समाचार ब्यूरो
16/05/2023  :  21:35 HH:MM
सोशल मीडिया पर बाल यौन शोषण सामग्री में उछाल पर सरकारों को मनवाधिकार आयोग का नोटिस
Total View  1421


नयी दिल्ली- राष्ट्रीय मानव अधिकार आयोग, एनएचआरसी, भारत ने सोशल मीडिया पर बाल यौन शोषण सामग्री में उछाल संबंधी खबर पर स्वत: संज्ञान लेते हुए केंद्र एवं राज्यों की सरकारों और तथा केंद्रशासित क्षेत्रों के प्रशासन को नोटिस जारी कर छह सप्ताह में जवाब तलब किया है।

 

आयोग ने मंगलवार को एक विज्ञप्ति में यह जानकारी दी। विज्ञप्ति के अनुसार मीडिया की संबंधित रिपोर्ट में कहा गया है कि भारत में सोशल मीडिया पर चाइल्ड सेक्सुअल एब्यूज मटेरियल (सीसैम) का परिचालन 250 से 300 प्रतिशत तक बढ़ गया है। कथित तौर पर, सीएसएएम सामग्री विदेशी हैं, और भारतीय जांच एजेंसियों को अभी तक किसी भी भारतीय निर्मित सीएसएएम का पता नहीं चला है।

 

आयोग ने नोटिस में सरकारों से कहा है कि “मीडिया रिपोर्ट की सामग्री, यदि सत्य है, तो यह नागरिकों के जीवन, स्वतंत्रता और गरिमा से संबंधित मानव अधिकारों के उल्‍लंघन और छोटे बच्चों को सोशल मीडिया पर उनके यौन शोषण के खतरे से बचाने से संबंधित मानव अधिकारों के उल्लंघन के बराबर है।”

 

आयोग ने पुलिस आयुक्त, दिल्ली, सभी राज्यों/संघ शासित प्रदेशों के पुलिस महानिदेशकों, निदेशक, राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो (एनसीआरबी) और सचिव, केंद्रीय इलेक्ट्रॉनिक्स और सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय, को नोटिस जारी कर सोशल मीडिया पर इस तरह के खतरे को रोकने के लिए उठाए गए कदमों पर छह सप्ताह के भीतर मामले में एक विस्तृत रिपोर्ट मांगी है।

 

विज्ञप्ति के अनुसार आयोग ने इस नोटिस में 15 मई, 2023 को की एक मीडिया रिपोर्ट का हवाला दिया है जिसके अनुसार, वर्ष 2023 में अब तक बाल यौन शोषण सामग्री के प्रसार के लगभग 450207 मामले सामने आए हैं। इनमें से दिल्ली पुलिस ने 3039 मामलों में कार्रवाई की है। इनमें से वर्तमान में 447168 मामलों का अध्ययन किया जा रहा है। कुछ मामलों में, भारत में छोटे बच्‍चों की उनके पिता, भाइयों और बहनों द्वारा प्यार से खींची गई तस्वीरों को भी एक अमेरिकी गैर सरकारी संगठन द्वारा बाल यौन शोषण के रूप में वर्गीकृत किया गया है। भारत में सोशल मीडिया पर बाल यौन शोषण सामग्री के वर्ष 2022 में 204056, वर्ष 2021 में 163633 और वर्ष 2020 में 17390 मामले दर्ज किए गए।

 

आयोग ने कहा कि वह ऑनलाइन बाल यौन शोषण सामग्री के दुष्प्रभावों से चिंतित है क्यों कि इससे बच्चों की अपूरणीय मनोवैज्ञानिक क्षति हो सकती है, जिससे उनकी वृद्धि और विकास प्रभावित हो सकता है। आयोग हाल के दिनों में समय-समय पर संवादों का आयोजन करता रहा है ताकि इस खतरे को रोकने के तरीके और साधन निकाले जा सकें। हाल ही में दो और तीन मार्च, 2023 को, आयोग ने विज्ञान भवन, नई दिल्ली में सीएसएएम पर एक राष्ट्रीय संगोष्ठी का आयोजन किया, जिसे केंद्रीय कानून और न्याय मंत्री और केंद्रीय इलेक्ट्रॉनिक्स और आईटी, कौशल विकास और उद्यमिता राज्य मंत्री द्वारा संबोधित किया गया था।

 

आयोग ने इससे पहले, 21 जुलाई, 2020 को भी आयोग ने इस विषय पर एक ऑनलाइन राष्ट्रीय सम्मेलन का आयोजन किया था, जिसमें अंतर्राष्ट्रीय संगठनों, सरकारी मंत्रालयों, कानून प्रवर्तन एजेंसियों, राष्ट्रीय और राज्य आयोगों, नागरिक समाज समूहों, डोमेन विशेषज्ञों और माता-पिता के संघों से बहुमूल्य जानकारी मिली थी।

 

आयोग ने दिनांक 29 सितंबर 2020 और दो जून 2021 को क्रमशः 'कोविड-19 के संदर्भ में बच्चों के अधिकारों के संरक्षण के लिए मानव अधिकार परामर्शी' भी जारी की थी। जिसमें आयोग ने साइबर क्राइम और बच्चों की ऑनलाइन सुरक्षा को लेकर संबंधित अधिकारियों को सिफारिशें की थीं। साथ ही आयोग द्वारा चार नवंबर 2022 को बाल यौन शोषण सामग्री (सीसैम) पर एक चर्चा आयोजित की गई, जिसमें विभिन्न डोमेन विशेषज्ञों ने सीसैम के मुद्दे की प्रकृति, सीमा और विभिन्न अभिव्यक्तियों पर विचार-मंथन किया गया था।






Enter the following fields. All fields are mandatory:-
Name :  
  
Email :  
  
Comments  
  
Security Key :  
   7176935
 
     
Related Links :-
पार्श्वगायक नहीं अभिनेता बनना चाहते थे मुकेश
दिग्गज बॉलीवुड गीतकार देव कोहली का निधन
शैक्षणिक विकास निगम में भ्रष्टाचार की निगरानी से करायें जांच : सुशील
स्वदेशी गाय की खरीद पर ट्रांसर्पोटेशन और बीमा का खर्च उठाएगी योगी सरकार
शंखनाद अभियान का आगाज करेगी भाजपा
आयकर विभाग की वेबसाइट नये स्वरूप में लाँच
अडानी ने लगायी गुजरात ऊर्जा निगम को 3900 करोड़ रुपए की चपत: कांग्रेस
लखनऊ रामेश्वरम रेल हादसे पर खडगे, राहुल, प्रियंका ने जताया शोक
तमिलनाडु ट्रेन हादसे पर मुर्मु ने जताया शोक
एनडीएमए ने ‘आपदा मित्रों’ को किया सम्मानित