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नयी दिलà¥à¤²à¥€- वरिषà¥à¤ पतà¥à¤°à¤•à¤¾à¤° आलोक मेहता ने कहा है कि देश की वरà¥à¤¤à¤®à¤¾à¤¨
सà¥à¤¥à¤¿à¤¤à¤¿ की तà¥à¤²à¤¨à¤¾ आपातकाल से करने का कोई तà¥à¤• नहीं है, और à¤à¤¸à¥€ तà¥à¤²à¤¨à¤¾
करने वाले वे लोग है जिनà¥à¤¹à¥‹à¤‚ने जून 1975 में लागू 21
माह के आपातकाल को नहीं à¤à¥‡à¤²à¤¾ है या नहीं देखा है।
शà¥à¤°à¥€ मेहता सà¥à¤µà¤¤à¤‚तà¥à¤° à¤à¤¾à¤°à¤¤ में 25 जून 1975
की रात घोषित आपातकाल पर यहां नेशनल यूनियन ऑफ जरà¥à¤¨à¤²à¤¿à¤¸à¥à¤Ÿà¥à¤¸-इंडिया (à¤à¤¨à¤¯à¥‚जेआई)
दà¥à¤µà¤¾à¤°à¤¾ शनिवार को आयोजित à¤à¤• परिचरà¥à¤šà¤¾ के मà¥à¤–à¥à¤¯ वकà¥à¤¤à¤¾à¤“ं में थे। ‘आपातकाल और पतà¥à¤°à¤•à¤¾à¤°à¤¿à¤¤à¤¾â€™ विषय पर इस पर
चरà¥à¤šà¤¾ में शà¥à¤°à¥€ मेहता ने आपातकाल के समय हिंदà¥à¤¸à¥à¤¤à¤¾à¤¨ समाचार à¤à¤œà¥‡à¤‚सी के यà¥à¤µà¤¾ पतà¥à¤°à¤•à¤¾à¤°
के रूप में अपने अनà¥à¤à¤µà¥‹à¤‚ का जिकà¥à¤° करते हà¥à¤ चरà¥à¤šà¤¿à¤¤ बड़ौदा डायनामाइड कांड का जिकà¥à¤°
किया। उनà¥à¤¹à¥‹à¤‚ने कहा कि इस मामले में पतà¥à¤°à¤•à¤¾à¤° के विकà¥à¤°à¤® राव को समाजवादी शà¥à¤°à¤®à¤¿à¤•
नेता जॉरà¥à¤œ फारà¥à¤¨à¤¾à¤‚डिस से मà¥à¤²à¤¾à¤•à¤¾à¤¤ करने के कारण विसà¥à¤«à¥‹à¤Ÿà¤• रखने के मामले में लपेट
कर जेल में डाल दिया गया था।
परिचरà¥à¤šà¤¾ में वरिषà¥à¤ पतà¥à¤°à¤•à¤¾à¤° और आपातकाल के दौरान à¤à¤¾à¤°à¤¤ रकà¥à¤·à¤¾ अधिनियम (डीआईआर)
के तहत बंदी बना कर वाराणसी की जेल में रखे गठरामबहादà¥à¤° राय और पांचजनà¥à¤¯ के
संपादक हितेश शंकर और à¤à¤¨à¤¯à¥‚जे के अधà¥à¤¯à¤•à¥à¤· रासबिहारी ने आपातकाल के विषय में अपने
अनà¥à¤à¤µ, अधà¥à¤¯à¤¯à¤¨ और विचार पà¥à¤°à¤¸à¥à¤¤à¥à¤¤ किà¤à¥¤ à¤à¤¨à¤¯à¥‚जे
के सचिव अमलेश राजू ने धनà¥à¤¯à¤µà¤¾à¤¦ पà¥à¤°à¤¸à¥à¤¤à¤¾à¤µ रखा।
शà¥à¤°à¥€ आलोक मेहता ने कहा, “उस समय
पà¥à¤°à¤§à¤¾à¤¨à¤®à¤‚तà¥à¤°à¥€ इंदिरा गांधी को à¤à¤• जगह यह कहते हà¥à¤ उदà¥à¤§à¤°à¤¿à¤¤ किया गया था कि अखबार
जà¥à¤¯à¤¾à¤¦à¤¾ खतरनाक हैं।†उनà¥à¤¹à¥‹à¤‚ने कहा कि आपातकाल के दौरान
à¤à¥à¤—à¥à¤—ी हटाने, शà¥à¤°à¤®à¤¿à¤•à¥‹à¤‚ को बोनस का à¤à¥à¤—तान न होने और
गोदावरी जल संकट तक की खबरें लिखने पर à¤à¥€ पाबंदी थी। सरकारी अधिकारी और दरबारी ‘राजा से बढ़ कर
वफाद़ार बन गठथे।’
शà¥à¤°à¥€ हितेश शंकर ने कहा,“ महतà¥à¤µà¤ªà¥‚रà¥à¤£ यह
है कि आपातकाल को देखने की मीडिया की दृषà¥à¤Ÿà¤¿ कà¥à¤¯à¤¾ है?â€
उनà¥à¤¹à¥‹à¤‚ने कहा कि आपातकाल की घोषणा इलाहाबाद उचà¥à¤š नà¥à¤¯à¤¾à¤¯à¤¾à¤²à¤¯ के 12
जून के निरà¥à¤£à¤¯ के उस निरà¥à¤£à¤¯ के बाद हà¥à¤ˆ जिसमें उनà¥à¤¹à¥‡à¤‚ छह वरà¥à¤· के लिठचà¥à¤¨à¤¾à¤µ के
अयोगà¥à¤¯ घोषित किया गया था। इसके बीज 1967 में ही पड़ गà¤
थे, जबकि पà¥à¤°à¤¸à¤¿à¤¦à¥à¤§ गोलकनाथ बनाम पंजाब सरकार
मामले में उचà¥à¤šà¤¤à¤® नà¥à¤¯à¤¾à¤¯à¤¾à¤²à¤¯ ने वà¥à¤¯à¤µà¤¸à¥à¤¥à¤¾ दी कि वà¥à¤¯à¤•à¥à¤¤à¤¿à¤¯à¥‹à¤‚ के मूलà¤à¥‚त अधिकारों पर
अंकà¥à¤¶ नहीं लगा सकती। उनà¥à¤¹à¥‹à¤‚ने कहा कि शà¥à¤°à¥€à¤®à¤¤à¥€ गांधी के सतà¥à¤¤à¤¾ में आने के बाद
बैंकों का राषà¥à¤Ÿà¥à¤°à¥€à¤¯à¤•à¤°à¤£, पà¥à¤°à¤¿à¤µà¥€ परà¥à¤¸ की
समापà¥à¤¤à¤¿, ततà¥à¤•à¤¾à¤²à¥€à¤¨ पà¥à¤°à¤§à¤¾à¤¨à¤®à¤‚तà¥à¤°à¥€ दà¥à¤µà¤°à¤¾ पà¥à¤°à¤¤à¤¿à¤¬à¤¦à¥à¤§
नà¥à¤¯à¤¾à¤¯à¤ªà¤¾à¤²à¤¿à¤•à¤¾ और नौकरशाही की जरूरत पर जोर दिया जाना ततà¥à¤•à¤¾à¤²à¥€à¤¨ शासकों की मानसिकता
दरà¥à¤¶à¤¾à¤¤à¤¾ था।
उनà¥à¤¹à¥‹à¤‚ने कहा कि केशवानंद à¤à¤¾à¤°à¤¤à¥€ मामले में पà¥à¤¨: नà¥à¤¯à¤¾à¤¯à¤¾à¤²à¤¯ की इस वà¥à¤¯à¤µà¤¸à¥à¤¥à¤¾ से
किस संविधान के मूल ढांचे में बदलाव नहीं किया जा सकता। उसके बाद संविधान को
शासकों की मरà¥à¤œà¥€ के अनà¥à¤¸à¤¾à¤° ढालने का पà¥à¤°à¤¯à¤¾à¤¸ तेज हो गया। ‘जो परिवार के
आगे नहीं à¤à¥à¤• रहे थे, उनà¥à¤¹à¥‡à¤‚ à¤à¥à¤•à¤¾à¤¨à¥‡ की कोशिशें की गयी।
समाजवाद इंदिरा गांधी का बà¥à¤°à¤¾à¤‚ड था, उसे संविधान की
पà¥à¤°à¤¸à¥à¤¤à¤¾à¤µà¤¨à¤¾ में घà¥à¤¸à¥‡à¤¡à¤¼ कर देश की हालत बिगाड़ दी गयी।’
शà¥à¤°à¥€ रामबहादà¥à¤° राय ने आपात काल के जेल के अपने अनà¥à¤à¤µà¥‹à¤‚ को साà¤à¤¾ करते हà¥à¤ कहा
कि ‘12 जून 1975 का दिन शà¥à¤°à¥€à¤®à¤¤à¥€
गांधी के लिठबहà¥à¤¤ बà¥à¤°à¤¾ दिन था। उसी दिन सà¥à¤¬à¤¹ उनके खास सलाहकार डी पी धर का निधन
हà¥à¤†, दस बजे इलाहाबाद उचà¥à¤š नà¥à¤¯à¤¾à¤¯à¤¾à¤²à¤¯ का
निरà¥à¤£à¤¯ आ गया और शाम को गà¥à¤œà¤°à¤¾à¤¤ चà¥à¤¨à¤¾à¤µ में ‘जनता मोरà¥à¤šà¤¾â€™ की जीत की खबर आ
गयी।’ उनà¥à¤¹à¥‹à¤‚ने कहा,
“जे पी ( लोकनायक जयपà¥à¤°à¤•à¤¾à¤¶ नारायण) के आंदोलन को बहà¥à¤¤ बढ़ा-चढ़ा कर आंका गया है, जबकि उसमें इतनी
ताकत नहीं थी कि सरकार को उससे निपटने के लिठइमरजेंसी लगाने की जरूरत थी, उस समय उचà¥à¤šà¤¤à¤®
नà¥à¤¯à¤¾à¤¯à¤¾à¤²à¤¯ से शà¥à¤°à¥€à¤®à¤¤à¥€ गांधी को राहत मिल गयी होती, तो वह आपातकाल
नहीं लगातीं। â€
उनà¥à¤¹à¥‹à¤‚ने कहा, “ आपात काल के पहले पांच महीने पूरे देश
के लिठसà¥à¤¤à¤¬à¥à¤§à¤•à¤¾à¤°à¥€ थे। लोगों को लगता था कि अब देश में कà¤à¥€ चà¥à¤¨à¤¾à¤µ नहीं होंगे। लोग
सोचने लगे थे , जो जेल में डाल दिठगठहैं , उनसे अब अगले
जनà¥à¤® में ही मà¥à¤²à¤¾à¤•à¤¾à¤¤ होगी।â€
उनà¥à¤¹à¥‹à¤‚ने कहा कि आपातकाल के पहले पांच महीने के सनà¥à¤¨à¤¾à¤Ÿà¥‡ को राषà¥à¤Ÿà¥à¤°à¥€à¤¯
सà¥à¤µà¤¯à¤‚सेवक संघ (आरà¤à¤¸à¤à¤¸) की à¤à¥‚मिगत गतिविधियों ने हलà¥à¤•à¤¾ किया और धीरे-धीरे आपातकाल
के खिलाफ सकà¥à¤°à¤¿à¤¯à¤¾à¤¤à¤¾ बढ़ने लगी और à¤à¤µ का वातावरण कम होने लगा था।
शà¥à¤°à¥€ राय ने कहा कि 1977 में शà¥à¤°à¥€à¤®à¤¤à¥€
गांधी ने चà¥à¤¨à¤¾à¤µ इस लिठकराया कà¥à¤¯à¥‹à¤‚कि उनà¥à¤¹à¥‡à¤‚ दारà¥à¤¶à¤¨à¤¿à¤• जे कृषà¥à¤£à¤®à¥‚रà¥à¤¤à¤¿, राजनीतिजà¥à¤ž ओम
मेहता और उस समय के कई अनà¥à¤¯ महानà¥à¤à¤¾à¤µà¥‹à¤‚ ने चà¥à¤¨à¤¾à¤µ कराने के लिठघेराबंदी कर
समà¤à¤¾à¤¯à¤¾-बà¥à¤à¤¾à¤¯à¤¾ था। ‘आपातकाल के दौरान ही वे चà¥à¤¨à¤¾à¤µ कराठगà¤à¥¤
इंदिरा गांधी की सोच थी कि आपातकाल में चà¥à¤¨à¤¾à¤µ करा कर, वह फिर जीत
जाà¤à¤‚गी, लेकिन जनता ने उनके मंसूबों पर पानी फेर
दिया।’
à¤à¤¨à¤¯à¥‚जे अधà¥à¤¯à¤•à¥à¤· रासबिहारी ने मीडिया की सà¥à¤µà¤¤à¤‚तà¥à¤°à¤¤à¤¾ पर आज की सà¥à¤¥à¤¿à¤¤à¤¿ पर टिपà¥à¤ªà¤£à¥€
की कि ‘आज समà¥à¤ªà¤¾à¤¦à¤• मैनेजर हो गठहै। कोई मीडिया पà¥à¤°à¤¤à¤¿à¤·à¥à¤ ान, जिसे केंदà¥à¤° में
à¤à¤¾à¤œà¤ªà¤¾ का à¤à¥‹à¤‚पू का कहा जाता है, वहीं बंगाल में
वहां की सतà¥à¤¤à¤¾à¤°à¥‚ढ़ पारà¥à¤Ÿà¥€ , दिलà¥à¤²à¥€ में
मà¥à¤–à¥à¤¯à¤®à¤‚तà¥à¤°à¥€ अरविंद केजरीवाल का और दूसरे राजà¥à¤¯à¥‹à¤‚ में वहां के सतà¥à¤¤à¤¾à¤°à¥‚ढ़ दल का
à¤à¥‹à¤‚पू माना जाता है।†उनà¥à¤¹à¥‹à¤‚ने पतà¥à¤°à¤•à¤¾à¤°à¤¿à¤¤à¤¾ को तथà¥à¤¯à¤ªà¤°à¤• बनाà¤
रखने की जरूरत पर बल दिया। à¤à¤¨à¤¯à¥‚जे सà¥à¤•à¥‚ल आफ जरà¥à¤¨à¤²à¤¿à¤œà¥à¤® à¤à¤‚ड कमà¥à¤¯à¥à¤¨à¤¿à¤•à¥‡à¤¶à¤¨à¥à¤¸ के अधà¥à¤¯à¤•à¥à¤·
अनिल पांडे ने इससे पहले वकà¥à¤¤à¤¾à¤“ं का परिचय कराया।
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