समाचार ब्यूरो
26/12/2021  :  11:24 HH:MM
संसद के शीतकालीन संवाद विहिन सत्र का सत्रावसान - खबरीलाल
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विश्व के सबसे बडे व शक्तिशाली प्रजातंत्र के मन्दिर अर्थात भारतीय संसद में घटित घटनाओ से लोकतंत्र के समर्थक काफी दुःखी है। भारतीय संसद के 17 वीं लोक सभा के 7 वें वर्तमान शीतकालीन सत्र पुर्व निर्धारित समय से पहले ही अनिश्चितकाल के लिए स्थगित कर दी।भले इसके पीछे कई कारण हो सकते है।चाहे वह संसद के दोनों सदनों में लखीमपुर खीरी हिंसा का मामला रहा हो,या किसानों से जुड़े हुए मुद्दे का हो, या 12 सांसद सदस्यों के निलंबन का रहा हो संसद में जमकर हंगामा का रहा हो या विपक्ष द्वारा दोनों सदनों में केंद्रीय राज्य मंत्री अजय मिश्र टेनी के इस्तीफे की मांग का रहा हो।

संसद के शीतकालीन सत्र में समाप्ति से दो दिन पूर्व ही दोनों सदनों लोकसभा और राज्यसभा को अनिश्चितकाल के लिए स्थगित कर दिया गया है।ज्ञायत्व रहे कि संसद का शीतकालीन सत्र 29 नवंबर को शुरू हुआ था जो कि 23 दिसंबर तक चलना था लेकिन बुधवार को ही सत्रावसान की घोषणा कर दिया गया।

इस सत्र की समापन की घोषणा करते हुए लोक सभा के अध्यक्ष ओम बिड़ला ने कहा कि 17वीं लोक सभा का 7वां सत्र आज अनिश्चित काल के लिए स्थगित हो गया।इस सत्र के दौरान अनेक विषयों पर सार्थक-सकारात्मक चर्चा हुई,सत्र की उत्पादकता 82% रही।इस सत्र में कुल 18 बैठकें हुई है।वहीं राज्यसभा में सुबह 11बजे कार्यवाही शुरू होने के तुरंत बाद ही सभापति एम वेंकैया नायडू ने आवश्यक दस्तावेज सदन के पटल पर रखवाए जाने के बाद उन्होंने राज्यसभा की कार्यवाही अनिश्चितकाल के लिए स्थगित करने की घोषणा कर दी।इस दौरान वेंकैया नायडू ने कहा कि सदन अपनी क्षमता के मुकाबले बहुत कम चला। मैं आप सबसे आग्रह करता हूं कि माननीय सदस्य आत्मावलोकन करें कि इस सदन में काम कितना अलग और बेहतर हो सकता था।

संसद के सत्र के दौरान दोनों सदनों में लखीमपुर खीरी हिंसा, किसानों के मुद्दे और 12 सदस्यों के निलंबन को लेकर जमकर सता पक्ष व विपक्ष के वीच जम कर हंगामा होता रहा। जहाँ विपक्ष ने दोनों सदनों में केंद्रीय गृह राज्य मंत्री अजय मिश्रा टेनी के इस्तीफे की मांग भी उठाई। वही राज्यसभा के 12 सांसदों को निलंबित किए जाने को लेकर शुरू से ही संसद में हंगामा किया गया।इस दौरान निलंबित सांसद हर दिन संसद परिसर में गांधी प्रतिमा के पास धरना दे अपना विरोध जताते रहे ।स्मरणीय रहे कि राज्य सभा के उपसभापति हरिवंश के द्वारा विगत सत्र के दौरान विपक्ष सांसद के व्यव्हार को गलत मानते हुए कांग्रेस पार्टी के राज्यसभा सांसद फूलो देवी नेताम,छाया वर्मा,रिपुन बोरा,राजमणि पटेल,सैयद नासिर हुसैन,अखिलेश प्रसाद सिंह, तृणमूल कांग्रेस के डोला सेन और शांता छेत्री,शिवसेना से प्रियंका चतुर्वेदी और अनिल देसाई एवं लेफ्ट के एलाराम करीम और बिनॉय विश्वम को निलंबित कर दिया था।संसद के वर्तमान शीतकालीन सत्र के दौरान कृषि विधि निस्तारन विधेयक 2021, निर्वाचन विधि संशोधन विधेयक 2021,राष्ट्रीय औषध शिक्षा अनुसंधान संस्थान संशोधन विधेयक 2021,केंद्रीय सतर्कता आयोग संशोधन विधेयक 2021,दिल्ली विशेष पुलिस स्थापन संशोधन विधेयक 2021 जैसे महत्वपूर्ण विधेयक पेश किए गए।वहीं निर्वाचन विधि संशोधन विधेयक 2021 पर चर्चा के दौरान विरोध जताते हुए रूल बुक फेंकने पर टीएमसी के सांसद डेरेक ओ ब्रायन को स्पीकर ने पुरे सत्र के लिए सस्पेंड कर दिया। कोविड 19 के नाम पर प्रजातंत्र के प्राण व प्रहरी कहें जाने वाले पत्रकार को जो विगत कई वर्षो से संसद भवन जा कर संसद की कार्यवाही का साक्षी बन कर रिपोर्टिंग करते आ रहे थें ' तथा संसद भवन के परिसर में सांसद मंत्रियो से सीघा सम्पर्क व संवाद होते रहता था ' लेकिन पत्रकार के प्रवेश पर विगत वर्ष से प्रतिबन्ध लगा दिया है। खाने पूर्ति के नाम पर रोस्टर प्रणाली के अन्तर्गत कुछ संवाद ऐजन्सी के प्रतिनिधि को प्रवेश की अनुमति दी गई थी ' सरकार के गलत निणर्य से दुःखी कई पत्रकार शीर्ष संगठन इसका विरोध किया है।हद तो तब हो गई जब संसद मे शीतल कालीन सत्र चल रहे है सत्तारूढ़ पार्टी के आला कमान द्वारा एक तुगलकी फरमान जारी कर दिया गया कि आगामी वर्ष पाँच राज्यो में होने विधान सभा के समर क्षेत्र को अपना कर्म क्षेत्र बनाये ' वहाँ जा कर पार्टी के प्रचार -प्रसार में लग जाए ' उन्हे सदन में उपस्थित रहने की जरूरत नही है।वही दुसरी वर्तमान सत्र के दौरान स्वयं प्रधान मंत्री की नग्णय उपस्थित रही जो अच्छे संकेत नही है। हमारी समझ नही आ रहा है कि सांसद को जनता जर्नादन ने अपने प्रतिनिधि के रूप चुन संसद में भेजा है।ताकि वे जनता समस्याये व कल्याणकारी योजनाएं बनाये।प्रजातंत्र के पवित्र मंदिर सवस्थ्य परिचर्चा - संवाद व जनकल्याण हेतू योजना बनाये तथा अपने देश की नागरिको के प्रति कर्तव्य का पालन कर सकें। लेकिन वर्तमान केन्द्र सरकार के मंत्रीगण ' सांसद को देश की जनता की बजाए अपने पार्टी के आला कमान के आदेशो का पालन का अधिक आवश्यक है क्योकि वे इसे अपना कर्म धर्म व कर्तव्य मानते हुए पार्टी सर्वप्रथम है श्याद ये शिक्षा वे संघ के द्वारा संस्कार व उपहार . कर्तव्य पालन करने के लिए वाध्य किया है , वही दुसरी ओर पक्ष - विपक्ष के सांसद आपस में सहयोग -संवाद करने के बजाय आरोप-प्रत्यारोप लगाने व्यस्थ थे।वही जनता के गाढ़ी कमाई से टैक्स के पैसे-संसद में नरकारी कार्यो के निस्तारण व जनता के हितों के लिए कल्याण कारी योजनाओं का निमार्ण करे लेकिन सरकार के अड़ियलपन व विपक्ष के द्वारा सदन में लगातार चर्चा की माँग पर अड़े रहना - जनता व सरकार के लिए काफी नुकसान देह साबित हुआ है।संसद के इस शीतकालीन सत्र के दौरान सता पक्ष व विपक्ष के मध्य टकराव के बीच लोकतंत्र के समर्थकों को निराशा हाथ लगी है,वही राजनीति के महापंडितों के चिन्ता व चिन्तन की लकीरें से स्पष्ट है कि यह प्रजातंत्र के स्वस्थ्य परम्परा के लिए खतरे की घंटी है!अगर समय रहते इस संदर्भ मे कोई ठोस कदम नहीं उठाए गए तो वह दिन दूर नही जब लोक तंत्र के जगह यहाँ अधिनायक तंत्र का साम्राज्य स्थापित करने का षडयंत्र की जा रही है ।






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