समाचार ब्यूरो
04/07/2023  :  17:49 HH:MM
भारत ने आतंकवाद के खिलाफ दोहरे मापदंड छोड़ने का किया आह्वान
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नयी दिल्ली- भारत ने शंघाई सहयोग संगठन (एससीओ) में सुधारों एवं आधुनिकीकरण करके सरकारों के परे लोगों के बीच संपर्क गहन बनाने की आज वकालत की और आतंकवाद के खिलाफ दोहरे मापदंड छोड़ने का पुरजोर आह्वान किया।

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 23वें एससीओ शिखर-सम्मेलन के मुख्य सत्र की अध्यक्षता करते हुए यह आह्वान किया। उन्होंने कहा कि पिछले दो दशकों में, एससीओ, पूरे एशियाई क्षेत्र में, शान्ति, समृद्धि और विकास के लिए एक महत्वपूर्ण प्लेटफार्म के रूप में उभरा है। इस क्षेत्र के साथ, भारत के हजारों वर्ष पुराने सांस्कृतिक और जनता के बीच संबंध, हमारी साझा विरासत का जीवंत प्रमाण हैं। हम इस क्षेत्र को "विस्तारित पड़ोस” ही नहीं, "विस्तारित परिवार” की तरह देखते हैं।

श्री मोदी ने भारत के अध्यक्षीय काल में एससीओ के विचार बिन्दुओं में विस्तार होने का विवरण दिया और कहा कि एससीओ के अध्यक्ष के रूप में, भारत ने हमारे बहुआयामी सहयोग को नयी ऊंचाइयों तक ले जाने के लिए निरंतर प्रयास किये हैं। इन सभी प्रयासों को हमने दो मूलभूत सिद्धांतों पर आधारित किया है। पहला, वसुधैव कुटुम्बकम, यानि पूरा विश्व एक परिवार है। यह सिद्धांत, प्राचीन समय से हमारे सामाजिक आचरण का अभिन्न अंग रहा है। और आधुनिक समय में भी हमारे लिए एक नयी प्रेरणा और ऊर्जा का स्रोत है। और दूसरा, सिक्योर यानि सुरक्षा, आर्थिक विकास, कनेक्टिविटी, एकता, संप्रभुता एवं प्रादेशिक अखंडता का सम्मान और पर्यावरण संरक्षण. यह हमारी अध्यक्षता का थीम और हमारे एससीओ के विजन का प्रतिबिंब है।

उन्होंने कहा कि भारत ने, इस दृष्टिकोण के साथ, एससीओ में सहयोग के पाँच नए स्तंभ बनाए हैं: स्टार्ट अप्स एवं नवान्वेष, पारंपरिक औषधि, युवा सशक्तिकरण, डिजीटल समावेशन तथा साझी बौद्ध विरासत।

उन्होंने कहा कि इनसे हम अपने सहयोग में नए और आधुनिक आयाम जोड़ रहे हैं जिनमें ऊर्जा क्षेत्र में नये ईंधन पर सहयोग; परिवहन के क्षेत्र में कार्बन मुक्त और डिजिटल परावर्तन में सहयोग; डिजिटल सार्वजनिक अधोसंरचना के क्षेत्र में सहयोग शामिल है। उन्होंने कहा कि भारत का प्रयास रहा है कि एससीओ में सहयोग केवल सरकारों तक सीमित न रहे। लोगों के बीच संपर्क और गहरा करने के लिए, भारत की अध्यक्षता में नयी पहलें ली गयी हैं।

कनेक्टिविटी को प्रगति के का आधार बताते हुए उन्होंने कहा कि किसी भी क्षेत्र की प्रगति के लिए मज़बूत कनेक्टिविटी का होना बहुत ही आवश्यक है। बेहतर कनेक्टिविटी आपसी व्यापार ही नहीं, आपसी विश्वास भी बढ़ाती है। किन्तु इन प्रयासों में, एससीओ चार्टर के मूल सिद्धांतों, विशेष रूप से सदस्य देशों की संप्रभुता और क्षेत्रीय अखंडता का सम्मान करना, बहुत ही आवश्यक है। ईरान की एससीओ सदस्यता के बाद हम चाबहार पोर्ट के बेहतर उपयोग के लिए काम कर सकते हैं। मध्य एशिया के भूमि से घिरे देशों के लिए अंतरराष्ट्रीय उत्तर दक्षिण परिवहन काॅरीडोर हिन्द महासागर तक पहुँचने का, एक सुरक्षित और सुगम रास्ता बन सकता है। हमें इसकी पूरी क्षमता का दोहन करना चाहिए।

प्रधानमंत्री ने कहा कि वर्तमान समय में वैश्विक स्थिति एक महत्वपूर्ण पड़ाव पर है। विवादों, तनावों और महामारी से घिरे विश्व में खाद्य, ईंधन एवं उर्वरक संकट सभी देशों के लिए एक बड़ी चुनौती है। हमें मिलकर यह विचार करना चाहिए कि क्या हम एक संगठन के रूप में हमारे लोगों की अपेक्षाओं और आकांक्षाओं को पूरा करने में समर्थ हैं? क्या हम आधुनिक चुनौतियों का सामना करने में सक्षम हैं? क्या एससीओ एक ऐसा संगठन बन रहा है जो भविष्य के लिए पूरी तरह से तैयार हो?

श्री मोदी ने कहा कि इस विषय में भारत एससीओ में सुधार और आधुनिकीकरण के प्रस्ताव का समर्थन करता है। एससीओ के अंतर्गत भाषा सम्बन्धी बाधाओं को हटाने के लिए हमें भारत के आर्टिफीशियल इंटेलिजेंस आधारित भाषा प्लेटफॉर्म - भाषिणी, को सभी के साथ साझा करने में ख़ुशी होगी। यह समावेशी विकास के लिए डिजिटल टेक्नोलॉजी का एक उदाहरण बन सकता है। संयुक्त राष्ट्र सहित अन्य वैश्विक संस्थानों में भी सुधार के लिए एससीओ एक महत्वपूर्ण आवाज़ बन सकता है।

प्रधानमंत्री ने कहा कि आतंकवाद क्षेत्रीय एवं वैश्विक शांति के लिए प्रमुख खतरा बना हुआ है। इस चुनौती से निपटने के लिए निर्णायक कार्रवाई आवश्यक है। आतंकवाद चाहे किसी भी रूप में हो, किसी भी अभिव्यक्ति में हो, हमें इसके विरुद्ध मिलकर लड़ाई करनी होगी। कुछ देश, सीमा पार आतंकवाद को अपनी नीतियों के औजार के रूप में इस्तेमाल करते हैं। आतंकवादियों को पनाह देते हैं। एससीओ को ऐसे देशों की आलोचना में कोई संकोच नहीं करना चाहिए। ऐसे गंभीर विषय पर दोहरे मापदंड के लिए कोई स्थान नहीं होना चाहिए। आतंकवाद के वित्त पोषण से निपटने के लिए भी हमें आपसी सहयोग बढ़ाना चाहिए। हमारे देशों के युवाओं के बीच कट्टरता के फैलाव को रोकने के लिए भी हमें और सक्रिय रूप से कदम उठाने चाहिए। कट्टरता के विषय में आज जारी किया जा रहा संयुक्त वक्तव्य हमारी साझा प्रतिबद्धता का प्रतीक है।

श्री मोदी ने अफ़ग़ानिस्तान की स्थिति का उल्लेख करते हुए कहा मोदीकि इस देश की स्थिति का हम सभी की सुरक्षा पर सीधा प्रभाव पड़ा है। अफ़ग़ानिस्तान को लेकर भारत की चिंताएं और अपेक्षाएं एससीओ के अधिकांश देशों के समान हैं। हमें अफ़ग़ानिस्तान के लोगों के कल्याण के लिए मिलकर प्रयास करने होंगे। अफ़ग़ान नागरिकों को मानवीय सहायता; एक समावेशी सरकार का गठन; आतंकवाद और ड्रग तस्करी के विरुद्ध लड़ाई; तथा महिलाओं, बच्चों और अल्पसंख्यकों के अधिकारों को सुनिश्चित करना हमारी साझा प्राथमिकताएं हैं। भारत और अफ़ग़ानिस्तान के लोगों के बीच, सदियों पुराने मैत्रीपूर्ण सम्बन्ध रहे हैं। पिछले दो दशकों में, हमने अफ़ग़ानिस्तान के आर्थिक और सामाजिक विकास के लिए योगदान दिया है। 2021 के घटनाक्रम के बाद भी हम मानवीय सहायता भेजते रहे हैं। यह आवश्यक है कि अफ़ग़ानिस्तान की भूमि, पड़ोसी देशों में अस्थिरता फ़ैलाने, या उग्रवादी विचारधाराओं को प्रोत्साहन देने के लिए उपयोग न की जाए।

श्री मोदी ने एससीओ में ईरान की पूर्ण सदस्यता और बेलारूस की सदस्यता की प्रक्रिया में प्रगति का स्वागत करते हुए कहा कि

इस प्रक्रिया में यह आवश्यक है कि एससीओ का मूल फोकस मध्य-एशियाई देशों के हितों और आकांक्षाओं पर केन्द्रित रहे।

प्रधानमंत्री ने कहा कि एससीओ विश्व के चालीस प्रतिशत लोगों और वैश्विक अर्थव्यवस्था के लगभग एक तिहाई का प्रतिनिधित्व करता है। और इस कारण यह हमारी साझा जिम्मेदारी है कि हम एक-दूसरे की जरूरतों और संवेदनशीलताओं को समझें। बेहतर सहयोग तथा समन्वय के माध्यम से सभी चुनौतियों का समाधान करें। और हमारे लोगों के कल्याण के लिए निरंतर प्रयास करें।






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