संरक्षण के लिए और सजग होने की चेतावनी दे रहा है। प्रकृति और पर्यावरण एक दूसरे के पूरक हैं और उनकी रक्षा की जानी बेहद जरूरी है। उन्होंने पर्यावरण-सुरक्षा के लिए समाज को दिए गए विकल्पों की भी विस्तार से चर्चा की। विशिष्ट अतिथि के रूप में पधारे प्रख्यात पत्रकार एवं भाषासेवी राहुल देव ने कहा कि साहित्य में प्रकृति तो हमेशा से महत्त्वपूर्ण रही है लेकिन पर्यावरण को लेकर इधर कोई विशिष्ट रचनाएँ सामने नहीं आईं। पिछले कुछ दशकों में पर्यावरणीय की चिंता बढ़ी तो है लेकिन अभी यह विषय हिंदी साहित्य में उपेक्षित ही है। अब हमें प्रकृति का निजी सुख के लिए नहीं बल्कि उसकी सुरक्षा के लिए आगे आकर कार्य करना होगा। भारत जैसे विकासशील देश के लिए पर्यावरण चेतना का होना अत्यंत आवश्यक है। प्रख्यात लेखिका अलका सिन्हा ने कहा कि हमारे साहित्य में प्रकृति संवाद करती है, लेकिन अब इस संवाद की भाषा बदलने की जरूरत है। अर्थात अब हमें प्रकृति को बचाने के लिए जागरूक होना है। साहित्यकारों के साथ-साथ अब पाठकों को भी सक्रिय और जागरूक होने की जरूरत है। प्रवासी संसार पत्रिका के संपादक और गाँधी साहित्य के अध्ययनकर्ता राकेश पांडेय ने कहा कि अगर साहित्य में पर्यावरण पर कम लिखा गया है तो उसके पढ़ने वाले पाठक भी कम है। उन्होंने कई कवियों द्वारा छिन्न-भिन्न होते पर्यावरण पर लिखी गई कविताओं को प्रस्तुत किया। कार्यक्रम के अध्यक्ष प्रख्यात साहित्यकार बी.एल. गौड़ ने अंत में सभी वक्ताओं का धन्यवाद देते हुए कहा कि प्रकृति का दोहन सीमित होने पर ही पर्यावरण की सुरक्षा हो सकती है। उन्होंने पर्यावरण संबंधी एक स्वरचित कविता से अपने वक्तव्य का समापन किया। कार्यक्रम के आरंभ में साहित्य अकादेमी के सचिव के. श्रीनिवासराव ने सभी आमंत्रित अतिथियों का स्वागत अंगवस्त्रम एवं साहित्य अकादेमी की पुस्तकें भेंट करके किया। उन्होंने अपने स्वागत वक्तव्य में कहा कि साहित्य सृजन की प्रेरणा प्रकृति और पर्यावरण से ही प्राप्त होती है। अतः अब हमें प्रकृति और पर्यावरण की रक्षा करने के उपाय करने होंगे अन्यथा जो प्रकृति हमें भावों से भरती रही है, वह भावहीन होकर रह जाएगी। कार्यक्रम का संचालन अकादेमी के संपादक (हिंदी) अनुपम तिवारी ने किया।






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