समाचार ब्यूरो
16/03/2022  :  18:30 HH:MM
केवाईएस ने किया केंद्रीय शिक्षा मंत्रालय का घेराव!
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अभाशिअमं के आह्वान पर केवाईएस कार्यकर्ताओं ने एनईपी 2020 के खिलाफ आयोजित विरोध प्रदर्शन में भाग लिया! इसको वापस लेने की मांग की!
क्रांतिकारी युवा संगठन (केवाईएस) के कार्यकर्ताओं ने आज अखिल भारतीय शिक्षा अधिकार मंच (अभाशिअमं) के आह्वान पर अन्य प्रगतिशील संगठनों के साथ केन्द्रीय शिक्षा मंत्रालय पर एक विरोध प्रदर्शन में भाग लिया। यह प्रदर्शन समान स्कूली शिक्षा के लिए एक देशव्यापी अभियान का हिस्सा था और निजीकरण समर्थक राष्ट्रीय शिक्षा नीति (एनईपी)2020 के खिलाफ आयोजित किया गया थाजो औपचारिक सार्वजनिक शिक्षा से वंचित सामाजिक-आर्थिक पृष्ठभूमि के अधिकांश युवाओं को बेदखल करने का काम करेगा।नई शिक्षा नीति देश में शिक्षा की बिलकुल खस्ता हालत को बद-से-बदतर बनाएगी। मौजूदा दोहरी शिक्षा नीति के तहत प्राइवेट और सरकारी स्कूलों द्वारा समाज में गैरबराबरी बनी हुई है। एनईपी 2020 द्वारा भाजपा सरकार व्यवसायिक शिक्षा (वोकेशनल एजुकेशन) और अनौपचारिक शिक्षा के माध्यम से गैरबराबरी को बढ़ावा दे रही है, à¤”र गरीब और हाशिये के समुदायों के छात्रों को अनौपचारिक श्रम बाज़ार में धकेल रही है। उच्च शिक्षा के क्षेत्र मेंशिक्षा के अनौपचारीकरणफण्ड में कटौतीसीटों की संख्या घटानाफीस बढ़ोतरी, à¤†à¤¦à¤¿ से बहुसंख्यक छात्र अच्छी और औपचारिक उच्च शिक्षा प्रणाली से वंचित होंगे|मुक्त और दूरस्थ शिक्षा (ओडीएल) पर एनईपी का जोर देश के शिक्षा क्षेत्र में मौजूदा असमानता और दुर्गमता पर प्रकाश डालता है और इसका समाधान करने के बजाय सार्वजनिक शिक्षा के अनौपचारिकरण की वकालत करता है जो वंचित पृष्ठभूमि और हाशिए के समुदायों के छात्रों को गंभीर रूप से प्रभावित करेगा। यह नीति स्कूल स्तर से ही दूरस्थ शिक्षा के माध्यमों पर जोर देती है और स्कूलों में व्यावसायिक प्रशिक्षण पर इसका जोर गरीब छात्रों को शोषणकारी श्रम बाजारों और बाल श्रम में धकेलने के अलावा कुछ नहीं है। इस संबंध मेंस्कूल्स ऑफ एक्सीलेंस के रूप में सरकारी स्कूलों के भीतर असमानता को बढ़ावा दिया जा रहा है।इस नीति के आने के एक साल बाद इसके द्वारा लाए प्रतिगामी बदलाव साफ देखे जा सकते हैं। कई राज्यों में कई स्कूल बंद किए जा चुके हैंऔर उच्च शिक्षा के स्तर परउच्च शिक्षण संस्थानों में कटौती और मुक्त एवं दूरस्थ शिक्षा (ओडीएल) प्रणाली के बढ़ावा देने से लाखों छात्र औपचारिक शिक्षा से बाहर हो गए हैं। साथ ही सार्वजनिक उच्च शिक्षण संस्थानों को फंड से वंचित किया जा रहा है जिससे बहुसंख्यक छात्रों के हितों के बरक्स कॉरपोरेट हितों को बढ़ावा दिया जा सके।देश में गैरबराबरी का एक मुख्य कारण एक बड़े हिस्से के लिए गुणवत्तापूर्ण शिक्षा तक पहुंच की कमी हैदेश में अधिक स्कूल खोलने और समान स्कूल व्यवस्था स्थापित करने की तत्काल आवश्यकता हैऐसी स्थिति में सरकार बड़े पैमाने पर निजी स्कूलों को बढ़ावा देने के अपने इरादे को साफ तौर पर जाहिर करती हैपीपीपी मॉडल के जरिये सार्वजनिक शिक्षा में निजी क्षेत्र के प्रवेश के मार्ग को प्रशस्त किया गया हैइस फैसले से बड़े पैमाने पर निजीकरण की शुरूआत होगी और दलितोंआदिवासियोंअल्पसंख्यकोंमहिलाओं और मजदूर वर्ग की पृष्ठभूमि के अधिकांश युवाओं को औपचारिक शिक्षा से बाहर धकेला जाएगा|नई शिक्षा नीति2020 में व्यावसायिक शिक्षा (वोकेशनल एजुकेशन) पर बहुत जोर दिया गया हैसरकार का उद्देश्य स्कूली शिक्षा के शुरूआती दौर से ही व्यावसायिक शिक्षा को लाना हैनिजी स्कूलों में पढ़ने वाले छात्रों के लिए जो एक आसान विषय होगावह वचिंत तबके के छात्र के लिए एक जाल की तरह काम करेगाक्योंकि इसके तहत उन्हें वे कौशल प्रदान किये जाएंगेजिससे वे बड़े पैमाने में अनौपचारिक श्रम बाजार में प्रवेश करेंगेइस तरह से बड़ी संख्या में मजदूर परिवारों से आ रहे छात्रों को उच्च शिक्षा में प्रवेश करने से रोक दिया जाएगा|  à¤‰à¤šà¥à¤š शिक्षा में भी व्यवसायिक शिक्षा पर ज़ोर दिया जाएगा। औद्योगिककॉरपोरेट और एनजीओ से संबंधित कोर्सों के द्वारा कॉरपोरेट हितों को पूरा किया जाएगा। एक खास समितिनेशनल कमिटी ऑन इंटीग्रेशन ऑफ़ वोकेशनल एजुकेशन (एनसीआईवीई) औद्योगिक प्रतिनिधियों द्वारा नीति की इस धारा को लागू करेगी। बहुसंख्यक छात्रों को अनौपचारिक श्रम बाज़ार में धकेल करअभिजात वर्ग के चंद छात्रों को आगे पढ़ने का मौका मिलेगा।अभी से इस नीति द्वारा कई  à¤ªà¥à¤°à¤¤à¤¿à¤—ामी बदलाव लाए गए हैंउनका एक उदाहरण है यूनिवर्सिटी ग्रांट्स कमीशन (यूजीसी) द्वारा लाया गया ब्लेंडेड लर्निंगजिसके तहत उच्च शिक्षण संस्थान  à¤¸à¤­à¥€ (स्वयं कोर्स के अलावा) कोर्स में 40% पाठ्यक्रम ऑनलाइन और 60% पाठ्यक्रम ऑफलाइन पढ़ा सकते हैं। साथ ही, à¤à¤®.फिल. जैसे कोर्सों को भी खत्म किया जा रहा है, à¤œà¥‹ छात्रों को पीएचडी से पहले शोध का अनुभव देते थे। इसका सीधा मकसद शोध में सीटों को कम करना है।  à¤à¤¨à¤ˆà¤ªà¥€ 2020 के द्वारा वंचित छात्रों का जन शिक्षा का अधिकार छीना जा रहा है और अनौपचारिक शिक्षा (ऑनलाइन और ब्लेंडेड शिक्षा) को बढ़ावा दिया जा रहा है। फलस्वरूपजो पिछड़े तबकों के छात्र जो असल में सरकारी उच्च शिक्षण व्यवस्था से बाहर हैंउनको शिक्षा पाने की संभावना को खत्म किया जा रहा है। केवाईएस इस नीति की कड़े शब्दों में निंदा करता है और मांग करता है की इस नीति को तुरंत वापस लिया जाए। केवाईएस अन्य प्रगतिशील संगठनों के साथआने वाले समय में केंद्र सरकार की भेदभावपूर्ण शिक्षा प्रणाली के खिलाफ आने वाले समय में आंदोलन तेज करेगा।






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