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à¤à¤¾à¤°à¤–ंड के लोहरदगा जिले में बरही चटकपà¥à¤° गांव में अनूठी होली होती है। यहां होली के दिन मैदान में गाड़े गये लकड़ी के à¤à¤• खूंटे (पोल) को कई लोग उखाड़ने की कोशिश करते हैं और इसी दौरान मैदान में जमा à¤à¥€à¤¡à¤¼ उनपर ढेला (पतà¥à¤¥à¤°) फेंकती है। जो लोग खूंटा उखाड़ने में सफल रहते हैं उनà¥à¤¹à¥‡à¤‚ सौà¤à¤¾à¤—à¥à¤¯à¤¶à¤¾à¤²à¥€ माना जाता है।खूंटा उखाड़ने और ढेला फेंकने की इस परंपरा के पीछे कोई रंजिश नहीं होती, बलà¥à¤•à¤¿ लोग खेल की तरह à¤à¤¾à¤ˆà¤šà¤¾à¤°à¤¾ की à¤à¤¾à¤µà¤¨à¤¾ के साथ इस परंपरा का निरà¥à¤µà¤¾à¤¹ करते हैं। लोहरदगा के वरिषà¥à¤ पतà¥à¤°à¤•à¤¾à¤° संजय कà¥à¤®à¤¾à¤° बताते हैं कि बीते कà¥à¤› वरà¥à¤·à¥‹à¤‚ में बरही चटकपà¥à¤° की इस होली को देखने के लिठलोहरदगा के अलावा आसपास के जिले से बड़ी संखà¥à¤¯à¤¾ में लोग जमा होते हैं, लेकिन इसमें सिरà¥à¤« इसी गांव के लोगों को à¤à¤¾à¤—ीदारी की इजाजत होती है। यह परंपरा सैकड़ों वरà¥à¤·à¥‹ से चली आ रही है। यह यह परंपरा कब शà¥à¤°à¥‚ हà¥à¤ˆ और इसके पीछे की कहानी कà¥à¤¯à¤¾ है, यह किसी को नहीं पता।
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