समाचार ब्यूरो
30/03/2022  :  17:29 HH:MM
अखिलेश यादव के द्वारा करहल विधानसभा चुनाव जीतने पर विधानसभा में जाने का निश्चय कर आजमगढ़ से त्यागपत्र दिया है
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समाजवादी पार्टी के अध्यक्ष अखिलेश यादव के द्वारा आजमगढ़ लोकसभा सीट से त्यागपत्र देने के बाद यह क्षेत्र सुर्खियों में बना हुआ है अखिलेश यादव के द्वारा करहल विधानसभा चुनाव जीतने पर विधानसभा में जाने का निश्चय कर आजमगढ़ से त्यागपत्र दिया है . देश के प्रसिद्ध गीतकार कैफी आज़मी की कर्मभूमि आजमगढ़ कभी सपा और बसपा का गढ़ रहा है आजमगढ़ लोकसभा क्षेत्र में कुल 5 विधानसभा हैं गोपालपुर ,सगड़ी, आजमगढ़, मेहनगर और मुबारकपुर। 2019 के विधानसभा चुनाव में बसपा सपा और रालोद के गठबंधन के उम्मीदवार के तौर पर सपा प्रमुख अखिलेश यादव ने यहां से शानदार जीत हासिल की थी तब उन्होंने भाजपा के दिनेश सिंह यादव उर्फ निरहुआ को बड़े अंतर से हराया था । 2014 के लोकसभा चुनाव में सपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष मुलायम सिंह यादव ने यहां से चुनाव लड़ा और शानदार जीत हासिल की तब उन्होंने भाजपा के रमाकांत यादव को और बसपा के शाह आलम उर्फ गुड्डू जमाली को भारी मतों से पराजित किया था . सपा के मुलायम सिंह यादव को 3 लाख 40 हजार मत, भाजपा के रमाकांत यादव को 2 लाख, 66 लाख और बसपा के शाह आलम को 2लाख 40 हज़ार मत मिले. 2009 में आजमगढ़ लोकसभा क्षेत्र से भाजपा के रमाकांत यादव चुनाव जीते थे । बसपा ने आजमगढ़ लोकसभा चुनाव क्षेत्र में चार बार जीत दर्ज की है इस चुनाव क्षेत्र में वर्ष 1989 में राम कृष्ण यादव ने चुनाव जीता 1998 में अकबर अहमद डंपी ने यहां से चुनाव जीता. 2004 में रमाकांत यादव ने यहां से चुनाव जीता और 2008 में अकबर अहमद डंपी ने एक बार फिर यहां से बसपा के टिकट पर शानदार जीत हासिल की। आजमगढ़ में कुल 26 लाख के करीब आबादी है आजमगढ़ संसदीय चुनाव क्षेत्र में मुस्लिम आबादी करीब 24% है यादव 26% है और दलित आबादी 25% है बाकी 25% की आबादी में अन्य जातियां शामिल हैं यही कारण है कि बसपा और सपा ने इस सीट पर कई बार चुनाव जीता है और अपने उम्मीदवार को सांसद बनाए हैं । बहुजन समाज पार्टी ने सर्वप्रथम इस संसदीय चुनाव क्षेत्र से अपने पूर्व विधायक और विधान मंडल दल के नेता रहे शाह आलम उर्फ गुड्डू जमाली को प्रत्याशी बनाया ह. शाह आलम ने हाल ही के विधानसभा चुनाव में एम आई एम के टिकट पर आजमगढ़ से चुनाव लड़ा लेकिन उन्हें हार का सामना करना पड़ा . 27 मार्च को बसपा के द्वारा बुलाए गए एक कार्यकर्ता सम्मेलन में शाह आलम ने बसपा को पुनः ज्वाइन किया और बसपा की नीतियो में विश्वास किया. बसपा आलाकमान ने भी उनको सम्मान देते हुए और वापसी पर प्रसन्नता जाहिर करते हुए आजमगढ़ से बसपा उम्मीदवार घोषित किया है. अब देखना बाकी होगा कि कि भारतीय जनता पार्टी और समाजवादी पार्टी यहां से किस को अपना उम्मीदवार बनाती है लेकिन यह स्पष्ट है कि इस बार यहां चुनाव बेहद रोचक होने वाला है शाह आलम एक मजबूत प्रत्याशि के साथ एक साधन संपन्न भी है और दलित मुस्लिम की मजबूत नींव पर चुनाव जीतने की पूरी कोशिश करेंगे । समाजवादी प्रमुख अखिलेश यादव के द्वारा खाली की गई इस सीट पर पूरी ताकत और दमखम से चुनाव लड़ेगी और दोबारा प्राप्त करने की कोशिश करेगी .भाजपा भी मौके का फायदा उठाते हुए यहां से एक मजबूत प्रत्याशी चुनाव में उतारेगी और चुनाव जीतने का भरसक प्रयास करेगी.






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