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जौनपà¥à¤°- à¤à¤—वान विषà¥à¤£à¥ के छठे अवतार à¤à¤—वान परशà¥à¤°à¤¾à¤® का जनà¥à¤® उतà¥à¤¤à¤°
पà¥à¤°à¤¦à¥‡à¤¶ के शाहजहांपà¥à¤° जिले के जलालाबाद में हà¥à¤† था मगर उनकी करà¥à¤®à¤à¥‚मि और तपोà¤à¥‚मि
जौनपà¥à¤° जिले की सदर तहसील कà¥à¤·à¥‡à¤¤à¥à¤° में आदि गंगा गोमती के पावन तट सà¥à¤¥à¤¿à¤¤ जमैथा गांव
ही रही। परशà¥à¤°à¤¾à¤® के पिता महरà¥à¤·à¤¿ यमदगà¥à¤¨à¤¿ ऋषि का आशà¥à¤°à¤® आज à¤à¥€ यहां पर है और उनà¥à¤¹à¥€à¤‚
के नाम पर इस जिले के नाम यमदगà¥à¤¨à¤¿à¤ªà¥à¤°à¤®à¥ रहा जो कालांतर में जौनपà¥à¤° के नाम से
पà¥à¤°à¤šà¤²à¤¿à¤¤ हो गया।
परशà¥à¤°à¤¾à¤® का जनà¥à¤® अकà¥à¤·à¤¯ तृतीया के दिन ही हà¥à¤† था, इस बार अकà¥à¤·à¤¯
तृतीया 22 अपà¥à¤°à¥ˆà¤² को पड़ रही है, इसलिये पूरे देश
में इसी दिन उनकी जयनà¥à¤¤à¥€ मनायी जायेगी। à¤à¤—वान परशà¥à¤°à¤¾à¤® महाराज गाधि के वशंज थे।
महाराज गाधि की पà¥à¤¤à¥à¤°à¥€ सतà¥à¤¯à¤µà¤¤à¥€ और पà¥à¤¤à¥à¤° ऋषि विशà¥à¤µà¤¾à¤®à¤¿à¤¤à¥à¤° थे। सतà¥à¤¯à¤µà¤¤à¥€ का विवाह
ऋचीक ऋषि से हà¥à¤†à¥¤ उनके à¤à¤• मातà¥à¤° पà¥à¤¤à¥à¤° यमदगà¥à¤¨à¤¿ ऋषि थे। ऋषि यमदगà¥à¤¨à¤¿ का विवाह
रेणà¥à¤•ा से हà¥à¤† और इनसे परशà¥à¤°à¤¾à¤® का जनà¥à¤® हà¥à¤†à¥¤ ये à¤à¤—वान विषà¥à¤£à¥ के छठे अवतार à¤à¥€ माने
जाते थे। परशà¥à¤°à¤¾à¤® के गà¥à¤°à¥‚ à¤à¤—वान शिव थे। उनà¥à¤¹à¥€ से इनà¥à¤¹à¥‡ फरसा मिला था।
धारà¥à¤®à¤¿à¤• गà¥à¤°à¤‚थो के अनà¥à¤¸à¤¾à¤° महरà¥à¤·à¤¿ यमदगà¥à¤¨à¤¿ ऋषि जमैथा (जौनपà¥à¤°) सà¥à¤¥à¤¿à¤¤ अपने आशà¥à¤°à¤®
पर तपसà¥à¤¯à¤¾ कर रहे थे जहां आसà¥à¤°à¥€ पà¥à¤°à¤µà¥ƒà¤¤à¥à¤¤à¤¿ का राजा कीरà¥à¤¤à¤¿à¤µà¥€à¤° उनà¥à¤¹à¥‡à¤‚ परेशान करता
था। यमदगà¥à¤¨à¤¿ ऋषि तमसा नदी (आजमगà¥) गये , जहां à¤à¥ƒà¤—ॠऋषि
रहते थे। उनà¥à¤¹à¥‹à¤¨à¥‡ उनसे सारा वृतांत कह सà¥à¤¨à¤¾à¤¯à¤¾à¥¤ à¤à¥ƒà¤—ॠऋषि ने उनसे कहा कि आप अयोधà¥à¤¯à¤¾
जाइयें। वहां पर राजा दशरथ के दो पà¥à¤¤à¥à¤° राम व लकà¥à¤·à¥à¤®à¤£ है। वे आपकी पूरी सहायता
करेगें। यमदगà¥à¤¨à¤¿ अयोधà¥à¤¯à¤¾ गये और राम लकà¥à¤·à¥à¤®à¤£ को अपने साथ लाये। राम व लकà¥à¤·à¥à¤®à¤£ ने
कीरà¥à¤¤à¤¿à¤µà¥€à¤° को मारा और गोमती नदी में सà¥à¤¨à¤¾à¤¨ किया तà¤à¥€ से इस घाट का नाम राम घाट हो
गया।
यमदगà¥à¤¨à¤¿ ऋषि बहà¥à¤¤ कà¥à¤°à¥‹à¤§à¥€ थे जबकि परशà¥à¤°à¤¾à¤® पितृà¤à¤•à¥à¤¤ थे। à¤à¤• दिन उनके पिता ने
आदेश दिया कि अपनी मां रेणà¥à¤•ा का सिर धड़ से अलग कर दो। परशà¥à¤°à¤¾à¤® ने ततà¥à¤•ाल अपने
फरसे से मां का सिर काट दिया, तो यमदगà¥à¤¨à¤¿ बोले
कà¥à¤¯à¤¾ वरदान चाहते हो , परशà¥à¤°à¤¾à¤® ने कहा
कि यदि आप वरदान देना चाहते हैं , तो मेरी मां को
जिनà¥à¤¦à¤¾ कर दीजिये। यमदगà¥à¤¨à¤¿ ऋषि ने तपसà¥à¤¯à¤¾ के बल पर रेणà¥à¤•ा को पà¥à¤¨à¤ƒ जिनà¥à¤¦à¤¾ कर दिया।
जीवित होने के बाद माता रेणà¥à¤•ा ने कहा कि परशà¥à¤°à¤¾à¤® तूने अपने मां के दूध का करà¥à¤œ
उतार दिया। इस पà¥à¤°à¤•ार पूरे विशà¥à¤µ में परशà¥à¤°à¤¾à¤® ही à¤à¤• à¤à¤¸à¥‡ हैं जो मातृ व पितà¥à¤°à¥ƒ ऋण
से मà¥à¤•à¥à¤¤ हो गये हैं ।
परशà¥à¤°à¤¾à¤® ने ततà¥à¤•ालीन आसà¥à¤°à¥€ पà¥à¤°à¤µà¥ƒà¤¤à¥à¤¤à¤¿ वाले कà¥à¤·à¤¤à¥à¤°à¤¿à¤¯à¥‹à¤‚ का ही विनाश किया था।
यदि वे सà¤à¥€ कà¥à¤·à¤¤à¥à¤°à¤¿à¤¯à¥‹à¤‚ का विनाश चाहते तो à¤à¤—वान राम को अपना धनà¥à¤· न देते, यदि वे धनà¥à¤· न
देते तो रावण का वध न होता।परशà¥à¤°à¤¾à¤® में शसà¥à¤¤à¥à¤° व शासà¥à¤¤à¥à¤° का अदà¥à¤à¥à¤¤ समनà¥à¤µà¤¯ मिलता
है । कà¥à¤² मिलाकर देखा जाय तो जौनपà¥à¤° के जमैथा में उनकी माता रेणà¥à¤•ा बाद में अखणà¥à¤¡à¥‹
अब अखड़ो देवी का मनà¥à¤¦à¤¿à¤° आज à¤à¥€ मौजूद है जहां लोग पूजा अरà¥à¤šà¤¨à¤¾ करते है।
जमैथा गांव के निवासी à¤à¤µà¤‚ जिले के वरिषà¥à¤ चिकितà¥à¤¸à¤• डॉ विनोद पà¥à¤°à¤¸à¤¾à¤¦ सिंह (बी
पी सिंह) ने यह जानकारी देते हà¥à¤ बताया कि मेरे गांव में सà¥à¤¥à¤¿à¤¤ à¤à¤—वान परशà¥à¤°à¤¾à¤® की
तपसà¥à¤¥à¤²à¥€ जहां पर इस समय उनकी माता रेणà¥à¤•ा का मंदिर बना हà¥à¤† है, इस समय यह आसà¥à¤¥à¤¾
का केंदà¥à¤° बना बन गया है। उनà¥à¤¹à¥‹à¤‚ने कहा कि आप आज से 4-5
वरà¥à¤· पूरà¥à¤µ पà¥à¤°à¤¦à¥‡à¤¶ सरकार के सौजनà¥à¤¯ से यहां पर कà¥à¤› सà¥à¤‚दरीकरण का कारà¥à¤¯ कराया
गया है, जो à¤à¥€ कारà¥à¤¯ बाकी है उसको वह सà¥à¤µà¤¯à¤‚ अपने
जिले की धरोहर समठकर करायेंगे। इसे परà¥à¤¯à¤Ÿà¤¨ सà¥à¤¥à¤² के रूप में विकसित कराने का
पà¥à¤°à¤¯à¤¾à¤¸ करेंगे, ताकि यहां पर लोग आठऔर जाने कि महरà¥à¤·à¤¿
जमदगà¥à¤¨à¤¿ ऋषि का आशà¥à¤°à¤® यही है और à¤à¤—वान परशà¥à¤°à¤¾à¤® यहीं पर तपसà¥à¤¯à¤¾ किठथे।
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