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21वीं सदी में, जब हमने हर कà¥à¤·à¥‡à¤¤à¥à¤° में कलà¥à¤ªà¤¨à¤¾à¤¤à¥€à¤¤ पà¥à¤°à¤—ति कर ली है, वहीं आज तक कई देशों में कोई महिला राषà¥à¤Ÿà¥à¤° अथवा शासन की पà¥à¤°à¤®à¥à¤– नहीं बन सकी है।
नयी दिलà¥à¤²à¥€- राषà¥à¤Ÿà¥à¤°à¤ªà¤¤à¤¿ दà¥à¤°à¥Œà¤ªà¤¦à¥€ मà¥à¤°à¥à¤® ने बà¥à¤§à¤µà¤¾à¤° को अंतरराषà¥à¤Ÿà¥à¤°à¥€à¤¯ महिला दिवस पर कहा कि
हर महिला की कहानी मेरी कहानी, महिलाओं की पà¥à¤°à¤—ति में मेरी
आसà¥à¤¥à¤¾ है।
राषà¥à¤Ÿà¥à¤°à¤ªà¤¤à¤¿ मà¥à¤°à¥à¤®à¥ ने आज
à¤à¤¾à¤°à¤¤à¥€à¤¯ महिलाओं के अदमà¥à¤¯ मनोबल पर आलेख में यह बात कही। उनà¥à¤¹à¥‹à¤‚ने कहा कि विशà¥à¤µ के
सबसे बड़े लोकतंतà¥à¤° की राषà¥à¤Ÿà¥à¤°à¤ªà¤¤à¤¿ के रूप में मेरा चà¥à¤¨à¤¾à¤µ, महिला सशकà¥à¤¤à¥€à¤•रण की गाथा का
à¤à¤• अंश है।
उनà¥à¤¹à¥‹à¤‚ने कहा, “ मैं बचपन से ही समाज में
महिलाओं की सà¥à¤¥à¤¿à¤¤à¤¿ को लेकर वà¥à¤¯à¤¾à¤•à¥à¤² रही हूं। à¤à¤• ओर तो à¤à¤• बचà¥à¤šà¥€ को हर तरफ से ढेर
सारा पà¥à¤¯à¤¾à¤°-दà¥à¤²à¤¾à¤° मिलता है और शà¥à¤ अवसरों पर उसकी पूजा à¤à¥€ की जाती है, दूसरी ओर उसे जलà¥à¤¦à¥€ ही यह
आà¤à¤¾à¤¸ हो जाता है कि उसकी उमà¥à¤° के लड़कों की तà¥à¤²à¤¨à¤¾ में, उसके जीवन में कम अवसर और
संà¤à¤¾à¤µà¤¨à¤¾à¤à¤‚ उपलबà¥à¤§ हैं। à¤à¤• ओर तो महिलाओं को उनकी सहज बà¥à¤¦à¥à¤§à¤¿à¤®à¤¤à¥à¤¤à¤¾ के लिठआदर मिलता
है, यहां तक कि पूरे कà¥à¤Ÿà¥à¤‚ब में
सब का धà¥à¤¯à¤¾à¤¨ रखने वाली, परिवार की धà¥à¤°à¥€ के रूप में
उसकी सराहना à¤à¥€ की जाती है, लेकिन दूसरी ओर,परिवार से संबदà¥à¤§, यहां तक कि उसके ही जीवन से
जà¥à¥œà¥‡ महतà¥à¤µà¤ªà¥‚रà¥à¤£ निरà¥à¤£à¤¯à¥‹à¤‚ में, यदि उसकी कोई à¤à¥‚मिका होती
à¤à¥€ है, तो अतà¥à¤¯à¤‚त सीमित होती है।â€
उनà¥à¤¹à¥‹à¤‚ने कहा कि 21वीं सदी में, जब हमने हर कà¥à¤·à¥‡à¤¤à¥à¤° में
कलà¥à¤ªà¤¨à¤¾à¤¤à¥€à¤¤ पà¥à¤°à¤—ति कर ली है, वहीं आज तक कई देशों में
कोई महिला राषà¥à¤Ÿà¥à¤° अथवा शासन की पà¥à¤°à¤®à¥à¤– नहीं बन सकी है।
उनà¥à¤¹à¥‹à¤‚ने कहा कि अनगिनत
महिलाà¤à¤‚ अपने चà¥à¤¨à¥‡ हà¥à¤ कà¥à¤·à¥‡à¤¤à¥à¤°à¥‹à¤‚ में कारà¥à¤¯ करके राषà¥à¤Ÿà¥à¤° निरà¥à¤®à¤¾à¤£ में योगदान दे
रही हैं। वे कॉरपोरेट इकाइयों का नेतृतà¥à¤µ कर रही हैं और यहां तक कि सशसà¥à¤¤à¥à¤° बलों
में à¤à¥€ अपनी सेवाà¤à¤‚ दे रही हैं। अंतर केवल इतना है कि उनà¥à¤¹à¥‡à¤‚ à¤à¤• साथ दो
कारà¥à¤¯à¤•à¥à¤·à¥‡à¤¤à¥à¤°à¥‹à¤‚ में अपनी योगà¥à¤¯à¤¤à¤¾ तथा उतà¥à¤•ृषà¥à¤Ÿà¤¤à¤¾ सिदà¥à¤§ करनी पड़ती है – अपने करियर में à¤à¥€ और अपने
घरों में à¤à¥€à¥¤ वे शिकायत à¤à¥€ नहीं करती हैं, लेकिन समाज से इतनी आशा तो जरूर करती हैं कि वह उन पर à¤à¤°à¥‹à¤¸à¤¾ करे।
उनà¥à¤¹à¥‹à¤‚ने कहा कि हमारे यहां, जमीनी सà¥à¤¤à¤° पर निरà¥à¤£à¤¯ लेने
वाली संसà¥à¤¥à¤¾à¤“ं में महिलाओं का अचà¥à¤›à¤¾ पà¥à¤°à¤¤à¤¿à¤¨à¤¿à¤§à¤¿à¤¤à¥à¤µ है। लेकिन जैसे-जैसे हम ऊपर की
ओर बढ़ते हैं, महिलाओं की संखà¥à¤¯à¤¾ कà¥à¤°à¤®à¤¶à¤ƒ
घटती जाती है। यह तथà¥à¤¯ राजनीतिक संसà¥à¤¥à¤¾à¤“ं के संदरà¥à¤ में उतना ही सच है जितना
बà¥à¤¯à¥‚रोकà¥à¤°à¥‡à¤¸à¥€, नà¥à¤¯à¤¾à¤¯à¤ªà¤¾à¤²à¤¿à¤•ा और कॉपोरà¥à¤°à¥‡à¤Ÿ
जगत के लिà¤à¥¤
उनà¥à¤¹à¥‹à¤‚ने कहा कि मेरा दृढ़
विशà¥à¤µà¤¾à¤¸ है कि समाज में वà¥à¤¯à¤¾à¤ªà¥à¤¤ मानसिकता को बदलने की जरूरत है। à¤à¤• शांतिपूरà¥à¤£ और
समृदà¥à¤§ समाज के निरà¥à¤®à¤¾à¤£ के लिà¤, महिला-पà¥à¤°à¥à¤· असमानता पर
आधारित जड़ीà¤à¥‚त पूरà¥à¤µà¤¾à¤—à¥à¤°à¤¹à¥‹à¤‚ को समà¤à¤¨à¤¾ तथा उनसे मà¥à¤•à¥à¤¤ होना जरूरी है।
उनà¥à¤¹à¥‹à¤‚ने कहा कि मैंने देखा
है कि यदि महिलाओं को अवसर मिलता है, तो वे शिकà¥à¤·à¤¾ के कà¥à¤·à¥‡à¤¤à¥à¤° में पà¥à¤°à¥à¤·à¥‹à¤‚ से पà¥à¤°à¤¾à¤¯à¤ƒ आगे निकल जाती हैं। à¤à¤¾à¤°à¤¤à¥€à¤¯
महिलाओं तथा हमारे समाज की इसी अदमà¥à¤¯ à¤à¤¾à¤µà¤¨à¤¾ के बल पर मà¥à¤à¥‡ विशà¥à¤µà¤¾à¤¸ होता है कि à¤à¤¾à¤°à¤¤, महिला-पà¥à¤°à¥à¤· के बीच नà¥à¤¯à¤¾à¤¯
के मारà¥à¤— पर विशà¥à¤µ-समà¥à¤¦à¤¾à¤¯ का पथ-पà¥à¤°à¤¦à¤°à¥à¤¶à¤• बनेगा।
उनà¥à¤¹à¥‹à¤‚ने कहा कि यदि
महिलाओं को निरà¥à¤£à¤¯ लेने शामिल किया जाता है तो न केवल आरà¥à¤¥à¤¿à¤• पà¥à¤°à¤—ति में, बलà¥à¤•ि जलवायॠसे जà¥à¤¡à¤¼à¥€
कारà¥à¤°à¤µà¤¾à¤ˆ में तेजी आयेगी। उनà¥à¤¹à¥‹à¤‚ने कहा मà¥à¤à¥‡ विशà¥à¤µà¤¾à¤¸ है कि यदि मानवता की पà¥à¤°à¤—ति
में बराबरी का à¤à¤¾à¤—ीदार बनाया जाठतो हमारी दà¥à¤¨à¤¿à¤¯à¤¾ अधिक खà¥à¤¶à¤¹à¤¾à¤² होगी।
उनà¥à¤¹à¥‹à¤‚ने कहा कि महिलाओं की
मà¥à¤•à¥à¤¤à¤¿ की कहानी धीमी गति से, पà¥à¤°à¤¾à¤¯: दà¥à¤–दाई शिथिलता के
साथ आगे बढ़ी है। उनà¥à¤¹à¥‹à¤‚ने कहा कि यह यातà¥à¤°à¤¾ केवल सीधी दिशा में ही आगे बढ़ रही है, कà¤à¥€ à¤à¥€ उलà¥à¤Ÿà¥€ दिशा में नहीं
लौटी इस लिठयह बात मेरे विशà¥à¤µà¤¾à¤¸ को मजबूत बनाती है और मैं अकà¥à¤¸à¤° कहती à¤à¥€ हूं कि
à¤à¤¾à¤°à¤¤ की सà¥à¤µà¤¾à¤§à¥€à¤¨à¤¤à¤¾ की शताबà¥à¤¦à¥€ तक का ‘अमृत काल’ यà¥à¤µà¤¾ महिलाओं का समय है।
उनà¥à¤¹à¥‹à¤‚ने कहा कि विगत
वरà¥à¤·à¥‹à¤‚ के दौरान घर के बाहर के वातावरण में, पहले à¤à¤• छातà¥à¤°à¤¾, उसके बाद à¤à¤• अधà¥à¤¯à¤¾à¤ªà¤¿à¤•ा और
बाद में à¤à¤• समाज-सेविका के रूप में, मैं इस तरह के विरोधाà¤à¤¾à¤¸à¤ªà¥‚रà¥à¤£ रवैये से हैरान हà¥à¤ बिना नहीं रह सकी हूं।
कà¤à¥€-कà¤à¥€ मैंने महसूस किया कि वà¥à¤¯à¤•à¥à¤¤à¤¿à¤—त सà¥à¤¤à¤° पर हममें से अधिकांश लोग, पà¥à¤°à¥à¤·à¥‹à¤‚ और महिलाओं की
समानता को सà¥à¤µà¥€à¤•ार करते हैं। लेकिन, सामूहिक सà¥à¤¤à¤° पर वही लोग हमारी आधी आबादी को सीमाओं में बांधना चाहते हैं।
अपने अब तक के जीवन-काल के दौरान मैंने अधिकांश वà¥à¤¯à¤•à¥à¤¤à¤¿à¤¯à¥‹à¤‚ को समानता की पà¥à¤°à¤—तिशील
अवधारणा की ओर बढ़ते देखा है। हालांकि, सामाजिक सà¥à¤¤à¤° पर, पà¥à¤°à¤¾à¤¨à¥‡ रीति-रिवाज और
परंपराà¤à¤‚, पà¥à¤°à¤¾à¤¨à¥€ आदतों की तरह, हमारा पीछा नहीं छोड़ रही
हैं।
उनà¥à¤¹à¥‹à¤‚ने कहा कि यही, विशà¥à¤µ की सà¤à¥€ महिलाओं की
वà¥à¤¯à¤¥à¤¾-कथा है। धरती-माता की हर दूसरी संतान यानी महिला, अपना जीवन बाधाओं के बीच
शà¥à¤°à¥‚ करती है। इकà¥à¤•ीसवीं सदी में जहां हमने हर कà¥à¤·à¥‡à¤¤à¥à¤° में कलà¥à¤ªà¤¨à¤¾à¤¤à¥€à¤¤ पà¥à¤°à¤—ति कर ली
है, वहीं आज तक कई देशों में
कोई महिला राषà¥à¤Ÿà¥à¤° या शासन की पà¥à¤°à¤®à¥à¤– नहीं बन सकी है। दूसरे सीमांत पर, दà¥à¤°à¥à¤à¤¾à¤—à¥à¤¯à¤µà¤¶, दà¥à¤¨à¤¿à¤¯à¤¾ में à¤à¤¸à¥‡ सà¥à¤¥à¤¾à¤¨ à¤à¥€
हैं जहां आज तक महिलाओं को मानवता का निमà¥à¤¨à¤¤à¤° हिसà¥à¤¸à¤¾ माना जाता है; और सà¥à¤•ूल जाना à¤à¥€ à¤à¤• लड़की
के लिठजिंदगी और मौत का सवाल बन जाता है।
उनà¥à¤¹à¥‹à¤‚ने कहा कि आज मैं आप
सबसे, पà¥à¤°à¤¤à¥à¤¯à¥‡à¤• वà¥à¤¯à¤•à¥à¤¤à¤¿ से अपने
परिवार, आस-पड़ोस अथवा कारà¥à¤¯à¤¸à¥à¤¥à¤²
में à¤à¤• बदलाव लाने के लिठसà¥à¤µà¤¯à¤‚ को समरà¥à¤ªà¤¿à¤¤ करने का आगà¥à¤°à¤¹ करना चाहती हूं। à¤à¤¸à¤¾ कोई
à¤à¥€ बदलाव जो किसी बचà¥à¤šà¥€ के चेहरे पर मà¥à¤¸à¥à¤•ान बिखेरे, à¤à¤¸à¤¾ बदलाव जो उसके लिठजीवन में आगे बढ़ने के अवसरों में वृदà¥à¤§à¤¿ करे।
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