समाचार ब्यूरो
19/04/2022  :  18:09 HH:MM
किशोर-किशोरियों में आत्मसम्मान और अपने रंग-रूप व शारीरिक बनावट को लेकर आत्मविश्वास पैदा करना बेहद ज़रूरी: यूनिसेफ
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आत्मसम्मान की कमी, रंग-रूप एवं शारीरिक बनावट को लेकर उत्पन्न हीन भावना, लैंगिक रूढ़िवादिता आदि ऐसे महत्वपूर्ण मुद्दे हैं जो किशोर-किशोरियों को कई तरह से बाधित कर रहे हैं। जहां एक ओर वे अवसाद का शिकार हो रहे हैं, वहीं उनकी पढाई-लिखाई और करियर भी बुरी तरह से प्रभावित होने के मामलों में वृद्धि देखी जा रही है। टीनएजर्स से जुड़े इन मुद्दों को हल करने के लिए, बिहार सहित 8 राज्यों में यूनिसेफ इंडिया द्वारा 'पॉजिटिव सेल्फ-एस्टीम एंड बॉडी कॉन्फिडेंस’ पहल के माध्यम से किशोर-किशोरियों को सशक्त बनाने का कार्य शुरू किया गया है। इस पहल के अंतर्गत बिहार के 13 जिलों के 386 मास्टर ट्रेनर्स (एमटी) समेत 11,000 शिक्षक-शिक्षिकाओं का प्रशिक्षण शामिल है। इस संदर्भ में यह उल्लेखनीय है कि बिहार कक्षा छह से लेकर आठ तक के किशोर लड़कों और लड़कियों को सशक्त बनाने के लिए 'आत्मसम्मान-आधारित जीवन कौशल कार्यक्रम' के तहत शिक्षकों को सुपर मास्टर ट्रेनर्स के रूप में प्रशिक्षण देने वाला पहला राज्य बन गया है। पटना में प्रशिक्षण के पहले बैच के उद्घाटन सत्र में यूनिसेफ बिहार की शिक्षा विशेषज्ञ पुष्पा जोशी ने कहा कि इस साल जून तक 13 जिलों के 386 चयनित शिक्षकों को 7 बैचों में एमटी के रूप में प्रशिक्षित किया जाएगा। पहले बैच का प्रशिक्षण दिल्ली स्थित ‘यंग लाइव्स इंडिया’ संगठन के विशेषज्ञों द्वारा दिया जा रहा है। बीईपीसी और यूनिसेफ की संयुक्त पहल बिहार शिक्षा परियोजना परिषद (बीईपीसी) और यूनिसेफ द्वारा संयुक्त रूप से एससीईआरटी, पटना में आयोजित इस 4 दिवसीय प्रशिक्षण के तहत, 13 जिलों के 52 शिक्षकों (प्रत्येक 1 जिले से 4) को प्रमुख संसाधन व्यक्तियों के रूप में प्रशिक्षित किया जाएगा, जो अगले छह बैचों में उन्हीं जिलों से शेष 334 शिक्षकों को एमटी के रूप में प्रशिक्षित करेंगे। इसके बाद, इन मास्टर ट्रेनर्स द्वारा स्कूलों में कार्यक्रम शुरू करने के लिए 13 जिलों के 11,000 शिक्षकों को प्रशिक्षित किया जाएगा। प्रशिक्षण मॉड्यूल की सराहना करते हुए विजय कुमार हिमांशु, निदेशक, एससीईआरटी, पटना ने विश्वास जताया कि पहले बैच में ट्रेनिंग प्राप्त करने वाले मास्टर प्रशिक्षक अगले बैचों को प्रभावी तरीके से प्रशिक्षित करने में सक्षम होंगे ताकि इस कार्यक्रम का उद्देश्य पूरी तरह से प्राप्त किया जा सके और किशोर- किशोरियां इसका समुचित लाभ उठा सकें। उन्होंने इस बात पर भी जोर दिया कि शिक्षकों को स्कूल स्तर पर किशोर लड़कियों और लड़कों के बीच सकारात्मक दृष्टिकोण, जीवन कौशल और समानता के दृष्टिकोण को विकसित करने हेतु खुद को रोल मॉडल के रूप में पेश करना चाहिए। लैंगिक रूढ़ी, शारीरिक बनावट, रंग-रूप आदि के प्रति संवेदीकरण इस पहल के उद्देश्य पर प्रकाश डालते हुए, बीईपीसी के राज्य कार्यक्रम पदाधिकारी इम्तियाज आलम ने कहा कि इस कार्यक्रम का उद्देश्य किशोर लड़कों और लड़कियों को 6 महत्वपूर्ण विषयों जैसे लैंगिक रूढ़िवादिता, आदर्श रूप, मीडिया में आदर्श रूप, रूप-रंग की तुलना को समझना, शारीरिक बनावट से जुड़ी हानिकारक बातों को संबोधित करना और चलिए बदलाव लाएं के बारे में संवेदनशील बनाना है। ये सारे टॉपिक ‘आधाफुल सीरीज़’ की 6 कॉमिक पुस्तकों में शामिल हैं। इन कॉमिक पुस्तकों को यूनिसेफ द्वारा राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय मनोवैज्ञानिकों और बॉडी इमेज विशेषज्ञों के तकनीकी सहयोग से विकसित किया गया है। शरीर की छवि पर शोध निष्कर्षों को भी इनमें शामिल किया गया है ताकि बच्चों को आत्मविश्वास और आत्म-सम्मान के बारे में प्रोत्साहित किया जा सके। छठी से आठवीं कक्षा तक के 13 जिलों के 10,050 स्कूलों को दस कॉमिक पुस्तकों का एक सेट प्रदान किया जाएगा और प्रत्येक स्कूल से एक नोडल शिक्षक को जिला/ब्लॉक स्तर पर प्रशिक्षित किया जाएगा। सभी नोडल शिक्षकों को टीचर्स हैंडबुक प्रदान की जाएगी और वे इन विषयों पर किशोर बच्चे-बच्चियों को संवेदनशील बनाने के लिए जिम्मेदार होंगे। ट्रेनिंग सत्र के दौरान सभी 6 विषयों पर विस्तृत चर्चा के अलावा, प्रतिभागी सभी 6 कॉमिक पुस्तकों का भी वाचन करेंगे। विषयों की गहरी समझ सुनिश्चित करने के लिए मॉक सेशन भी आयोजित किए जाएंगे।






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