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.. जनà¥à¤®à¤¦à¤¿à¤µà¤¸ 03 अगसà¥à¤¤ के अवसर पर ..
मà¥à¤‚बई- मशहूर शायर और गीतकार शकील बदायूंनी आज हमारे बीच नहीं
हैं लेकिन उनके लिखे गीत आज à¤à¥€ संगीत पà¥à¤°à¥‡à¤®à¤¿à¤¯à¥‹à¤‚ के जेहन जिंदा हैं।
शकील बदायूंनी का अपनी जिंदगी
के पà¥à¤°à¤¤à¤¿ नजरिया उनकी रचित इन पंकà¥à¤¤à¤¿à¤¯à¥‹à¤‚ मे समाया हà¥à¤† है।
मैं शकील दिल का हूं तरà¥à¤œà¥à¤®à¤¾, कि मोहबà¥à¤¬à¤¤à¥‹à¤‚ का
हूà¤
राजदान मà¥à¤à¥‡ फखà¥à¤°à¤¹à¥ˆ मेरी शायरी मेरी जिंदगी से जà¥à¤¦à¤¾ नहीं
उतà¥à¤¤à¤° पà¥à¤°à¤¦à¥‡à¤¶ के बदांयू कसà¥à¤¬à¥‡ में 03 अगसà¥à¤¤ 1916
को जनà¥à¤®à¥‡à¤‚ शकील अहमद उरà¥à¤« शकील बदायूंनी बी.ठपास करने के बाद वरà¥à¤· 1942
में दिलà¥à¤²à¥€ पहà¥à¤‚चे जहां उनà¥à¤¹à¥‹à¤¨à¥‡à¤‚ आपूरà¥à¤¤à¤¿ विà¤à¤¾à¤— में आपूरà¥à¤¤à¤¿ अधिकारी के रूप
में अपनी पहली नौकरी की। इस बीच वह मà¥à¤¶à¤¾à¤¯à¤°à¥‹à¤‚ में à¤à¥€ हिसà¥à¤¸à¤¾ लेते रहे जिससे उनà¥à¤¹à¥‡à¤‚
पूरे देश à¤à¤° मे शोहरत हासिल हà¥à¤ˆà¥¤à¤…पनी शायरी की बेपनाह कामयाबी से उतà¥à¤¸à¤¾à¤¹à¤¿à¤¤ शकील
बदायूंनी ने नौकरी छोड़ दी और वरà¥à¤· 1946 में दिलà¥à¤²à¥€ से
मà¥à¤‚बई आ गये। मà¥à¤‚बई में उनकी मà¥à¤²à¤¾à¤•à¤¾à¤¤ उस समय के मशहूर निरà¥à¤®à¤¾à¤¤à¤¾ à¤.आर. कारदार उरà¥à¤«
कारदार साहब और महान संगीतकार नौशाद से हà¥à¤¯à¥€à¥¤
नौशाद के कहने पर शकील ने "हम दिल काअफसाना दà¥à¤¨à¤¿à¤¯à¤¾ को सà¥à¤¨à¤¾ देंगे। हर दिल
मे मोहबà¥à¤¬à¤¤ की आग लगा देंगे" गीत लिखा। यह गीत नौशाद साहब को काफी पसंद आया
जिसके बाद उनà¥à¤¹à¥‡à¤‚ तà¥à¤‚रत ही कारदार साहब की 'दरà¥à¤¦' के लिये साइन कर
लिया गया। वरà¥à¤· 1947 में अपनी पहली ही फिलà¥à¤® 'दरà¥à¤¦' के गीत
"अफसाना लिख रही हूं" की अपार सफलता से शकील कामयाबी के शिखर पर जा
बैठे।
शकील बदायूंनी ने सबसे जà¥à¤¯à¤¾à¤¦à¤¾ फिलà¥à¤®à¥‡à¤‚ संगीतकार नौशाद के साथ ही की। शकील
बदायूंनी और नौशाद की जोड़ी वाले गीतों में कà¥à¤› है तू मेरा चांद मैं तेरी चांदनी, सà¥à¤¹à¤¾à¤¨à¥€ रात ढल
चà¥à¤•à¥€, वो दà¥à¤¨à¤¿à¤¯à¤¾ के रखवाले जैसे गीत आज à¤à¥€
लोगों को याद हैं।इसके अलावा दो सितारो का जमीं पे है मिलन आज की रात, मधà¥à¤¬à¤¨ में
राधिका नाची रे, जब पà¥à¤¯à¤¾à¤° किया तो डरना कà¥à¤¯à¤¾, नैन लड़ जइहें
तो मन वा मे कसक होइबे करी, दिल तोड़ने वाले
तà¥à¤à¥‡ दिल ढूंढ रहा है, तेरे हà¥à¤¸à¥à¤¨ की
कà¥à¤¯à¤¾ तारीफ करू, दिलरूबा मैंने तेरे पà¥à¤¯à¤¾à¤° मे कà¥à¤¯à¤¾ कà¥à¤¯à¤¾
न किया जैसे गीत हिंदी फिलà¥à¤®à¥‹à¤‚ के इतिहास के अमर गीत बन गà¤à¥¤
शकील बदायूंनी को अपने गीतों के लिये तीन बार फिलà¥à¤® फेयर अवारà¥à¤¡ से नवाजा गया।
फिलà¥à¤®à¥€à¤‚ गीतों के अलावे शकील ने कई गायकों के लिये गजल à¤à¥€ लिखी हैं। सबसे जà¥à¤¯à¤¾à¤¦à¤¾
गजलें उनà¥à¤¹à¥‹à¤‚ने पंकज उधास के लिठलिखी हैं। लगà¤à¤— 54 वरà¥à¤· की उमà¥à¤°, में 20
अपà¥à¤°à¥ˆà¤² 1970 को शकील इस दà¥à¤¨à¤¿à¤¯à¤¾ को अलविदा कह गये।
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