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फालà¥à¤—à¥à¤¨ महीने के पूरà¥à¤£à¤¿à¤®à¤¾ के दिन जहां पà¥à¤°à¤¤à¥à¤¯à¥‡à¤• साल रंगों के तà¥à¤¯à¥‹à¤¹à¤¾à¤° में आम से खास लोग रंग में सराबोर होकर खà¥à¤¶à¤¿à¤¯à¤¾à¤‚ मनाते हैं, वहीं बिहार के मà¥à¤‚गेर जिले में à¤à¤• à¤à¤¸à¤¾ à¤à¥€ गांव है जहां होली नहीं मनाई जाती। होली के दिन इस गांव के लोग न केवल खà¥à¤¦ को रंगों से दूर रखते हैं, बलà¥à¤•à¤¿ घरों में पà¥à¤† पकवान à¤à¥€ नहीं बनाया जाता है।मà¥à¤‚गेर जिला मà¥à¤–à¥à¤¯à¤¾à¤²à¤¯ से करीब 50 लिोमीटर दूर असरगंज के सती सà¥à¤¥à¤¾à¤¨ गांव के गà¥à¤°à¤¾à¤®à¥€à¤£à¥‹à¤‚ के लिठहोली कोई तà¥à¤¯à¥‹à¤¹à¤¾à¤° नहीं है। होली के दिन à¤à¥€ यहां के लोगों की जिंदगी आम दिनों की तरह चलती है। गà¥à¤°à¤¾à¤®à¥€à¤£ कहते हैं कि यह कोई आज की बात नहीं है कि गांव में होली नहीं मनाई जाती। गà¥à¤°à¤¾à¤®à¥€à¤£à¥‹à¤‚ का दावा है कि इस गांव में 200 साल से होली नहीं मनाई जाती। इसके कारणों के संबंध में पूछे जाने पर गांव के रहने वाले कहते हैं कि अब तो यहां की यह परंपरा बन गई है। लोगों का कहना है कि होली मनाने पर गांव में विपदा आती है। इस कारण लोग होली नहीं मानते हैं
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