समाचार ब्यूरो
15/04/2022  :  17:28 HH:MM
‘‘गुनाहगार इंसान भी अगर नेक काम करे तो किसी को उसकी आलोचना का अधिकार नहीं’’
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जाजमऊ के यू.पी.कम्पाउण्ड में तरावीह में कुरआन मुकम्मल होने पर मौलाना अमीनुल हक़ अब्दुल्लाह क़ासमी का खिताब
अल्लाह की रहमत का दरवाज़ा बहुत बड़ा है, उसका हम संकल्पना भी नहीं कर सकते। हमसे जितने भी गुनाह हो जायें, अगर सच्चे दिल से ग़लती का ऐतराफ करके माफी मांगें तो अल्लाह पाक माफ फरमा देंगे। शैतान बार-बार दिल में यह बात डालता है कि तुम बहुत गुनाहगार हो, तुम तौबा ना करो, तुम्हारी तौबा कुबूल नहीं होगी, हमें चाहिये कि अगर कोइ गुनाह हो जाये तो फौरन तौबा करें, फिर से गुनाह हो जाये तो दोबारा तौबा करें। दुनिया में ऐसा होता है कि एक ग़लती तो लोग माफ कर देते हैं लेकिन अगर फिर वही ग़लती हो तो मज़ाक बना दिया जाता है, लेकिन अल्लाह का दरबार वह है कि सौ बार भी हमसे गुनाह हो जायें और सौ बार अल्लाह के दरबार में जायें और दो आंसू बहा लें तो अल्लाह तआला हमें हर बार माफ करने के लिये तैयार हैं। ऐसा करने पर कोई ताना नहीं मिलेगा, बल्कि अल्लाह हमसे खुश और राज़ी हो जायेंगे। इन विचारों को जमीअत उलमा उत्तर प्रदेश के उपाध्यक्ष मौलाना अमीनुल हक़ अब्दुल्लाह क़ासमी ने जाजमऊ के यू.पी. कम्पाउण्ड में हो रही तरावीह में कुरआन मुकम्मल होने के अवसर पर आयोजित कार्यक्रम में खिताब करते हुए व्यक्त किया। मौलाना ने हज़रत हसन बसरी रह0 और क़ाज़ी फुजै़ल बिन अयाज़ रह0 समेत अन्य बुजुर्गां व नेक बन्दों की की ज़िंदगी के सच्चे वाक़ियात की रोशनी में कहा कि अल्लाह अपने बन्दों से सत्तर मां से ज़्यादा मुहब्बत करते हैं, जब गुनाहगार बन्दा अल्लाह की तरफ ध्यान लगाता है तो अल्लाह तआला को बहुत ज़्यादा खुशी होती है। गुनाहगार बन्दे के दिल में यह एहसास पैदा हो जाये कि मैं गुनाहगार हूं, अल्लाह को अपने बन्दों का यह एहसास बहुत पसन्द है। अगर कोई शख्स जिसके बारे में आम तौर पर मालूम हो कि यह बहुत गुनाहगार इंसान है और फिर वह अगर किसी वजह से नेक कामों की तरफ आकर्षित हो तो किसी को यह अधिकार नहीं कि उसको ताना दे या आलोचना करे। मौलाना ने कहा रमज़ान का यह महीना अल्लाह ने हमें हमारे गुनाहां से तौबा करने के लिये दिया है। अगर हमने पूरी ज़िंदगी और साल भर गुनाहों और ग़फलत में गुज़ारा है तो ‘‘तौबा’’ अल्लाह की तरफ से हमारे लिये बहुत बड़ी नेमत है, हम मरने से पहले इस महीने में अल्लाह से अपनी सारी ज़िंदगी के गुनाह माफ करवा लें, अपने नामाए आमाल में सवाब लिखवाकर उसे दुरुस्त कर लें। इस मुक़द्दस महीने में अल्लाह की रहमतें और बरकतें सुबह व शाम बारिश की तरह नाज़िल हो रही हैं। सेहरी और इफ्तार के वक़्त खास तौर पर अल्लाह अपने बन्दों की दुआयें कुबूल कर रहे हैं। इस लिये हम सब गुनाहों से तौबा करें, अल्लाह से माफी मांगें, आइन्दा के लिये नियत करें कि इंशाअल्लाह हम हर तरह के गुनाहों से अपने आप को बचायेंगे। अगर हम सच्ची नियत के साथ अल्लाह से तौबा कर लें , आंसू बहा लें तो हमें यक़ीन है कि हमारा हाल उस बच्चे की तरह होगा जो अभी-अभी पैदा हुआ हो और उसके नामा ए आमाल में कोई गुनाह ना लिखा हो।






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