समाचार ब्यूरो
04/03/2022  :  17:31 HH:MM
एसओएल द्वारा विरोध प्रदर्शनों पर रोक लगाने वाले छात्र विरोधी, गैरकानूनी फरमान की केवाईएस करता है कड़ी भर्त्सना!
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विरोध करना हमारा जनवादी संवैधानिक अधिकार है, जो किसी भी गैर-कानूनी आदेश द्वारा छीना नहीं जा सकता: केवाईएस! केवाईएस ने एसओएल और डीयू द्वारा छात्रों को धमकाने के प्रयासों के खिलाफ आंदोलन तेज करने का प्रण लिया!

क्रांतिकारी युवा संगठन (केवाईएस) दिल्ली यूनिवर्सिटी के स्कूल ऑफ ओपन लर्निंग (एसओएल) के हालिया आदेश की कड़ी निंदा करता हैजिसमें कहा गया है कि एसओएल के भीतर और बिल्डिंग के 200 मीटर के अंदर कोई विरोध प्रदर्शन नहीं किया जा सकता है। यह आदेश न सिर्फ छात्र विरोधी और मनमाना हैसाथ ही इसमें माननीय हाई कोर्ट के आदेश को गलत रूप से पेश किया गया है। यह माननीय उच्च न्यायालय की आपराधिक अवमानना भी है। (एसओएल द्वारा विरोध प्रदर्शन रोकने के लिए जारी किया नोटिस और माननीय हाई कोर्ट का असल आदेश संलग्न है।)

यह मनमाना और छात्र विरोधी आदेश ऐसे समय में आया है जब एसओएल प्रशासन केवाईएस की अगुआई में चल रहे एसओएल छात्रों के आंदोलन से घिरा है। यह ज्ञात हो कि एसओएल में लंबे समय से विभिन्न प्रकार की दिक्कतें और भ्रष्टाचार बना हुआ है। केवाईएस ने अपने लगातार संघर्ष से एसओएल में व्यापत भ्रष्टाचार को बार-बार उजागर किया गया है।

पिछले महीने सेडीयू खुलने के बादकेवाईएस ने एसओएल प्रशासन पर ऑफलाइन क्लासेज करवाने के लिए और पूरा प्रिंटेड स्टडी मटेरियल देने के लिए दबाव बनाया है। यह साफ है कि प्रशासन समयबद्ध तरीके से यह करवाने में असमर्थ है क्योंकि एसओएल में भारी भ्रष्टाचार व्याप्त है। पिछले दो हफ्तों में केवाईएस ने एसओएल की उदासीनता के खिलाफ दो विरोध प्रदर्शनों का आयोजन किया था। इनमें से एक प्रदर्शन के दौरानछात्रों के एक प्रतिनिधिमंडल एसओएल अधिकारियों द्वारा कैद कर के पीटा गया। साफ है कि छात्र आंदोलन से भयभीत हो कर एसओएल प्रशासन छात्रों को ऐसे मनमाने आदेशों से छात्रों को डराने-धमकाने की कोशिश कर रहा है।

विरोध करना हमारा संवैधानिक अधिकार है जो हमें संविधान के अनुच्छेद 19 द्वारा सुनिश्चित किया गया हैऔर इस संबंध में सुप्रीम कोर्ट और हाई कोर्ट के बहुत से आदेश हैं । इस अधिकार को एसओएल द्वारा जारी किसी गैरकानूनी आदेश द्वारा हमसे नहीं छीना जा सकता है।

है। केवाईएस एसओएल के इस गैरकानूनी आदेश की कड़ी भर्त्सना करता है और आने वाले दिनों में एसओएल द्वारा माननीय हाई कोर्ट के ऑर्डर को गलत रूप में दर्शा कर उसकी अवमानना करने के मामले को उच्च आधिकारियों तक ले कर जाएगा। साथ ही, à¤¡à¥€à¤¯à¥‚ प्रशासन द्वारा तुरंत इस तरह के गैर-कानूनी आदेश देने वाले एसओएल के कार्यकारी प्रिन्सिपल को तुरंत उनके पद से हटाना चाहिए। अपनी वाजिब मांगे उठाने वाले छात्रों को धमकाने की एसओएल प्रशासन की इस कोशिश के लिए उसको और डीयू को सार्वजनिक माफी मांगनी चाहिए। केवाईएस आने वाले दिनों में एसओएल प्रशासन के भ्रष्टाचार को पर्दाफाश करने और एसओएल छात्रों के अधिकारों के लिए आंदोलन को आगे बढ़ाएगा।






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