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होली का खà¥à¤®à¤¾à¤° चढ़ते ही हिंदà¥à¤¸à¥à¤¤à¤¾à¤¨ की फ़िज़ाओं में à¤à¤• गीत गूंजने लगता है “ होली आयी रे कनà¥à¤¹à¤¾à¤ˆ रंग छलके – सà¥à¤¨à¤¾ दे ज़रा बांसà¥à¤°à¥€...“ ये गीत 1957 में रिलीज़ हà¥à¤ˆ हिंदी सिनेमा की कालजयी फिलà¥à¤® मदर इंडिया का है। तब à¤à¤¾à¤°à¤¤ à¤à¤¸à¤¾ देश हà¥à¤† करता था जहां हिंदॠमà¥à¤¸à¥à¤²à¤¿à¤® संसà¥à¤•à¥ƒà¤¤à¤¿à¤¯à¥‹à¤‚ के मेल से पनपा समाज à¤à¤• दूसरे समà¥à¤¦à¤¾à¤¯ को लेकर गहरा लगाव रखता था। तब विकृत इतिहास की ककà¥à¤·à¤¾à¤à¤‚ वà¥à¤¹à¤¾à¤Ÿà¥à¤¸à¤…प यूनीवरà¥à¤¸à¤¿à¤Ÿà¥€ पर नहीं चली थीं।इसलिठहोली का सरà¥à¤µà¤¾à¤§à¤¿à¤• लोकपà¥à¤°à¤¿à¤¯ सिनेमाई गीत उस तरह की टीम दà¥à¤µà¤¾à¤°à¤¾ रचा गया जिसकी अब कलà¥à¤ªà¤¨à¤¾ मà¥à¤¶à¥à¤•à¤¿à¤² है। मदर इंडिया के निरà¥à¤¦à¥‡à¤¶à¤• थे महबूब, संगीतकार नौशाद, गीतकार शकील बदायूंनी और इस गीत को गाया शमशाद बेगम ने। वैसे कोरस में मोहमà¥à¤®à¤¦ रफी, मनà¥à¤¨à¤¾ डे, लता मंगेशकर आदि à¤à¥€ थे। महबूब-नौशाद-शकील-शमशाद ने मिल कर à¤à¤¸à¥€ रचना तैयार की कि इस गीत के 65 साल के सफर के दौरान कई पीढ़ियां इस गीत को सà¥à¤¨-सà¥à¤¨ कर होली को गà¥à¤²à¤œà¤¼à¤¾à¤° बनाती रहीं हैं।
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