यूक्रेन-रूस युद्ध के बीच जब लगभग सभी बड़े देश रूस से आयातित तेल और प्राकृतिक गैस पर अपनी निर्भरता कम करते जा रहे हैं, इसी बीच में मार्च महीने में भारत में रूस से तेल के आयात में चार-गुना वृद्धि हो गयी है। इसका कारण है, रूस भारत को अंतर्राष्ट्रीय दामों की तुलना में बहुत सस्ते दामों पर तेल दे रहा है। सबसे आश्चर्य तो यह है कि जिस दिन भारत द्वारा रूस से सस्ते दामों में तेल खरीदने का समाचार आया, उसके दो दिनों बाद से देश में पेट्रोल और डीजल के दामों में बेतहाशा वृद्धि होने लगी है और रसोई गैस के दामों में सीधे 50 रुपये प्रति सिलिंडर की वृद्धि की भी घोषणा होने लगी। जाहिर है, मोदी राज में सस्ते तेल को खरीद कर उसे बेतहाशा कीमतों पर बेचने का पुराना फार्मूला फिर से लागू कर दिया गया है। इस फार्मूला पर लगाम केवल सत्ता को हड़पने के लिए ही कुछ दिनों के लिए लगाया जाता है।
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