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किताबी की लॉनà¥à¤šà¤¿à¤‚ग के मौके पर कांगà¥à¤°à¥‡à¤¸ के पूरà¥à¤µ अधà¥à¤¯à¤•à¥à¤· राहà¥à¤² गांधी देश में छà¥à¤†à¤›à¥‚त के मà¥à¤¦à¥à¤¦à¥‡ पर खà¥à¤²à¤•à¤° बात की। इस दौरान उनà¥à¤¹à¥‹à¤‚ने अपने à¤à¤• विचार को साà¤à¤¾ किया। उनà¥à¤¹à¥‹à¤‚ने बताया कि जब मैं लंदन में था, तब अचानक à¤à¤• दिन यह विचार मेरे मन में आया था कि हमारे देश में छà¥à¤†à¤›à¥‚त कà¥à¤¯à¥‹à¤‚ है। उनà¥à¤¹à¥‹à¤‚ने कहा कि कहा कि मैं यह सà¥à¤µà¥€à¤•à¤¾à¤° नहीं कर सकता कि मेरे देश में à¤à¤¸à¥‡ लोग हों जो दूसरे लोगों को छूने से मना कर दें। मैं यह नहीं समठपाता कि आखिर कैसे à¤à¤• इंसान इस नतीजे तक पहà¥à¤‚चता है। मैं यह समठसकता हूं कि à¤à¤• इंसान दूसरे इंसान की तरह नहीं हो सकता। मेरे दिमाग में यह बात नहीं जाती कि à¤à¤• वà¥à¤¯à¤•à¥à¤¤à¤¿ जो à¤à¤• कà¥à¤¤à¥à¤¤à¥‡ को छूने के लिठतैयार हो जाता है। वही आदमी à¤à¤• दूसरे आदमी को छूने के लिठतैयार नहीं होता।
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