समाचार ब्यूरो
11/07/2023  :  15:50 HH:MM
‘एक आदिवासी महिला की वन-माफिया से संघर्ष से ‘पद्म श्री’ सम्मान तक की कहानी कहती फोटो प्रदर्शनी’
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नयी दिल्ली- पर्यावरण के क्षेत्र में प्रसिद्धि पाने वाली ‘पद्म श्री ’से सम्मानित झारखंड की आदिवासी महिला जमुना टुडू अपने विवाह के बाद पूर्वी सिंहभूम जिले के चकोलिया गांव में अपनी ससुराल आकर वहां वीरान हुए जंगल को देखकर निराश हुईं, लेकिन उसी समय उन्होंने मन में आस-पास के वन क्षेत्र को पुन: हरा-भरा करने का संकल्प ले लिया।


संकल्प को सिद्धि तक पहुंचाने की उनकी कहानी पर धनविका टॉकीज और आर के फिल्म प्रोडक्शन के सहयोग से प्रसिद्ध फोटोग्राफर और फिल्म निर्माता वज्रनाभ नटराज महर्षि द्वारा राजधानी में संसद-भवन परिसर के पास ही ऑल इंडिया फाइन आर्ट्स एंड क्राफ्ट्स सोसाइटी (आईफैक्स) गैलरी में ‘ द लेडी टार्जन ऑफ इंडिया ’ शीर्षक से आयोजित फोटो प्रदर्शनी लोगों को आकर्षित कर रही है। वृक्षों पर टिम्बर माफिया की कुल्हाड़ी का प्रतिरोध करने वाली एक आदिवासी महिला की कहानी को जीवंत करने वाली यह एक माह की प्रदर्शनी 23 जुलाई तक चलेगी। इसमें जमुना टुडू की 40 से अधिक तस्वीरें प्रदर्शित की गयी हैं।

श्रीमती जमुना ने यूनीवार्ता से फोन पर कहा , “ वर्ष 1998 में नयी नवेली दुल्हन बनकर अपनी ससुराल पहुंची थीं। विवाह के रस्मों रिवाजों से फुर्सत मिलने के बाद, मेरा अपने घर के आसपास उजड़े हुए जंगल को देखकर मन व्यथित हो उठा। उसी दौरान, मैंने जंगलों को हरा-भरा करने का संकल्प लिया। ”

उन्होंने अपने अभियान में जिन चुनौतियों और लकड़ी माफिया जैसे तत्वों से जोखिमों को जिस साहस से सामना किया, उसे देख कर उनके क्षेत्रवासियों और देश भर में उनके प्रसंशकों ने उन्हें सम्मान से ‘लेडी टार्जन’ के नाम से पुकारना शुरू कर दिया।

वज्रनाभ नटराज का कहना है कि इस फोटो प्रदर्शनी का उद्देश्य देश-दुनिया को पर्यावरणविद् टुडू से प्रेरित करना है, जिससे मानव समाज को पर्यावरण के प्रति अधिक से अधिक जागरुक कर सकें।

उन्होंने कहा, “ मैंने जमुना टुडू के जंगलों को बचाने के लिए लकड़ी माफिया के खिलाफ लड़ने को लेकर उनके अटूट साहस को इस प्रदर्शनी के माध्यम से चित्रित करने का प्रयास किया है। ये तस्वीरें केवल उनके जीवन को ही चरितार्थ नहीं करती हैं, बल्कि पर्यावरण को संरक्षित करने की भी सीख देती हैं। हमारी प्राकृतिक विरासत के संरक्षण के लिए समर्पित एक उल्लेखनीय जीवन का चित्रण है। ”

श्रीमती जमुना ‘वन सुरक्षा समिति’ के माध्यम से करीब दो दशक से इस क्षेत्र में सक्रिय हैं और लोगों को पर्यावरण के प्रति जागरुक कर रही हैं।

श्रीमती जमुना ने कहा, “ अवैध रूप से वन की कटाई करने वाले टिंबर माफिया और नक्सलियों का सामना करने के लिए मैंने गांव वालों को एकत्र करने का प्रयास किया। शुरू में सिर्फ चार महिलाएं ही मेरे साथ खड़ी हुईं। इन्हीं महिलाओं के साथ मिलकर मैंने ‘जंगल बचाओ’ अपना अभियान छेड़ा। ”

ओडिशा के मयूरभंज जिले में बगराई एवं बबिता मुर्मू के घर 1980 में जन्मी और दसवीं तक पढ़ाई करने वाली श्रीमती जमुना के प्रकृति प्रेम की राह कोई आसान नहीं थी। उन्होंने बताया कि इस काम में उन्हें माफिया खुलेआम धमकी देने लगे थे, लेकिन वह जंगल को हरा-भरा करने के लिए बिना भयभीत हुए इस राह पर लगातार आगे बढ़ती रहीं। ”

उन्होंने 2005 में ‘वन सुरक्षा समिति’ का गठन किया। इस संगठन से गांव के साथ-साथ अन्य गांव के कई लोग जुड़े और आज उनका परिवार पांच लोगों से बढ़कर 10 हजार से अधिक हो गया हैं, जो जंगल को हरा-भरा करने में अपना योगदान दे रहे हैं।

इस अभियान में श्रीमती जमुना पर कई छोटे-बड़े हमले होते रहे। एक बार जब वह ट्रेन के माध्यम से लकड़ी की तस्करी करने वालों के खिलाफ स्टेशन मास्टर के पास शिकायत के लिए जा रही थीं, तब उन पर बड़ा प्रहार किया गया और वह गंभीर रूप से घायल हो गईं थीं।

श्रीमती जमुना ने कहा कि उऩ्होंने लगभग 2017 में झारखंड की तत्कालीन राज्यपाल और वर्तमान में राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू से मुलाकात की। श्रीमती मुर्मू को अपने ‘वन सुरक्षा समिति’ के तहत 50 हेक्टेयर वन भूमि को हरा-भरा करने की सफलता के पीछे की कहानी के बारे में पूरी जानकारी दी। वर्षों से जंगलों को हरा-भरा करने के लिए प्रयासरत और सराहनीय काम को लेकर, आखिरकार साल 2019 में 'लेडी टार्जन' को पूर्व राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद द्वारा राष्ट्रपति भवन में भारत के चौथे सर्वोच्च नागरिक पुरस्कार ‘पद्म श्री’ से सम्मानित किया गया। इससे पहले, उन्हें गॉडफ्रे फिलिप्स बहादुरी पुरस्कार 2014 से सम्मानित किया जा चुका है।

श्रीमती जमुना कहती हैं कि वह पति मानसिंह टुडू उनके इस सराहनीय कार्य में शुरू से लेकर अब तक मदद करते आए हैं। वह उनके साथ घर बनवाने में भी हाथ बंटाती हैं।

सात बहनों में सबसे छोटी जमुना पेड़ों को अपना भाई मानकर, हर साल रक्षाबंधन के दिन राखी बांधती और पर्यावरण दिवस के अवसर पर बड़े कार्यक्रम आयोजित करती हैं। श्रीमती जमुना बताती हैं कि वह अन्य महिलाओं के साथ मिलकर अपनी सुरक्षा का जिम्मा खुद उठाती हैं। वह तीर कमान और तेज धारदार वाले हथियारों के साथ बेखौफ होकर जंगल में जाती हैं।






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