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आजादी का अमृत महोतà¥à¤¸à¤µ के ततà¥à¤µà¤¾à¤µà¤§à¤¾à¤¨ में संसà¥à¤•à¥ƒà¤¤à¤¿ मंतà¥à¤°à¤¾à¤²à¤¯, à¤à¤¾à¤°à¤¤ सरकार ने इंदिरा गांधी राषà¥à¤Ÿà¥à¤°à¥€à¤¯ कला केंदà¥à¤° (आईजीà¤à¤¨à¤¸à¥€à¤) और यूनेसà¥à¤•à¥‹ नई दिलà¥à¤²à¥€ कà¥à¤²à¤¸à¥à¤Ÿà¤° कारà¥à¤¯à¤¾à¤²à¤¯ के सहयोग से इंदिरा गांधी राषà¥à¤Ÿà¥à¤°à¥€à¤¯ कला केंदà¥à¤°, नई दिलà¥à¤²à¥€ में अंतरराषà¥à¤Ÿà¥à¤°à¥€à¤¯ मातृà¤à¤¾à¤·à¤¾ दिवस के अवसर पर दो दिवसीय कारà¥à¤¯à¤•à¥à¤°à¤® की शà¥à¤°à¥à¤†à¤¤ की। à¤à¤¾à¤·à¤¾à¤¯à¥€ और सांसà¥à¤•à¥ƒà¤¤à¤¿à¤• विविधता के बारे में जागरूकता बढ़ाने और बहà¥à¤à¤¾à¤·à¤¾à¤µà¤¾à¤¦ को बढ़ावा देने के लिठदà¥à¤¨à¤¿à¤¯à¤¾à¤à¤° में हर साल 21 फरवरी को अंतरराषà¥à¤Ÿà¥à¤°à¥€à¤¯ मातृà¤à¤¾à¤·à¤¾ दिवस मनाया जाता है। इस विशेष दिन को मनाने के लिठहर साल यूनेसà¥à¤•à¥‹ à¤à¤• अनूठी थीम चà¥à¤¨à¤¤à¤¾ है। साल 2022 का विषय है: 'बहà¥à¤à¤¾à¤·à¥€ शिकà¥à¤·à¤¾ के लिठपà¥à¤°à¥Œà¤¦à¥à¤¯à¥‹à¤—िकी का उपयोग: चà¥à¤¨à¥Œà¤¤à¤¿à¤¯à¤¾à¤‚ और अवसर', यह बहà¥à¤à¤¾à¤·à¥€ शिकà¥à¤·à¤¾ और सà¤à¥€ के सीखने व गà¥à¤£à¤µà¤¤à¥à¤¤à¤¾à¤ªà¥‚रà¥à¤£ शिकà¥à¤·à¤£ के विकास को आगे बढ़ाने में पà¥à¤°à¥Œà¤¦à¥à¤¯à¥‹à¤—िकी की संà¤à¤¾à¤µà¤¿à¤¤ à¤à¥‚मिका पर केंदà¥à¤°à¤¿à¤¤ है।
संसà¥à¤•à¥ƒà¤¤à¤¿ सचिव, शà¥à¤°à¥€ गोविंद मोहन; शà¥à¤°à¥€ à¤à¤°à¤¿à¤• फालà¥à¤Ÿ, निदेशक, यूनेसà¥à¤•à¥‹ कà¥à¤²à¤¸à¥à¤Ÿà¤° ऑफिस, नई दिलà¥à¤²à¥€ और पà¥à¤°à¤¸à¤¿à¤¦à¥à¤§ गीतकार और कवि पà¥à¤°à¤¸à¥‚न जोशी इस अवसर पर उपसà¥à¤¥à¤¿à¤¤ थे।
गणमानà¥à¤¯ अतिथियों के अà¤à¤¿à¤¨à¤‚दन के साथ कारà¥à¤¯à¤•à¥à¤°à¤® की शà¥à¤°à¥à¤†à¤¤ हà¥à¤ˆà¥¤ साहितà¥à¤¯ नाटक अकादमी के कलाकारों दà¥à¤µà¤¾à¤°à¤¾ कथक के साथ सरसà¥à¤µà¤¤à¥€ वंदना औरउसके बाद कवियों दà¥à¤µà¤¾à¤°à¤¾ अपनी-अपनी मातृà¤à¤¾à¤·à¤¾ में कविता पाठऔर दिलचसà¥à¤ª समूह नृतà¥à¤¯ की पà¥à¤°à¤¸à¥à¤¤à¥à¤¤à¤¿ की गई।
उदà¥à¤˜à¤¾à¤Ÿà¤¨ संबोधन में संसà¥à¤•à¥ƒà¤¤à¤¿ मंतà¥à¤°à¤¾à¤²à¤¯ की संयà¥à¥à¤•à¥à¤¤ सचिव शà¥à¤°à¥€à¤®à¤¤à¥€ उमा नंदूरी ने अतिथियों का सà¥à¤µà¤¾à¤—त किया। इस अवसर पर शà¥à¤°à¥€ गोविंद मोहन ने à¤à¤¾à¤°à¤¤ की सà¥à¤¥à¤¾à¤¨à¥€à¤¯ à¤à¤¾à¤·à¤¾à¤“ं के संरकà¥à¤·à¤£ और संवरà¥à¤§à¤¨ की आवशà¥à¤¯à¤•à¤¤à¤¾ पर बल दिया। संयà¥à¤•à¥à¤¤ राषà¥à¤Ÿà¥à¤° की टिपà¥à¤ªà¤£à¤¿à¤¯à¥‹à¤‚ का संदरà¥à¤ देते हà¥à¤, शà¥à¤°à¥€ गोविंद मोहन ने कहा कि वरà¥à¤· 2100 तक दà¥à¤¨à¤¿à¤¯à¤¾ की आधी à¤à¤¾à¤·à¤¾à¤à¤‚ विलà¥à¤ªà¥à¤¤ हो जाà¤à¤‚गी; विलà¥à¤ªà¥à¤¤ होने की दर इतनी है कि हर दो सपà¥à¤¤à¤¾à¤¹ में à¤à¤• सà¥à¤¥à¤¾à¤¨à¥€à¤¯ à¤à¤¾à¤·à¤¾ समापà¥à¤¤ हो रही है। आज हम यहां 'अंतरराषà¥à¤Ÿà¥à¤°à¥€à¤¯ मातृà¤à¤¾à¤·à¤¾ दिवस' मनाने के लिठइकटà¥à¤ ा हà¥à¤ हैं जिससे à¤à¤¾à¤°à¤¤ की सà¥à¤µà¤¦à¥‡à¤¶à¥€ à¤à¤¾à¤·à¤¾à¤“ं को संरकà¥à¤·à¤¿à¤¤ करने के साथ ही उसे बढ़ावा दिया जा सके। उनà¥à¤¹à¥‹à¤‚ने आगे कहा कि à¤à¤¾à¤°à¤¤ में à¤à¤• कहावत लोकपà¥à¤°à¤¿à¤¯ है 'कोस-कोस पे पानी बदले, चार कोस पे वाणी', यह बात सà¥à¤ªà¤·à¥à¤Ÿ रूप से हमारे देश में बोली जाने वाली à¤à¤¾à¤·à¤¾à¤“ं की बहà¥à¤²à¤¤à¤¾ का बखान करती है।
हालांकि, समय के साथ à¤à¤¾à¤°à¤¤ की मूल à¤à¤¾à¤·à¤¾à¤“ं पर लà¥à¤ªà¥à¤¤ होने का खतरा मंडरा रहा है कà¥à¤¯à¥‹à¤‚कि मातृà¤à¤¾à¤·à¤¾ बोलने वाले लोग कम होते जा रहे हैं और पà¥à¤°à¤®à¥à¤– à¤à¤¾à¤·à¤¾à¤“ं को ही अपनाया जा रहा है। यह à¤à¤¾à¤°à¤¤ के लोगों और समà¥à¤¦à¤¾à¤¯à¥‹à¤‚ का सामूहिक पà¥à¤°à¤¯à¤¾à¤¸ होना चाहिठकि वे बहà¥à¤à¤¾à¤·à¥€ विविधता के संरकà¥à¤·à¤£ और परिरकà¥à¤·à¤£ के लिठà¤à¤• साथ आà¤à¤‚, जो हमारी सांसà¥à¤•à¥ƒà¤¤à¤¿à¤• संपदा का à¤à¤• हिसà¥à¤¸à¤¾ है।
विशिषà¥à¤Ÿ अतिथि शà¥à¤°à¥€ à¤à¤°à¤¿à¤• फालà¥à¤Ÿ, निदेशक, यूनेसà¥à¤•à¥‹ नई दिलà¥à¤²à¥€ कà¥à¤²à¤¸à¥à¤Ÿà¤° कारà¥à¤¯à¤¾à¤²à¤¯ ने कहा कि यह हम सà¤à¥€ के लिठजागृत होने का समय है कà¥à¤¯à¥‹à¤‚कि दà¥à¤¨à¤¿à¤¯à¤¾à¤à¤° में करीब दो हफà¥à¤¤à¥‡ में à¤à¤• à¤à¤¾à¤·à¤¾ समापà¥à¤¤ हो जाती है। उनà¥à¤¹à¥‹à¤‚ने कहा कि शिकà¥à¤·à¤¾ पà¥à¤°à¤£à¤¾à¤²à¥€ में केवल कà¥à¤› सौ à¤à¤¾à¤·à¤¾à¤“ं को ही सà¥à¤¥à¤¾à¤¨ दिया गया है और पबà¥à¤²à¤¿à¤• डोमेन में आज डिजिटल दà¥à¤¨à¤¿à¤¯à¤¾ में 100 से à¤à¥€ कम à¤à¤¾à¤·à¤¾à¤“ं का उपयोग किया जाता है। किसी à¤à¤¾à¤·à¤¾ का नà¥à¤•à¤¸à¤¾à¤¨ अपूरणीय होता है और इसीलिठअंतरराषà¥à¤Ÿà¥à¤°à¥€à¤¯ मातृà¤à¤¾à¤·à¤¾ दिवस मनाने का विचार आया। दà¥à¤¨à¤¿à¤¯à¤¾à¤à¤° में हमें à¤à¤¾à¤·à¤¾ के विकास, पà¥à¤°à¥Œà¤¦à¥à¤¯à¥‹à¤—िकी और सà¥à¤¥à¤¾à¤¨à¥€à¤¯ à¤à¤¾à¤·à¤¾à¤“ं के लिठडिजिटल संसाधन पर समान रूप से जोर देना चाहिठजिससे सà¥à¤¥à¤¾à¤¨à¥€à¤¯ समà¥à¤¦à¤¾à¤¯à¥‹à¤‚ को सशकà¥à¤¤ किया जा सके। उनà¥à¤¹à¥‹à¤‚ने पà¥à¤°à¥Œà¤¦à¥à¤¯à¥‹à¤—िकियों और नवाचारों पर धà¥à¤¯à¤¾à¤¨ देने पर जोर दिया जिससे हम कà¥à¤› उन बड़ी चà¥à¤¨à¥Œà¤¤à¤¿à¤¯à¥‹à¤‚ (विशेष रूप से शिकà¥à¤·à¤¾ में) का समाधान कर सकें, जिनका हम आज सामना कर रहे हैं।
मà¥à¤–à¥à¤¯ अतिथि पà¥à¤°à¤¸à¤¿à¤¦à¥à¤§ कवि, गीतकार और लेखक शà¥à¤°à¥€ पà¥à¤°à¤¸à¥‚न जोशी ने अपने हासà¥à¤¯, जà¥à¤žà¤¾à¤¨à¤µà¤°à¥à¤§à¤• अनà¥à¤à¤µà¥‹à¤‚ और अपनी कà¥à¤› कविताओं के पाठसे दरà¥à¤¶à¤•à¥‹à¤‚ को मंतà¥à¤°à¤®à¥à¤—à¥à¤§ कर लिया। कारà¥à¤¯à¤•à¥à¤°à¤® को संबोधित करते हà¥à¤ उनà¥à¤¹à¥‹à¤‚ने कहा कि मातृà¤à¤¾à¤·à¤¾ को आगे ले जाने के लिठयà¥à¤µà¤¾ पीढ़ी की à¤à¤¾à¤—ीदारी जरूरी है। हमें अपनी मातृà¤à¤¾à¤·à¤¾ पर गरà¥à¤µ का अनà¥à¤à¤µ होना चाहिठऔर इसका à¤à¤°à¤ªà¥‚र उपयोग करना चाहिठअनà¥à¤¯à¤¥à¤¾ हम इसे खो सकते हैं। हम दूसरी à¤à¤¾à¤·à¤¾à¤“ं को सीखना जारी रख सकते हैं, जो à¤à¤• कौशल पà¥à¤°à¤¾à¤ªà¥à¤¤ करने जैसा है, लेकिन यह मातृà¤à¤¾à¤·à¤¾ ही होती है जो हमारे सांसà¥à¤•à¥ƒà¤¤à¤¿à¤• लोकाचार से à¤à¤¾à¤µà¤¨à¤¾à¤¤à¥à¤®à¤• लगाव पैदा करती है।
इसके अलावा, डीन आईजीà¤à¤¨à¤¸à¥€à¤ पà¥à¤°à¥‹à¤«à¥‡à¤¸à¤° रमेश सी. गौर दà¥à¤µà¤¾à¤°à¤¾ लिखित 'à¤à¤¾à¤°à¤¤ की जनजातीय और देशज à¤à¤¾à¤·à¤¾à¤à¤‚' पà¥à¤¸à¥à¤¤à¤• का विमोचन किया गया। कारà¥à¤¯à¤•à¥à¤°à¤® के बाद वरà¥à¤šà¥à¤…ल पैनल चरà¥à¤šà¤¾ और अंतरराषà¥à¤Ÿà¥à¤°à¥€à¤¯ मातृà¤à¤¾à¤·à¤¾ दिवस के विषय 'बहà¥à¤à¤¾à¤·à¥€ शिकà¥à¤·à¤¾ के लिठपà¥à¤°à¥Œà¤¦à¥à¤¯à¥‹à¤—िकी का उपयोग: चà¥à¤¨à¥Œà¤¤à¤¿à¤¯à¤¾à¤‚ और अवसर' पर सतà¥à¤° आयोजित किया गया, जो 22 फरवरी 2022 तक चलेगा।
अंतरराषà¥à¤Ÿà¥à¤°à¥€à¤¯ मातृà¤à¤¾à¤·à¤¾ दिवस मनाने का विचार सबसे पहले बांगà¥à¤²à¤¾à¤¦à¥‡à¤¶ से आया था। संयà¥à¤•à¥à¤¤ राषà¥à¤Ÿà¥à¤° शैकà¥à¤·à¤¿à¤•, वैजà¥à¤žà¤¾à¤¨à¤¿à¤• और सांसà¥à¤•à¥ƒà¤¤à¤¿à¤• संगठन (यूनेसà¥à¤•à¥‹) के आम समà¥à¤®à¥‡à¤²à¤¨ ने साल 2000 में हर साल 21 फरवरी को अंतरराषà¥à¤Ÿà¥à¤°à¥€à¤¯ मातृà¤à¤¾à¤·à¤¾ दिवस के रूप में मनाने का फैसला किया। इस विशेष दिन को मनाने के लिठहर साल यूनेसà¥à¤•à¥‹ à¤à¤• अनूठी थीम चà¥à¤¨à¤¤à¤¾ है।
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