समाचार ब्यूरो
02/08/2023  :  17: 15 HH:MM
फिल्में सकारात्मकता पैदा करने के लिए बहुत उपयोगी उपकरण हो सकती हैं: एनएचआरसी
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नयी दिल्ली- राष्ट्रीय मानव अधिकार आयोग (एनएचआरसी) के अध्यक्ष अरुण मिश्रा ने लघु फिल्म प्रतियोगिता-2022 समारोह के अवसर पर कहा कि फिल्में मानव जीवन और भावनाओं की अभिव्यक्ति के एक बहुत ही प्रभावी माध्यम के रूप में विकसित हुई हैं। फिल्में मन को प्रभावित कर सकारात्मकता पैदा करने करने के लिए बहुत उपयोगी उपकरण हो सकती हैं।


एनएचआरसी ने अपनी लघु फिल्म प्रतियोगिता-2022 के छह विजेताओं को उनकी बेहतरीन फिल्मों के लिए राष्ट्रीय राजधानी में एनएचआरसी के अध्यक्ष न्यायमूर्ति अरुण मिश्रा, सदस्य डॉ. ज्ञानेश्वर एम. मुले राजीव जैन ने महासचिव भरत लाल और महानिदेशक (अन्वेमषण) मनोज यादव की उपस्थिति में पुरस्कार प्रदान किए।

अध्यक्ष ने कहा कि विजेताओं की फिल्मों ने असमानता, बाल शिक्षा और पर्यावरण से संबंधित विभिन्न महत्वपूर्ण मुद्दों को उठाया है, जो सराहनीय हैं।

इस समारोह के अवसर पर मराठी भाषा में श्री नीलेश अंबेडकर की फिल्म ‘ चिरभोग’ को प्रथम पुरस्कार से सम्मानित किया गया। श्रीमती भवानी डोले ताहू की असमिया भाषा में उनकी फिल्म ‘ इनेबल्ड’ को दूसरा पुरस्कार और श्री टी. कुमार की तमिल भाषा में फिल्म ‘अत्चम थविर’ को तीसरे पुरस्कार से सम्मानित किया गया।

तीन अन्य फिल्में राजदत्त रेवनकर की 'लॉस्ट इन प्रोग्रेस', अब्दुल रशीद भट की 'डोंट बर्न लीव्स' और हारिल शुक्ला की 'यू-टर्न' फिल्म को 'सर्टिफिकेट ऑफ स्पेशल मेंशन' से सम्मानित किया गया।

ट्रॉफी और प्रमाणपत्र के अलावा, पहली तीन पुरस्कार विजेता फिल्मों को क्रमशः दो लाख, 1.5 लाख और एक लाख रुपये का नकद पुरस्कार दिया गया। 'सर्टिफिकेट ऑफ स्पेशल मेंशन' फिल्मों में से प्रत्येक को 50 हजार रुपये का नकद पुरस्कार दिया गया।

इससे पहले, एनएचआरसी के महासचिव भरत लाल ने आयोग की लघु फिल्म प्रतियोगिता की पृष्ठभूमि के बारे में उल्लेख करते हुए कहा कि इस प्रतियोगिता की स्थापना 2015 में की गई थी। आयोग के पास लगभग 50 पुरस्कार विजेता फिल्में हैं और वह उन्हें मानव अधिकार जागरूकता के लिए उपयोग करने हेतु केंद्र और राज्यों के विभिन्न सरकारी विभागों को भेज रहे हैं। उन्होंने बताया कि साल 2022 में आयोग को 137 फिल्में प्राप्त हुई थीं, जिन्हें पुरस्कारों के लिए चयन की प्रक्रिया में शामिल किया गया।






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