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à¤à¤¾à¤°à¤¤ के राषà¥à¤Ÿà¥à¤°à¤ªà¤¤à¤¿ शà¥à¤°à¥€ राम नाथ कोविनà¥à¤¦ ने कहा, “हमारे देश के विà¤à¤¿à¤¨à¥à¤¨ हिसà¥à¤¸à¥‹à¤‚ में विà¤à¤¿à¤¨à¥à¤¨ धारà¥à¤®à¤¿à¤• परंपराà¤à¤‚ और पà¥à¤°à¤¥à¤¾à¤à¤‚ पà¥à¤°à¤šà¤²à¤¿à¤¤ हैं, लेकिन à¤à¤• ही आसà¥à¤¥à¤¾ है और वह है, पूरी मानवता को à¤à¤• परिवार मानकर सà¤à¥€ के कलà¥à¤¯à¤¾à¤£ के लिठकाम करना।†उनà¥à¤¹à¥‹à¤‚ने आज (20 फरवरी, 2022) ओडिशा के पà¥à¤°à¥€ में गौड़ीय मठऔर मिशन के संसà¥à¤¥à¤¾à¤ªà¤• शà¥à¤°à¥€à¤®à¤¦ à¤à¤•à¥à¤¤à¤¿ सिदà¥à¤§à¤¾à¤‚त सरसà¥à¤µà¤¤à¥€ गोसà¥à¤µà¤¾à¤®à¥€ पà¥à¤°à¤à¥à¤ªà¤¾à¤¦ की 150वीं जयंती के अवसर पर तीन साल तक चलने वाले समारोह का उदà¥à¤˜à¤¾à¤Ÿà¤¨ किया। राषà¥à¤Ÿà¥à¤°à¤ªà¤¤à¤¿ ने अपने संबोधन में कहा कि ईशà¥à¤µà¤° की अराधना उनके सà¤à¥€ रूपों में की जाती है, लेकिन à¤à¤¾à¤°à¤¤ में à¤à¤•à¥à¤¤à¤¿-à¤à¤¾à¤µ से ईशà¥à¤µà¤° की अराधना करने की विशिषà¥à¤Ÿ परंपरा रही है। यहां कई महान संतों ने नि:सà¥à¤µà¤¾à¤°à¥à¤¥ अराधना की है। à¤à¤¸à¥‡ महान संतों में शà¥à¤°à¥€ चैतनà¥à¤¯ महापà¥à¤°à¤à¥ का विशेष सà¥à¤¥à¤¾à¤¨ है। उनकी असाधारण à¤à¤•à¥à¤¤à¤¿ से पà¥à¤°à¥‡à¤°à¤¿à¤¤ होकर बड़ी संखà¥à¤¯à¤¾ में लोगों ने à¤à¤•à¥à¤¤à¤¿ मारà¥à¤— को चà¥à¤¨à¤¾ है।
राषà¥à¤Ÿà¥à¤°à¤ªà¤¤à¤¿ ने कहा कि शà¥à¤°à¥€ चैतनà¥à¤¯ महापà¥à¤°à¤à¥ का कहना था कि मनà¥à¤·à¥à¤¯ को घास से à¤à¥€ खà¥à¤¦ को छोटा समà¤à¤•à¤° नमà¥à¤° à¤à¤¾à¤µ से ईशà¥à¤µà¤° का सà¥à¤®à¤°à¤£ करना चाहिà¤à¥¤ वà¥à¤¯à¤•à¥à¤¤à¤¿ को à¤à¤• पेड़ से à¤à¥€ अधिक सहिषà¥à¤£à¥ होना चाहिà¤, अहंकार की à¤à¤¾à¤µà¤¨à¤¾ से रहित होना चाहिठऔर दूसरों को समà¥à¤®à¤¾à¤¨ देना चाहिà¤à¥¤ मनà¥à¤·à¥à¤¯ को सदैव ईशà¥à¤µà¤° का सà¥à¤®à¤°à¤£ करते रहना चाहिà¤à¥¤ उनà¥à¤¹à¥‹à¤‚ने आगे कहा कि यह à¤à¤¾à¤µà¤¨à¤¾ à¤à¤•à¥à¤¤à¤¿-मारà¥à¤— के सà¤à¥€ अनà¥à¤¯à¤¾à¤¯à¤¿à¤¯à¥‹à¤‚ में पाई जाती है। उनà¥à¤¹à¥‹à¤‚ने ने आगे कहा कि ईशà¥à¤µà¤° के पà¥à¤°à¤¤à¤¿ निरंतर पà¥à¤°à¥‡à¤® व समाज को समानता के सूतà¥à¤° से जोड़ने का शà¥à¤°à¥€ चैतनà¥à¤¯ महापà¥à¤°à¤à¥ का अà¤à¤¿à¤¯à¤¾à¤¨ उनà¥à¤¹à¥‡à¤‚ à¤à¤¾à¤°à¤¤à¥€à¤¯ संसà¥à¤•à¥ƒà¤¤à¤¿ और इतिहास में à¤à¤• अदà¥à¤µà¤¿à¤¤à¥€à¤¯ पà¥à¤°à¤¤à¤¿à¤·à¥à¤ ा पà¥à¤°à¤¦à¤¾à¤¨ करता है।
राषà¥à¤Ÿà¥à¤°à¤ªà¤¤à¤¿ ने आगे कहा कि à¤à¤•à¥à¤¤à¤¿-मारà¥à¤— के संत उस समय के धरà¥à¤®, जाति, लिंग और अनà¥à¤·à¥à¤ ानों के आधार पर पà¥à¤°à¤šà¤²à¤¿à¤¤ à¤à¥‡à¤¦à¤à¤¾à¤µ से ऊपर थे। इस कारण सà¤à¥€ वरà¥à¤— के लोग न केवल उनसे पà¥à¤°à¥‡à¤°à¤¿à¤¤ हà¥à¤, बलà¥à¤•à¤¿ इस मारà¥à¤— को अपनाया à¤à¥€à¥¤ गà¥à¤°à¥ नानक देव जी ने à¤à¤•à¥à¤¤à¤¿ मारà¥à¤— पर चलते हà¥à¤ समतामूलक समाज के निरà¥à¤®à¤¾à¤£ का पà¥à¤°à¤¯à¤¾à¤¸ किया।
राषà¥à¤Ÿà¥à¤°à¤ªà¤¤à¤¿ ने कहा ईशà¥à¤µà¤° के पà¥à¤°à¤¤à¤¿ संपूरà¥à¤£ समरà¥à¤ªà¤£ की à¤à¤•à¥à¤¤à¤¿-मारà¥à¤— की विशेषता न केवल जीवन के आधà¥à¤¯à¤¾à¤¤à¥à¤®à¤¿à¤• कà¥à¤·à¥‡à¤¤à¥à¤° में, बलà¥à¤•à¤¿ हर à¤à¤• वà¥à¤¯à¤•à¥à¤¤à¤¿ की जीवन-शैली में à¤à¥€ देखने को मिलती है। हमारी संसà¥à¤•à¥ƒà¤¤à¤¿ में जरूरतमंदों की सेवा को सरà¥à¤µà¥‹à¤šà¥à¤š पà¥à¤°à¤¾à¤¥à¤®à¤¿à¤•à¤¤à¤¾ दी गई है। हमारे डॉकà¥à¤Ÿà¤°, नरà¥à¤¸ और सà¥à¤µà¤¾à¤¸à¥à¤¥à¥à¤¯à¤•à¤°à¥à¤®à¤¿à¤¯à¥‹à¤‚ ने कोविड महामारी के दौरान सेवा- à¤à¤¾à¤µ की इस à¤à¤¾à¤µà¤¨à¤¾ का पà¥à¤°à¤¦à¤°à¥à¤¶à¤¨ किया। वे à¤à¥€ कोरोना वायरस से संकà¥à¤°à¤®à¤¿à¤¤ थे, लेकिन इतनी विषम परिसà¥à¤¥à¤¿à¤¤à¤¿à¤¯à¥‹à¤‚ में à¤à¥€ उनà¥à¤¹à¥‹à¤‚ने हिमà¥à¤®à¤¤ नहीं हारी और लोगों के इलाज में जà¥à¤Ÿà¥‡ रहे। हमारे कई कोरोना वॉरियरà¥à¤¸ (योदà¥à¤§à¤¾) ने अपने जीवन का बलिदान दिया, लेकिन उनके सहकरà¥à¤®à¤¿à¤¯à¥‹à¤‚ का समरà¥à¤ªà¤£ अटूट बना रहा। à¤à¤¸à¥‡ योदà¥à¤§à¤¾à¤“ं का पूरा देश सदैव ऋणी रहेगा।
राषà¥à¤Ÿà¥à¤°à¤ªà¤¤à¤¿ ने कहा कि शà¥à¤°à¥€ चैतनà¥à¤¯ महापà¥à¤°à¤à¥ के अलावा à¤à¤•à¥à¤¤à¤¿ आंदोलन की अनà¥à¤¯ महान विà¤à¥‚तियों ने à¤à¥€ हमारी सांसà¥à¤•à¥ƒà¤¤à¤¿à¤• विविधता में à¤à¤•à¤¤à¤¾ को मजबूत किया है। à¤à¤•à¥à¤¤à¤¿ समà¥à¤¦à¤¾à¤¯ के संत à¤à¤•-दूसरे का विरोध नहीं करते थे, बलà¥à¤•à¤¿ à¤à¤•-दूसरे की रचनाओं से पà¥à¤°à¥‡à¤°à¤¿à¤¤ होते थे। सà¥à¤µà¤¾à¤®à¥€ विवेकानंद ने 1893 में शिकागो के अपने à¤à¤¾à¤·à¤£ में विशà¥à¤µ समà¥à¤¦à¤¾à¤¯ को à¤à¤¾à¤°à¤¤ का आधà¥à¤¯à¤¾à¤¤à¥à¤®à¤¿à¤• संदेश देते हà¥à¤ कहा था कि जिस तरह अलग-अलग जगहों से निकलने वाली नदियां अंत में समà¥à¤¦à¥à¤° में मिल जाती है, ठीक उसी तरह मनà¥à¤·à¥à¤¯ अपनी इचà¥à¤›à¤¾ से मारà¥à¤— चà¥à¤¨à¤¤à¤¾ है, ये रासà¥à¤¤à¥‡ देखने में à¤à¤²à¥‡ ही अलग-अलग लगे, लेकिन सà¤à¥€ आखिर में ईशà¥à¤µà¤° तक ही पहà¥à¤‚चते हैं। à¤à¤¾à¤°à¤¤ की इस आधà¥à¤¯à¤¾à¤¤à¥à¤®à¤¿à¤• à¤à¤•à¤¤à¤¾ के सिदà¥à¤§à¤¾à¤‚त का पà¥à¤°à¤šà¤¾à¤° रामकृषà¥à¤£ परमहंस और सà¥à¤µà¤¾à¤®à¥€ विवेकानंद ने किया था, जिसे राषà¥à¤Ÿà¥à¤°à¤ªà¤¿à¤¤à¤¾ महातà¥à¤®à¤¾ गांधी ने à¤à¥€ अपनाया था।
राषà¥à¤Ÿà¥à¤°à¤ªà¤¤à¤¿ ने विशà¥à¤µà¤¾à¤¸ वà¥à¤¯à¤•à¥à¤¤ किया कि गौड़ीय मिशन मानव कलà¥à¤¯à¤¾à¤£ के अपने उदà¥à¤¦à¥‡à¤¶à¥à¤¯ को सरà¥à¤µà¥‹à¤ªà¤°à¤¿ रखते हà¥à¤ शà¥à¤°à¥€ चैतनà¥à¤¯ महापà¥à¤°à¤à¥ के संदेश को विशà¥à¤µ में फैलाने के अपने संकलà¥à¤ª में सफल होगा।
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