समाचार ब्यूरो
04/04/2023  :  21:20 HH:MM
दिल्ली शिक्षा मॉडल की खुली पोल:कुमार
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डॉ.कुमार ने कहा कि कक्षा 10 और 12 में 98 प्रतिशत परिणाम का ढिंढोरा पीटने के लिए कक्षा नौ और ग्यारह के बच्चों को फेल किया गया है क्योंकि ये बच्चे औसत श्रेणी के हैं और अगली क्लासों में उनका यही परिणाम रहता तो दिल्ली सरकार को अपनी वाहवाही करने का मौका नहीं मिल सकता है।

 à¤¨à¤¯à¥€ दिल्ली- कांग्रेस ने आरोप लगाया है कि दिल्ली के सरकारी स्कूलों में एक सुनियोजित साजिश के तहत बड़े पैमाने पर कक्षा नौ और ग्यारह के छात्रों को जबरदस्ती फेल किया गया है ताकि दसवीं और बारहवीं कक्षा में आने वाले परिणामों को बेहतर दिखाकर मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल मीडिया में वाहवाही लूट सके।


प्रदेश कांग्रेस के वरिष्ठ प्रवक्ता डॉ. नरेश कुमार ने मंगलवार को यहां जारी एक बयान में कहा कि 31 मार्च को कक्षा नौ और ग्यारह के रिजल्ट घोषित किए जाने थे जो अभी तक नहीं हुआ है जिसमें शिक्षा विभाग के विश्वस्त सूत्रों से पता चला है कि यह परिणाम 50 प्रतिशत से नीचे रह गया है।

डॉ.कुमार ने कहा कि कक्षा 10 और 12 में 98 प्रतिशत परिणाम का ढिंढोरा पीटने के लिए कक्षा नौ और ग्यारह के बच्चों को फेल किया गया है क्योंकि ये बच्चे औसत श्रेणी के हैं और अगली क्लासों में उनका यही परिणाम रहता तो दिल्ली सरकार को अपनी वाहवाही करने का मौका नहीं मिल सकता है।

उन्होंने एक आरटीआई का हवाला देते हुए कहा कि वर्ष 2014 में दिल्ली में 12 वी कक्षा में परीक्षा में शामिल होने वाले बच्चों की संख्या 166257 थी जो 2020 में घटकर 114413 रह गई थी। इसी तरह कक्षा दस में 2014 में परीक्षा में शामिल होने वाले बच्चों की संख्या 180203 थी जो 2020 में घटकर 153938 रह गई। दिल्ली में लगातार आबादी में इज़ाफा हो रहा है लेकिन कक्षा दस और बारहवीं के छात्रों की संख्या में कमी आना एक रहस्य है। यह एक घालमेल है ताकि केजरीवाल सरकार अपने शिक्षा मॉडल का प्रचार कर वाहवाही लूट सके। बच्चों को जबरदस्ती फेल किए जाने से जहां एक तरफ उन पर मानसिक तनाव हावी हो जाता है वहीं दूसरी तरफ सरकार अपनी नाकामी छिपाकर बच्चों का भविष्य बर्बाद करने पर तुली हुई है।

उन्होंने दिल्ली के उपराज्यपाल विनय कुमार सक्सेना को पत्र लिखकर मांग की है कि दिल्ली के स्कूलों के इस घालमेल को उजागर किया जाए। उन्होंने कहा कि यह दिल्ली की बेहतर शिक्षा का नहीं बल्कि विनाश का मॉडल है जहां शिक्षकों की संख्या और अनुसूचित जाति और अनुसूचित जाति तथा पिछड़े वर्गों के छात्रों के कल्याण संबंधी बजट में लगातार कमी की जा रही है।

उन्होंने कहा कि दिल्ली सरकार ने एक आरटीआई के जवाब में स्पष्ट रूप से कहा है कि दिल्ली के सरकारी स्कूलों में वर्ष 2015 में पी जी टी शिक्षकों के 2965 पद खाली थे जो मार्च 2021 में बढ़कर 4394 हो गए। इसी तरह टी जी टी के रिक्त पदों की संख्या मार्च 2015 में 9550 थी जो मार्च 2021 में बढ़कर 15513 हो गई थी। जब सरकारी स्कूलों में शिक्षक ही नहीं होंगे तो पढ़ाई कहां से अच्छी होगी।

उन्होंने कहा कि केजरीवाल सरकार समाज के अनुसूचित जाति, जनजाति और अन्य पिछड़ा वर्गों के बच्चों के कल्याण के लिए आवंटित धनराशि में भी लगातार कमी कर रही है।दिल्ली सरकार ने इस संबंध में मांगी गई आर टी आई जानकारी में जवाब दिया है। सरकार के संबंधित विभाग ने जो आंकड़े दिए हैं वे काफी चौंकाने वाले हैं जिनसे यह पता चलता है दिल्ली सरकार इन वर्गों के छात्रों के कल्याण पर अधिक ध्यान नहीं दे रही है।

कांग्रेस प्रवक्ता ने कहा कि दिल्ली सरकार इन वर्गों के छात्रों के कल्याण हेतु स्टेशनरी खरीद पर जो धन आवंटित करती थी उसमें भी लगातार कमी हो रही है। वर्ष 2015-16 में यह राशि 120 करोड़ रुपए थी और उसमें से 110.39 करोड़ रुपए खर्च किए गए थे लेकिन 2019-20 आते आते यह बहुत ही कम कर दी गई और दिल्ली सरकार द्वारा आबंटित 16.50 करोड़ रुपए में से 15.61करोड़ रुपए खर्च किए गए हैं। इस राशि में यह कटौती आखिर किस आधार पर की गई है जबकि सरकारी स्कूलों में इन वर्गों के छात्र सबसे अधिक हैं। उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री सारी धनराशि अपने प्रचार प्रसार पर खर्च कर रहे हैं और उन्हें जरूरतमंद बच्चों से कोई लेना देना नहीं है।






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