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कांगà¥à¤°à¥‡à¤¸ महासचिव पà¥à¤°à¤¿à¤¯à¤‚का गांधी ने दलित व अति पिछड़े वरà¥à¤— के अधिकारों के लिठलगातार आवाज़ उठाई है। उनà¥à¤¹à¥‹à¤‚ने अपने घोषणा पतà¥à¤° में à¤à¥€ दलित व अति पिछड़े वरà¥à¤— के लिठकाफ़ी दूरगामी परिणामों वाली घोषणाà¤à¤‚ की हैं। कबीर चौरा मठका ठिकाना पà¥à¤°à¤¿à¤¯à¤‚का के संघरà¥à¤·à¥‹à¤‚ और सामाजिक नà¥à¤¯à¤¾à¤¯ को मज़बूत करने के उनके पà¥à¤°à¤¯à¤¾à¤¸à¥‹à¤‚ को लेकर à¤à¤• बड़ा संदेश देगा।कबीर चौरा मठमें संत कबीरदास जी ने अपना पूरा जीवन बिताया था। ये मठकबीरदास की शिकà¥à¤·à¤¾à¤“ं, संदेशों à¤à¤µà¤‚ सà¥à¤®à¥ƒà¤¤à¤¿à¤¯à¥‹à¤‚ का केंदà¥à¤° है। देशà¤à¤° के कबीरपंथियों और कबीरदास जी को मानने वाले लोगों के लिठकबीर चौरा मठà¤à¤• मà¥à¤–à¥à¤¯ आकरà¥à¤·à¤£ का केंदà¥à¤° है। 1934 में महातà¥à¤®à¤¾ गांधी जी का à¤à¥€ इस मठमें आगमन हà¥à¤† था। यहां पूरà¥à¤µ पà¥à¤°à¤§à¤¾à¤¨à¤®à¤‚तà¥à¤°à¥€ पंडित जवाहरलाल नेहरू à¤à¥€ कई बार आ चà¥à¤•à¥‡ हैं। इसके अलावा राषà¥à¤Ÿà¥à¤°à¤•à¤µà¤¿ रविंदà¥à¤°à¤¨à¤¾à¤¥ टैगोर इसे अपना डेरा बनाते थे।कहा जा रहा है कि वाराणसी में कबीर चौरा मठको अपना ठिकाना बनाकर कांगà¥à¤°à¥‡à¤¸ महासचिव पà¥à¤°à¤¿à¤¯à¤‚का गांधी ने à¤à¤• बहà¥à¤¤ बड़ा राजनीतिक संदेश दिया है। संत कबीर दास जी के सामाजिक नà¥à¤¯à¤¾à¤¯ à¤à¤µà¤‚ समानता के संदेश से उतà¥à¤¤à¤°à¤ªà¥à¤°à¤¦à¥‡à¤¶ का दलित à¤à¤µà¤‚ अति पिछड़ा वरà¥à¤— बहà¥à¤¤ जà¥à¤¡à¤¼à¤¾à¤µ रखता है। उतà¥à¤¤à¤°à¤ªà¥à¤°à¤¦à¥‡à¤¶ के सांतवें फ़ेज में जहां चà¥à¤¨à¤¾à¤µ होना (पूरà¥à¤µà¤¾à¤‚चल) है, उन जगहों पर अति पिछड़ी जातियों à¤à¤µà¤‚ दलितों की संखà¥à¤¯à¤¾ अचà¥à¤›à¥€-ख़ासी है।
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