समाचार ब्यूरो
04/05/2023  :  22:01 HH:MM
खुदरा मुद्रास्फीति के जल्दी ही पांच प्रतिशत से नीचे आने की संभावना: एमके ग्लोबल
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मुम्बई - बाजार पर अनुसंधान कंपनी एमके ग्लोबल फाइनेंशियल सर्विसेज का अनुमान है कि वर्ष 2023 में देश में खुदरा मुद्रास्फीति आगे आने वाले महीनों में पांच प्रतिशत से नीचे दिख सकती है और चालू कलेंडर वर्ष के दौरान खुदरा महंगाई दर का औसत 5.2 प्रतिशत के आस-पास रहेगा।

एमके ग्लोबल फाइनेंशियल की प्रमुख अर्थशास्त्री माधवी अरोड़ा ने गुरुवार को मीडिया के साथ एक आनलाइन चर्चा में कलेंडर वर्ष 2023 में उभरती वैश्विक परिस्थितियों के बीच भारतीय अर्थव्यवस्था के बारे में कंपनी के अनुमान प्रस्तुत किए। एमके ग्लोबल फाइनेंशियल का मानना है कि इस कलेंडर वर्ष में जल्दी ही उपभोक्ता मूल्य सूचकांक पर आधारित मुद्रास्फीति पांच प्रतिशत से नीचे आ सकती है और पूरे कैलेंडर वर्ष में खुदरा मुद्रास्फीति का औसत 5.2 प्रतिशत के स्तर पर रहेगा।
भारतीय रिजर्व बैंक खुदरा मुद्रास्फीति को अधिकतम दो प्रतिशत घट बढ़ की सीमा के साथ चार प्रतिशत के आस पास रखने के लक्ष्य के साथ चलता है। कंपनी का कहना है कि भारतीय रिजर्व बैंक की कर्ज महंगा करने की कार्रवाईयों, मानसून के सामान्य रहने की संभावनाओं और आपूर्ति पक्ष की बाधाएं हटने से मुद्रास्फीति का दबाव कम होगा।
एके ग्लोबल का अनुमान है कि अमेरिका के बाहर अर्थिक वृद्धि मजबूत रहने की संभावना और जी-4 देशों (ब्राजील, जर्मनी, भारत तथा जापान की अलग अलग नीतिगत चाल के बीच डालर के मुकाबले प्रमुख विदेशी मुद्राओं में मजबूती दिखेगी लेकिन डालर सूचकांक में नरमी का भारतीय रुपये सहित एशियायी मुद्राओं की विनिमय दर को इसका पूरा फायदा नहीं मिलेगा।
बाजार अनुसंधान फर्म का अनुमान है कि चलू खाते का घाटा (कैड) सुधरने का रूपये पर अच्छा असर होगा पर ऐतिहासिक रूप से देखा गया है कि चूनाव से पहले का वर्ष रुपये के लिए अच्छा नहीं होता।
फर्म का मानना है कि वित्त वर्ष 2023-24 में भुगतान संतुलन (बीओपी) के 5-7 अरब डालर अनुकूल रहने के साथ कैड घट कर 50 अरब डालर के आस पास रह सकता है। इस परिदृष्य में चालू वित्त वर्ष के दौरान रुपये की विनिमय दर मजबूत होकर प्रति डालर 79 से भी नीचे आ सकती है , पर औसत विनिमय दर प्रति डालर 81 रुपये के आस पास रहने का अनुमान है।
एमके ग्लोबल के अनुसार के अनुसार ब्याज दरें नरम होने से दस साल के सरकारी बांड पर यील्ड (निवेश प्रतिफल) भी नरम होकर 6.75 प्रतिशत से नीचे आ सकता है।
फर्म का कहना है कि वैश्विक स्तर पर मुद्रास्फीति में कमी का रास्ता सीधा नहीं दिखता। इस समय यह बहस का विषय है कि मुद्रास्फीत में गिरावट की गति क्या होगी और गिरावट की रफ्तार अमेरिकी केंद्रीय बैंक फेडरल रिजर्व की नीति को किस तरह प्रभावित करेगा।
एमके ग्लोबल फाइनेंशियल का अनुमान है कि भारत वैश्विक मंदी के असर से अच्छूता नहीं रह सकता और कोविड के बाद निर्यात में जो तेजी दिख रही थी वह ठंडी पड़ सकती है। फर्म का कहना है कि देश में कुछ समय से ग्रामीण क्षेत्र में कृषि और गैर कृषि मजदूरी में गिरावट दिखी है। दो साल से व्यापार की शर्तें ग्रामीण अर्थव्यवस्था के प्रतिकूल चल रही हैं।
फर्म का यह भी अनुमान है कि वैश्विक अर्थव्यवस्था में आसन्न मंदी और अगले साल भारत में आम चुनाव से पहले पूंजीगत निवेश में विस्तार की संभावना कमजोर दिखती है।
एमके ग्लोबल का अनुमान है कि वित्त वर्ष 2022-23 में भारत के सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) में वृद्धि 5.7 प्रतिशत रहेगी।






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