समाचार ब्यूरो
16/03/2023  :  20:31 HH:MM
सिविल सेवा परीक्षा की प्रक्रिया छह माह में पूरी कराने की सिफारिश
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रिपोर्ट में कहा गया है, “समिति का विचार है कि भर्तियों संबंधी किसी भी परीक्षा की सामान्यत: छह माह से अधिक लम्बी नहीं होनी चाहिए।”

नयी दिल्ली- संसद की एक समिति ने संघ लोक सेवा आयोग (यूपीएससी) की सिविल सेवाओं में भर्ती के लिए करायी जाने वाली परीक्षा की पूरी प्रक्रिया छह माह के भीतर सम्पन्न कराने की सिफारिश की और कहा कि इसमें इस समय अभ्यर्थियों के जीवन का एक साल बर्बाद होता तथा उनके मानसिक एवं शारीरिक स्वास्थ्य पर भी बुरा प्रभाव पड़ता है।

राज्य सभा के सदस्य सुशील कुमार मोदी की अध्यक्षता वाली कार्मिक, लोक शिकायत एवं पेशन मंत्रालय से सम्बद्ध संसद की स्थायी समिति ने विभाग की वर्ष 2023-24 की अनुदान मांगों पर अपने 126वें प्रतिवेदन में कहा है कि इस समय सिविल सेवा परीक्षा की अधिसूचना जारी किए जाने से अंतिम परिणाम घोषित होने में करीब 15 महीने लग जाते हैं।
रिपोर्ट में कहा गया है, “समिति का विचार है कि भर्तियों संबंधी किसी भी परीक्षा की सामान्यत: छह माह से अधिक लम्बी नहीं होनी चाहिए।”
समिति ने कहा है कि लम्बी और विस्तृत भर्ती प्रक्रिया से अभ्यर्थियों के युवा काल के कई वर्ष व्यर्थ हो जाते हैं। यही नहीं इसके अलावा इसका उनके शारीरिक और मानिसक स्वास्थ्य पर भी भारी असर पड़ता है। समिति की सिफारिश है कि यूपीएससी को ‘भर्ती प्रकिया की गुणवत्ता से कोई समझौता किए बिना’ इसको पूरा करने की अवधि में महत्वपूर्ण कमी लाने के कदम उठाने चाहिए।
समिति ने कहा कि आयोग द्वारा बताया गया है कि सिविल सेवा की प्रारंभिक परीक्षा की उत्तर-कुंजी भर्ती परीक्षा की प्रकिया समाप्त होने के बाद जारी करता है। इसका अर्थ है कि अभ्यर्थी को परीक्षा के अगले चरण की ओर बढ़ने से पहले उत्तर-कुंजी को चुनौती देने का मौका नहीं मिलता। समिति ने यूपीएससी से परीक्षा को और भी निष्पक्ष, पारदर्शी तथा अभ्यर्थियों के अनुकूल बनाने के लिए लोगों की राय लेनी चाहिए।
समिति ने कहा है कि उसने अपने पिछले प्रतिवेदनों में सिफारिश की थी आयोग द्वारा सिविल सेवा परीक्षा की स्कीम में 2010 से किए गए परिवर्तनों का प्रशासन और अभ्यर्थियों पर प्रभावों का अध्ययन कराने की सिफारिश की थी। समिति ने आयोग द्वरा गठित बासवान समिति की रिपोर्ट का भी उल्लेख किया है, लेकिन कहा है कि उसकी सिफारिशें परीक्षा के लिए पात्रता, पाठ्यक्रम, स्कीम और पैटर्न के बारे में हैं।
समिति ने मंत्रालय से फिर कहा है कि एक विशेषज्ञ समिति बनाकर पिछले साल में यूपीएससी की परीक्षा के पाठ्यक्रम, पैटर्न और स्कीम में बदलावों का भर्तियों की गुणवत्ता और कुल मिला कर प्रशासन पर उसके प्रभावों के आकलन के लिए विशेषज्ञों का कोई समूह या समिति गठित किया जाए।






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