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नयी दिलà¥à¤²à¥€ - केनà¥à¤¦à¥à¤°à¥€à¤¯ गृह मंतà¥à¤°à¥€ अमित शाह ने
गà¥à¤°à¥à¤µà¤¾à¤° को पंजाब के शà¥à¤°à¥€ मà¥à¤•à¥à¤¤à¤¸à¤° साहिब में राजà¥à¤¯ के पूरà¥à¤µ मà¥à¤–à¥à¤¯à¤®à¤‚तà¥à¤°à¥€ पà¥à¤°à¤•ाश
सिंह बादल की ‘अंतिम अरदास’ में à¤à¤¾à¤— लिया और
उनà¥à¤¹à¥‡à¤‚ शà¥à¤°à¤¦à¥à¤§à¤¾à¤‚जलि अरà¥à¤ªà¤¿à¤¤ की।
शà¥à¤°à¥€ शाह ने कहा,“ शà¥à¤°à¥€ पà¥à¤°à¤•ाश सिंह बादल जी के हमारे बीच
ना रहने से केवल पंजाब ही नहीं बलà¥à¤•ि पूरे देश की राजनीति और सामाजिक नेतृतà¥à¤µ को
अपूरणीय कà¥à¤·à¤¤à¤¿ हà¥à¤ˆ है। बादल जी के जाने से जो शूनà¥à¤¯ पैदा हà¥à¤† है, उसे à¤à¤° पाना
बहà¥à¤¤ मà¥à¤¶à¥à¤•िल होगा। बादल जी के जाने से सिख पंथ ने अपना à¤à¤• सचà¥à¤šà¤¾ सिपाही, देश ने à¤à¤•
देशà¤à¤•à¥à¤¤, किसानों ने अपना सचà¥à¤šà¤¾ हमदरà¥à¤¦ और
राजनीति ने उचà¥à¤š मानांकों को सिदà¥à¤§ करने वाले à¤à¤• महापà¥à¤°à¥à¤· को खोया है।“
केनà¥à¤¦à¥à¤°à¥€à¤¯ गृह मंतà¥à¤°à¥€ ने कहा कि 70 साल के लंबे
सारà¥à¤µà¤œà¤¨à¤¿à¤• जीवन के बाद वà¥à¤¯à¤•à¥à¤¤à¤¿ चला जाठऔर पीछे कोई विरोधी ना हो, à¤à¤¸à¤¾ अजातशतà¥à¤°à¥
जैसा जीवन बादल साहब के सिवा कोई नहीं जी सकता था।â€
उनà¥à¤¹à¥‹à¤‚ने कहा,“ हमेशा बादल जी से मिलकर कà¥à¤› ना कà¥à¤› सीखा, चेतना पà¥à¤°à¤¾à¤ªà¥à¤¤
की और उनà¥à¤¹à¥‹à¤‚ने हमेशा सचà¥à¤šà¤¾ रासà¥à¤¤à¤¾ दिखाने का पà¥à¤°à¤¯à¤¾à¤¸ किया। इतनी पारदरà¥à¤¶à¤¿à¤¤à¤¾ के साथ
राजनीतिक जीवन में सलाह देना à¤à¤• महामानव के सिवा कोई नहीं कर सकता।“
शà¥à¤°à¥€ शाह ने कहा कि शà¥à¤°à¥€ बादल पंजाब विधानसà¤à¤¾ में सबसे लंबे समय तक रहने वाले
सदसà¥à¤¯ थे। पांच बार पंजाब के मà¥à¤–à¥à¤¯à¤®à¤‚तà¥à¤°à¥€ रहते हà¥à¤ उनà¥à¤¹à¥‹à¤‚ने नठपंजाब की नींव
डालने का काम किया, उनके जाने के साथ ही à¤à¤¾à¤ˆà¤šà¤¾à¤°à¥‡ का सरदार
चला गया। उनà¥à¤¹à¥‹à¤‚ने अपना पूरा जीवन हिंदू-सिख à¤à¤•ता के लिठसमरà¥à¤ªà¤¿à¤¤ किया और राजनीति
में कई विरोध à¤à¥‡à¤²à¤¨à¥‡ के बावजूद सबको à¤à¤•जà¥à¤Ÿ रखने के लिठहमेशा पà¥à¤°à¤¯à¤¾à¤¸à¤°à¤¤ रहे।
सारà¥à¤µà¤œà¤¨à¤¿à¤• और राजनीतिक जीवन में इस तरह का वà¥à¤¯à¤•à¥à¤¤à¤¿ मिलना असंà¤à¤µ है।
केनà¥à¤¦à¥à¤°à¥€à¤¯ गृह मंतà¥à¤°à¥€ ने कहा,“ 1970 से लेकर आज तक
जब à¤à¥€ देश के लिठखड़ा होने का मौका आया, बादल साहब कà¤à¥€
पीछे नहीं हटे। सरदार पà¥à¤°à¤•ाश सिंह बादल सारà¥à¤µà¤œà¤¨à¤¿à¤• जीवन में लंबे समय जेल में रहकर
सिदà¥à¤§à¤¾à¤‚तों और पंथ के लिठसंघरà¥à¤· करने वाले वà¥à¤¯à¤•à¥à¤¤à¤¿ थे। आपातकाल के दौरान लोकतंतà¥à¤°
की रकà¥à¤·à¤¾ के लिठबादल साहब चटà¥à¤Ÿà¤¾à¤¨ की तरह खड़े रहे, कारगिल यà¥à¤¦à¥à¤§ हो
या आतंक के खिलाफ लड़ाई हो, हर मोरà¥à¤šà¥‡ पर
आसमान जितने ऊंचे वà¥à¤¯à¤•à¥à¤¤à¤¿à¤¤à¥à¤µ वाले बादल साहब हमेशा ढाल की तरह देशहित में खड़े
नज़र आà¤à¥¤â€
शà¥à¤°à¥€ शाह ने कहा कि शà¥à¤°à¥€ बादल का जाना पूरे देश के लिठबहà¥à¤¤ बड़ी कà¥à¤·à¤¤à¤¿ है।
उनà¥à¤¹à¥‹à¤‚ने कहा ,“ बादल जी के जीवन से हम सब पà¥à¤°à¥‡à¤°à¤£à¤¾ लें
और उनà¥à¤¹à¥‹à¤‚ने जिस रासà¥à¤¤à¥‡ पर चलने की सीख दी, वाहेगà¥à¤°à¥ हम
सबको उस रासà¥à¤¤à¥‡ पर चलने की शकà¥à¤¤à¤¿ दें।â€
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