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वसà¥à¤¤à¥ à¤à¤µà¤‚ सेवा कर आसूचना महानिदेशालय (डीजीजीआई), गाजियाबाद कà¥à¤·à¥‡à¤¤à¥à¤°à¥€à¤¯ इकाई ने à¤à¤• à¤à¤¸à¥‡ सिंडीकेट का à¤à¤‚डाफोड़ किया है, जो फरà¥à¤œà¥€ फरà¥à¤®à¥‡à¤‚ बनाकर जाली बिल जारी करता था। इस फरà¥à¤œà¥€à¤µà¤¾à¤¡à¤¼à¥‡ में यह सिंडीकेट बिना कोई माल à¤à¥‡à¤œà¥‡ या सेवा दिये ही जीà¤à¤¸à¤Ÿà¥€ रिफंड को à¤à¥à¤¨à¤¾ लेता था।
सटीक गोपनीय सूचना मिलने के बाद, दो परिसरों की छानबीन की गई, जहां से विà¤à¤¿à¤¨à¥à¤¨ आपतà¥à¤¤à¤¿à¤œà¤¨à¤• दसà¥à¤¤à¤¾à¤µà¥‡à¤œ/वसà¥à¤¤à¥à¤¯à¥‡à¤‚ मिलीं, जो 200 से जà¥à¤¯à¤¾à¤¦à¤¾ फरà¥à¤œà¥€ फरà¥à¤®à¥‹à¤‚ से समà¥à¤¬à¤‚धित थीं, यानी मोबाइल फोन, डिजिटल हसà¥à¤¤à¤¾à¤•à¥à¤·à¤°, डेबिट कारà¥à¤¡, पैन कारà¥à¤¡, आधार कारà¥à¤¡, लोगों की फोटो, किरायेदारी समà¤à¥Œà¤¤à¤¾, लैपटॉप, पेन डà¥à¤°à¤¾à¤‡à¤µ, मà¥à¤¹à¤°à¥‡à¤‚, दफà¥à¤¤à¤° की चाबियां, सिम कारà¥à¤¡, चेक-बà¥à¤• और कà¥à¤› कचà¥à¤šà¥‡ दसà¥à¤¤à¤¾à¤µà¥‡à¤œà¥¤
गहराई से पड़ताल करने पर पता चला कि इस फरà¥à¤œà¥€à¤µà¤¾à¤¡à¤¼à¥‡ में कà¥à¤²à¤¾à¤‰à¤¡ पà¥à¤°à¤£à¤¾à¤²à¥€ का इसà¥à¤¤à¥‡à¤®à¤¾à¤² किया जाता था। इन सबको जमा किया गया। आंकड़ों और सबूतों का विशà¥à¤²à¥‡à¤·à¤£ करने पर यह बात सामने आई कि इस गोरखधंधे में 275 फरà¥à¤œà¥€ फरà¥à¤®à¥‡à¤‚ हैं, जो सिरà¥à¤« कागज पर मौजूद हैं। ये फरà¥à¤œà¥€ फरà¥à¤®à¥‡à¤‚ जाली बिल जारी करती थीं। इस तरह कà¥à¤² 3,189 करोड़ रà¥à¤ªà¤¯à¥‡ के जाली बिल मिले हैं, जिनके जरिये 362 करोड़ रà¥à¤ªà¤¯à¥‡ की जीà¤à¤¸à¤Ÿà¥€ की चोरी की गई।
फरà¥à¤œà¥€ फरà¥à¤®à¥‡à¤‚ बनाने की नीयत से लोगों के पहचान-पतà¥à¤° जमा करने का काम करने वाले सरगना का नाम टिंकू यादव है, जिसे पहले ही गिरफà¥à¤¤à¤¾à¤° किया जा चà¥à¤•à¤¾ है। टिंकू यादव ने जो सूचना दी और कई आईपी à¤à¤¡à¥à¤°à¥‡à¤¸à¥‹à¤‚ की जांच करने पर वासà¥à¤¤à¤µà¤¿à¤• मासà¥à¤Ÿà¤°-माइंड लोगों का पता चल गया, जिनके नाम विपिन कà¥à¤®à¤¾à¤° उरà¥à¤« निकà¥à¤•à¥‚ और योगेश मितà¥à¤¤à¤² हैं। इन दोनों को à¤à¥€ गिरफà¥à¤¤à¤¾à¤° कर लिया गया है। पता चला है कि विपिन कà¥à¤®à¤¾à¤° गà¥à¤ªà¥à¤¤à¤¾ और योगेश मितà¥à¤¤à¤² आदतन अपराधी हैं। दोनों अपराधियों को पहले à¤à¥€ राजसà¥à¤µ आसूचना निदेशालय (डीआरआई) और पà¥à¤°à¤µà¤°à¥à¤¤à¤¨ निदेशालय (ईडी) ने गिरफà¥à¤¤à¤¾à¤° किया है।
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