नयी दिल्ली - दिल्ली महिला आयोग की अध्यक्ष स्वाति मालीवाल ने दिल्ली सरकार के महिला एवं बाल विकास विभाग में उप निदेशक पद पर नियुक्त दुष्कर्म के आरोपी अधिकारी को बर्खास्त करने की शुक्रवार को मांग की।
सुश्री मालीवाल ने आज कहा, “आरोपी पर एक नाबालिग लड़की के साथ कई बार दुष्कर्म करने का गंभीर आरोप है। यह तथ्य कि अन्य महिलाओं ने भी आरोप लगाया कि आरोपी व्यक्ति ने उनके कार्यस्थल पर उनका यौन उत्पीड़न किया था, सरकार के भीतर उसके आचरण पर गंभीर सवाल उठाता है। ऐसा प्रतीत होता है कि आरोपी एक सिलसिलेवार अपराधी हो सकता है और महिला एवं बाल विकास जैसे संवेदनशील विभाग में तैनात होने के कारण बड़े पैमाने पर महिलाओं और बच्चों तक उसकी पहुंच की कल्पना करना डरावना है। आरोपी को तुरंत बर्खास्त किया जाना चाहिए और यह सुनिश्चित करने के लिए कदम उठाए जाने चाहिए कि महिला एवं बाल विकास, समाज कल्याण और शिक्षा विभाग जैसे संवेदनशील विभागों में कोई भी दागी अधिकारी तैनात न हो। मुझे उम्मीद है कि सरकार हमारी सिफारिशों पर विचार करेगी और मामले में तत्काल और आवश्यक कार्रवाई करेगी।'
महिला के आयोग के अनुसार आरोपी के खिलाफ कार्यस्थल पर यौन उत्पीड़न के संबंध में पहले भी चार शिकायतें दर्ज की गई थीं। तीन शिकायतें तीन अलग-अलग महिलाओं द्वारा दी गईं, जबकि चौथी शिकायत गुमनाम थी। तीनों शिकायतकर्ताओं ने दिल्ली उच्च न्यायालय का दरवाजा खटखटाया। एक आवेदन माननीय उच्च न्यायालय द्वारा निस्तारित कर दिया गया था जबकि शेष दो अभी भी वहां लंबित हैं।
महिला आयोग की अध्यक्ष ने दिल्ली सरकार के मुख्य सचिव को अपनी सिफारिशों में आरोपी को तत्काल बर्खास्त करने की मांग की है क्योंकि उस पर एक नाबालिग लड़की के खिलाफ बलात्कार के संगीन अपराध का आरोप लगाया गया है। उन्होंने यह भी सिफारिश की है कि सरकार को कार्यस्थल पर महिलाओं के यौन उत्पीड़न (रोकथाम, निषेध और निवारण) अधिनियम के तहत एक नई मजबूत आंतरिक शिकायत समिति का गठन करना चाहिए, जिसमें लैंगिक मुद्दों पर काम करने वाले प्रमुख गैर सरकारी संगठनों के और अधिक बाहरी विशेषज्ञ शामिल हों। यह समिति दिल्ली सरकार में तैनात अधिकारियों के खिलाफ कार्यस्थल पर यौन उत्पीड़न की सभी लंबित शिकायतों की जांच करे और अपनी रिपोर्ट सरकार के साथ-साथ दिल्ली महिला आयोग को तत्काल सौंपे। साथ ही, सरकार को ऐसे अधिकारियों की सूची बनानी चाहिए जिनके खिलाफ महिलाओं और बच्चों के खिलाफ अपराध के मामले लंबित हैं और इसकी तत्काल जांच की जानी चाहिए।
आयोग ने यह भी सिफारिश की है कि ऐसे सभी अधिकारियों का एक डेटाबेस बनाया जाना चाहिए जिनके खिलाफ महिलाओं और बच्चों के खिलाफ अपराध के मामले दर्ज किए गए हैं। इस डेटा बेस को दिल्ली महिला आयोग के साथ भी साझा किया जाना चाहिए।