समाचार ब्यूरो
02/05/2023  :  21:47 HH:MM
चतुर चालों से पवार लम्बे समय तक राजनीति को करते रहे हैं प्रभावित
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 à¤¨à¤¯à¥€ दिल्ली- युवा कांग्रेस से अपने राजनीतिक जीवन की शुरुआत करने वाले राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी के नेता शरद पवार ने अपने लम्बे राजनीतिक करियर में अपनी अप्रत्याशित चालों के कारण भारतीय राजनीति के चाणक्य की ख्याति अर्जित की और समर्थकों तथा विरोधियों के साथ तालमेल बिठाते हुए चार बार महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री बने और तीन से ज्यादा बार कांग्रेस छोड़ने के बावजूद उसी के सहयोग से तीन बार केंद्र मंत्री रहे।


श्री पवार ने मंगलवार को राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी के अध्यक्ष पद से इस्तीफा देने और सक्रिय राजनीति से अलग होने की घोषणा कर एक बार फिर लोगों को चौंकाया, लेकिन उन्होंने कहा ‘मुझे पता है कि मुझे कहां रुकना है...।’ श्री पवार ने कुछ दिन पहले ही अडानी उद्योग समूह पर एक अमेरिकी सटोरिया कंपनी की रिपोर्ट के बाद उठे गतिरोध को नया मोड़ देते हुए उद्यमी गौतम अडानी का न केवल बचाव किया बल्कि हाल में मुंबई में उनसे लम्बी मुलाकात भी की। उनका यह कदम पिछले बजट सत्र में अडानी मुद्देे पर जेपीसी की विपक्षी की मांग को लेकर लम्बे गतिरोध के मद्देनजर अप्रत्याशित था।

कांग्रेस पार्टी के मजबूत स्तंभ के रूप में गिने जाने वाले श्री पवार ने कांग्रेस में सोनिया गांधी के नेतृत्व के सवाल पर 20 मई 1999 को कांग्रेस छोडी और 25 मई को कांग्रेस के नेता रहे पूर्व लोकसभ अध्यक्ष पी संगमा और तारिक अनवर के साथ राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी का गठन कर दिया, लेकिन इन्हीं श्री पवार ने 2004 के चुनाव के बाद श्रीमती गांधी से समझौता कर लिया और कांग्रेस के नेतृत्व वाली मनमोहन सिंह गठबंधन सरकार में कृषि मंत्री का पद स्वीकार कर लिया। श्री पवार विपक्ष में रहते हुए भारतीय जनता पार्टी की कटु आलोचना के बावजूद अटल विहारी वाजपेयी और नरेंद्र मोदी जैसे भाजपा के दिग्गत नेताओं के साथ अच्छे संबंध बनाए रखे। साल 2009 में वह फिर लोकसभा पहुंचे और उन्हें फिर कृषि मंत्री की जिम्मेदारी सौंपी गई। कृषि मंत्री के रूप में उन्होंने कृषि उपज मंडी व्यवस्था में सुधार करने का भरसक प्रयास किया।

व्यवहारिक राजनीति में माहिर श्री पवार ने 1967 में पहली बार महाराष्ट्र विधानसभा पहुंचे और फिर महाराष्ट्र का सबसे युवा मुख्यमंत्री बनने का रिकॉर्ड बनाया। वह 1993 में चौथी बार महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री बने तथा तीन बार केंद्र सरकार में कैबिनेट मंत्री रहे।

श्री पवार ने मुंबई में अपने इस्तीफे की घोषणा करते हुए यह भी कहा कि उन्होंने जीवन से संन्यास नहीं लिया है। देश के सबसे अनुभवी राजनेताओं में शामिल शरद पवार का जन्म 12 दिसंबर, 1940 को हुआ था। वह भारतीय राजनीति के सबसे अनुभवी लोगों में शामिल हैं।

महाराष्ट्र विधानसभा के पिछले चुनाव में श्री पवार ने भारतीय जनता पार्टी के सहयोगी दल शिव सेना और कांग्रेस का तालमेल कराकर भारतीय जनता पार्टी को सत्ता से दूर रखने में कामयाब हुए। उन्होंने अपनी पार्टी के दूसरे नम्बर के कद्दावर नेता अजीत पवार के भाजपा से हाथ मिलाने के प्रकरण को इस तरह पीछे कर दिया जैसे उनकी पार्टी में कुछ घटित ही नहीं हुआ हो।

युवा कांग्रेस के कार्यकर्ता के रूप में अपने राजीनीतिक जीवन की शुरुआत कर 1964 में इस संगठन के अध्यक्ष बने श्री पवार 1967 में कांग्रेस के टिकट पर बरामती विधानसभा क्षेत्र से महाराष्ट्र विधानसभा पहुंचे। साल 1972 में वह दूसरी बार विधानसभा के लिए निर्वाचित हुए और फिर कई साल तक महाराष्ट्र में मंत्री रहे। साल 1978 के महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव से पहले श्री पवार ने कांग्रेस से नाता तोड़ लिया और पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी के विरोध में बनी भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस-समाजवादी में शामिल हो गये। वह 1981 में इस पार्टी के अध्यक्ष बन गये।

श्री अजीत पवार ने आज उनके इस्तीफे पर कहा “हम एक परिवार की तरह हैं। शरद पवार परिवार के मुखिया की तरह काम करते रहेंगे।” श्री पवार का इस्तीफा 2024 के आम चुनाव से पहले विपक्ष को एकजुट करने के प्रयास को करारा झटका है।

महाराष्ट्र में सबसे युवा मुख्यमंत्री होने का रिकार्ड बनाने वाले श्री पवार 1978 में पहली बार महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री बने और 1988 से 1991 में दो बार और 1993 से 1995 में चौथी बार राज्य के मुख्यमंत्री रहे। उन्होंने 1984 में बारामती से पहली बार लोकसभा चुनाव जीता। उसके बाद वह फिर लोकसभा के लिए चुने गये और 1991 में नरसिंम्हा राव सरकार में रक्षा मंत्री बने। साल 1996 के आम चुनाव में भी वह लोकसभा पहुंचे। वह 1996 में हुए कांग्रेस के अंतरिम चुनाव में पार्टी नेता सीताराम केसरी से चुनाव हार गये। साल 1998 में वह सोनिया गांधी के विदेशी मूल के मुद्दे पर राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन के साथ स्वर मिलाने लगे।

श्री पवार भारतीय क्रिकेट कंट्रोल बोर्ड-बीसीसीआई के अध्यक्ष भी रह चुके हैं। वह 2005 से 2008 तक बीसीसीआई के चेयरमैन रहे और 2010 में आईसीसी के अध्यक्ष बने।

सुश्री सुप्रिया सुले श्री पवार की एकमात्र संतान है और राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी की शीर्ष नेता हैं। वह 2009 में अपनी श्री पवार की बारामती सीट से चुनकर लोकसभा पहुंची और तब से लगातार लोकसभा की सदस्य हैं।

 






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