समाचार ब्यूरो
12/04/2022  :  17:36 HH:MM
रफीगंज में 6 दलित लड़कियों के जहर खाने और 4 की मृत्यु मामले की उच्चस्तरीय जांच कराओ: माले
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भाकपा-माले व ऐपवा की एक राज्य स्तरीय जांच टीम विगत 9 अप्रैल को औरंगाबाद जिले के रफीगंज प्रखंड के चिरैला गांव पहुंची और 8 अप्रैल के दिन 6 दलित लड़कियों द्वारा सामूहिक रूप से जहर खाने व उनमें चार की मौत मामले की संपूर्णता में जांच की. आज पटना में माले व ऐपवा नेताओं ने एक संवाददाता सम्मेलन को संबोधित करते हुए कहा कि अखबारों में प्रकाशित प्रेम प्र्रसंग के मामले में 6 लड़कियों द्वारा जहर खाने की बात कहीं से भी तार्किक प्रतीत नहीं हो रहा है. आखिर किस दवा दुकान ने लड़कियों को जहर मुहैया कराया? यह मानी हुई बात है कि आज की तारीख में कोई भी दुकान महिलाओं को चूहे मारने तक की दवा नहीं देती. अथवा किसी प्रकार का ड्रग्स बिना चिकित्सक के अनुमोदन के नहीं दिया जाता. इसलिए, प्रेम प्रसंग में जहर खाने का मामला किसी बड़ी साजिश को ढक देने की एक बनाई हुई कहानी प्रतीत होती है. प्रथम द्रष्टया हमें यही लग रहा है कि यह आत्महत्या नहीं बल्कि हत्या है, जिसे साजिशन आत्महत्या कहा जा रहा है. अतः भाकपा-माले व ऐपवा राज्य सरकार से इस पूरे मामले की उच्चस्तरीय जांच की मांग करती है, ताकि इतने व्यापक पैमाने पर दलित लड़कियों की हुई मौतों की सच्चाई सबके सामने आ सके. जांच टीम की रिपोर्ट जांच टीम में ऐपवा की राज्य सह सचिव कॉ. रीता वर्णवाल, ऐपवा नेत्री कॉ. बेबी चैधरी, राज्य कमिटी सदस्य व जिला सचिव कॉ. मुनारिक राम, कैलाश पासवान, गुड़ु चंद्रवंशी, कमलदेव पासवान आदि शामिल थे. जांच के दौरान मृतक काजल कुमारी, उम्र 15 वर्ष के पिता - राजेश पासवान, नीलम कुमारी उम्र, 14 वर्ष के पिता - मनोज पासवान, निशा कुमारी, उम्र 14 वर्ष पिता - प्रवेश पासवान व उनके परिवार की महिलाओं से बातचीत की. जांच टीम को गांव में घुसते ही गांव के सवर्ण समुदाय से संबंध रखने वाले लोगों ने 6 लड़कियों के एक साथ गांव के बघार में जहर खाने का मामला बताया. ग्रामीण रामसूचित सिंह, पैक्स अध्यक्ष अजय सिंह, राधेश्याम सिंह, अर्जुन सिंह ने जांच टीम को बताया कि जहर खाने की घटना प्रेम प्रसंग मामले में हुई है. दलितों के मुहल्ले में भय व आतंक का साया था. जांच टीम को पीड़ित लड़कियों के परिवार के सदस्यों बताया कि वे लोग इस गांव में केवल 15 घर हैं, जो बेहद गरीब और रोज कमाने खाने वाले हैं. वे लोग इस मसले पर खुलकर बातचीत भी नहीं करना चाहते थे. जांच टीम की लगातार कोशिशों के बाद कुछेक महिलाओं ने प्रेम प्रसंग के मामले को गलत बताना चाहा, तो उन्हीं में से कुछ ने यह कहते हुए उन्हें चुप करा दिया कि क्या अब सबको मरवा दोगी? जांच टीम को बताया गया कि एक मृतक लड़की का मोबाईल गांव के ही एक आदमी के पास था, उसपर जब फोन किया गया तो उधर से भद्दी-भद्दी गालियां दी गईं. पुलिस ने उस फोन को हासिल कर और सच्चाई सामने लाने का कोई प्रयास नहीं किया. पुलिस की भूमिका भी संदेह की घेरे में है. बहरहाल, 6 में चार लड़कियों की मौत हो चुकी है. मगध मेडिकल कॉलेज, गया में इलाजरत भी बच्ची को नहीं बचाया जा सका. इस मामले की उच्चस्तरीय जांच, पीड़ित परिजनों को उचित मुआवजा, स्थानीय थाना प्रभारी को तत्काल मुअत्तल करने, दलित टोले में कायम भय के माहौल को खत्म करने और दो जीवित बची लड़कियों के बयान दर्ज कर उन्हें सुरक्षा व सरकारी खर्चे पर उनकी पढ़ाई व रोजगार की व्यवस्था आदि मांगों पर 14 अप्रैल को अम्बेदकर जयंती के अवसर पर पूरे राज्य में ऐपवा व माले के बैनर से विरोध का कार्यक्रम किया जाएगा.






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